CG Monsoon Session : हंगामो की भेंट न चढ़े मानसून सत्र

CG Monsoon Session : हंगामो की भेंट न चढ़े मानसून सत्र

Monsoon Session : Monsoon session not lost due to ruckus

Monsoon Session

CG Monsoon Session : संसद का मानसून सत्र शुरू हो गया है और पहले दो दिनों तक संसद के दोनों सदनों में विपक्ष ने हंगामा कर के अपने इरादे जाहिर कर दिए है। आवश्यक वस्तुओं पर लगाई गई जीएसटी के विरोध में विपक्ष का हंगामा जायज भी है। विपक्ष का यह दायित्व बनता है कि वह जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर अपना विरोध दर्ज कराए और सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करें, किन्तु सिर्फ हंगामा खड़ा करना ही विपक्ष का मकसद नहीं होना चाहिए। संसद सत्र का न सिर्फ हर दिन बल्कि हर लम्हा बेशकीमती होता है, जो व्यर्थ के बवाल में जाया नहीं जाना चाहिए।

संसद के पूर्व सत्रों के (CG Monsoon Session) दौरान यह देखा गया है कि संसद में काम कम हुआ और शोर शराबा ज्यादा हुआ था, जिसकी वजह से कई महत्वपूर्ण विधेयक लंबित रह गए थे। अभी भी कई महत्वपूर्ण विधेयक संसद में पारित होने की राह देख रहे है। इसलिए यह आवश्यक है कि संसद में हंगामों के कारण संसदीय कामकाज ठप न हो। विपक्ष के साथ ही सत्तापक्ष की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह संसद का सुचारू रूप से संचालन करने के लिए विपक्ष को विश्वास में ले ताकि आपसी मतभेद मनभेद न बनने पाएं।

इस सत्र के दौरान विभिन्न मुद्दों और ज्वलंत समस्याओं पर सार्थक बहस हो और गंभीर चर्चा हो इस बात का ध्यान सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों को रखना होगा और संसद को हंगामों की भेंट चढऩे से बचाना होगा। संसद का प्रश्रकाल हो और सभी सांसदों को अपने क्षेत्र की समस्याओं से सदन को अवगत कराने का पर्याप्त समय मिले। साथ ही राष्ट्रहित से जुड़े गंभीर विषयों पर ङ्क्षचतन मनन हो इसका ध्यान सभी को रखना होगा।

विपक्ष यदि किसी मुद्देे को लेकर अड़ ही जाता है तो सत्तापक्ष को बीच का रास्ता निकालना होगा ताकि संसद में गतिरोध कायम न हो पाएं। संसद की कार्यवाही पर आम जनता के गाढ़े खून पसीने की कमाई लगती है और एक दिन के सत्र पर ही लाखों रूपए का खर्च आता है। यह पैसा और समय बचाना होगा तभी संसद सत्र की सार्थकता सिद्ध होगी अन्यथा व्यर्थ का बवाल खड़ा करने और हंगामा करने से किसी को कुछ हासिल नहीं होगा और आम जनता भी खुद को ठगा हुआ महसूस करेगी।

यह इस साल का महत्वपूर्ण मानसून सत्र (CG Monsoon Session) है जिसमें कई महत्वपूर्ण विधेयकों को कानून के रूप में तब्दील किया जाना है जिसके लिए सरकार तो कटिबद्ध है लेकिन विपक्ष को भी उसे भरोसे में लेना होगा तभी बात बनेगी और मानसून सत्र में ज्यादा से ज्यादा काम हो पाएगा।

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