Janjgir-Champa News : छत्तीसगढ़ में चार आंख वाली दुर्लभ प्रजाति की मिली मछली, मिलना चिंताजनक

Janjgir-Champa News : छत्तीसगढ़ में चार आंख वाली दुर्लभ प्रजाति की मिली मछली, मिलना चिंताजनक

जांजगीर-चांपा/नवप्रदेश। छत्तीसगढ़ में अजीबोगरीब मछली पाई गई है. इस मछली के चार आंख और एरोप्लेन जैसे पंख हैं. इस मछली का नाम ‘सकर माउथ कैटफिश’ है। यह मछली मुख्यत: अमेरिका के अमेजन नदी में पाई जाती है. जानकारों की माने तो यह मछली मांसाहारी होती है।

यह छोटे जलीय-जीवों मा भक्षण करके नदी के पर्यावरण तंत्र को बिगाड़ देती (Janjgir-Champa News) है। यह मछली, जांजगीर-चांपा के एक युवक के हाथ आई है। वह नदी में मछली पकडऩे के लिए गया था। खास बात यह है कि मछली अमेरिका की अमेजन नदी में पाई जाती है। भारत में इसका मिलना अत्यंत दुर्लभ है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, यह मछली की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत कीमती है। फि लहाल युवक ने मछली को अपने घर में ही रखा है। उसे देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ जुट रही है। मामला बिर्रा क्षेत्र का है। जानकारी के मुताबिक, स्थानीय निवासी कुणाल केंवट जोखैया डबरी में मछली पकडऩे गया था। इस दौरान उसके जाल में चार आंख वाली मछली फंस (Janjgir-Champa News) गई। ऐसी मछली देखकर कुणाल उसे घर ले आया।

उसने एक टब में पानी भरकर मछली को रखा है। मछली की आंखें सिर से थोड़ी अधिक ऊपर हैं। उसके पंख एयरोप्लेन के आकार में हैं। उसकी बनावट और रंग सामान्य मछली से अलग है। देखने में यह मछली सुंदर दिख रही है। फि लहाल यह अनोखी मछली  लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

छत्तीसगढ़ में मिलना चिंता : जानकारों ने बताया कि अजीब सी मुंह वाली ये मछली अमेरिका के अमेजन नदी में पाई जाती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस मछली की कीमत बहुत ज्यादा है। यह तेजी से बढऩे वाली सरिसृप है। इसका आकार बड़ा होने की वजह से यह मछली पालकों के लिए लाभदायी होती है।

आम तौर पर इसकी तीन किस्में वाइल्ड, ब्लू टाइगर और ब्लैक टाइगर पाई जाती हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ में इन मछलियों का मिलना ठीक नहीं हैं। इनका असली घर यहां की नदियां नहीं (Janjgir-Champa News) हैं। अब सवाल उठता है कि हजारों किलोमीटर दूर अमेरिका के अमेजन नदी में पाई जाने वाली मछली छत्तीसगढ़ में कैसे पहुंची।

बताया जा रहा है कि यह मछली नदियों के लिए खतरा है। यह मांसाहारी मछली होती है जो छोटे जलीय जीवो का भक्षण करके नदी पर्यावरण तंत्र को बिगाड़ देती है। यह मछली परिस्थितिकी तंत्र का विनाश कर सकती है।

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