International Women's Day: मायानगरी में 'माया' से परे रहकर मानव सेवा करतीं उद्यमी वंदना

International Women’s Day: मायानगरी में ‘माया’ से परे रहकर मानव सेवा करतीं उद्यमी वंदना

International Women's Day, Entrepreneur Vandana doing human service beyond 'Maya' in Mayanagari,

International Women's Day

मुंबई/नवप्रदेश। International Women’s Day: बहुत कम ही ऐसा देखने को मिलता है कि पति के धनवान बनने पर कोई महिला अपने पैसों को मानव सेवा पर खर्च करने की सोचे और उसे मूर्त रूप भी दे दे। लेकिन मायानगरी मुंबई की वंदना राजकुमार गुप्ता इस मामले में अपवाद हैं।

वंदना व उनके पति के बिजनेस में जब लक्ष्मी की कृपा बरसनी शुरू हुई तो वंदना ने मानव सेवा करने की ठान ली और अब वंदना अपनी सोच को ‘माया’ से परे होकर राज फाउंडेशन के जरिए मूर्त रूप दे रही हैं। परमार्थ के कार्यों को वंदना बिना लाइम लाइट से दूर रहकर बखूबी अंजाम दे रही हैं।

यूपी के झांसी में पली बढ़ीं वंदना की शादी झांसी के पास उरई के राजकुमार गुप्ता के साथ हुई। शादी के बाद मुंबई निवास कर रहे राजकुमार का व्यापार तेजी से बढ़ा। बुलियन मार्केट में वे जल्द ही बड़ी नामचीन हस्ती बन गए। मुंबई के सबसे बड़ी सर्राफा मंडी झावेरी बाजार में उनकी धाक जमने लगी। लक्ष्मी की कृपा बरसी तो गरीब, निसहायों की मदद की आस वंदना राजकुमार गुप्ता के मन में जगी।

पति के साथ कामकाज संभालते हुए उन्होंने मुंबई में ही एक अपने भवन में राज फाउंडेशन की शुरुआत की। फाउंडेशन की नींव 2013 में रखी गई। ये तय किया गया कि जानलेवा बीमारी से ग्रस्त जो भी रोगी इलाज के लिए मुंबई आएं तो उनके रहने, खाने-पीने का इंतजाम नि:शुल्क किया जाए। फाउंडेशन के भवन का नाम मां ईश्वरी देवी के नाम पर रखा- ईश्वरी सेवा सदन। बस यहीं से चल पड़ा कारवां।

हजारों कैंसर रोगियों को मिला ईश्वरी सेवा सदन का लाभ :

अभी तक हजारों कैंसर के रोगी ईश्वरी सेवा सदन में आए। इलाज कराया। स्वास्थ्य लाभ लिया। मरीज के साथ एक तीमारदार के लिए भी सभी सुविधाएं मुफ्त रखी गईं, ताकि बीमारी से ग्रस्त परेशान गरीबों की सेवा कर नारायण सेवा का आनंद लिया जा सके। इसी भवन में मुंबई के बाहर के ऐसे युवाओं व उनके परिजनों के लिए खाने-पीने की नि:शुल्क व्यवस्था की गई है, जो किसी नौकरी हेतु साक्षात्कार के लिए मुंबई आते हैं।

6 मार्च को मिला सम्मान :

एक साधारण घरेलू महिला से सफल उद्योगपति और फिर उतनी ही सफल समाजसेवी वंदना राजकुमार गुप्ता (International Women’s Day) का चयन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर गुजरात की प्रतिष्ठित उद्गम चैरिटेबल ट्रस्ट सम्मानित करने केे लिए गया। पुरस्कृत करने के लिए उन्हें ट्रस्ट ने न्योता भेजा है। ट्रस्ट के चेयरमैन डॉ. मयूर जोशी ने इस बात की सूचना राज फाउंडेशन को दी।

बताया कि वंदना राजकुमार गुप्ता जी को बिना किसी आडंबर के लगातार समाजसेवा करने की वजह से देशभर की चुनिंदा नामचीन महिलाओं के साथ सम्मान दिया जाएगा। शनिवार, 6 मार्च को अहमदाबाद के गुजरात विवि परिसर में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित किया जाएगा।

वंदना की इस उपलब्धि पर नवप्रदेश ने उनके साथ खास बातचीत की…

सवाल – हाउस वाइफ से उद्योगपति फिर समाजसेवा का सफर, यह सब कैसे तय किया?
जवाब – सब ईश्वर की कृपा है। मेरा स्पष्ट मानना है कि धन-दौलत कमाने से कहीं बड़ी चीज है मानव सेवा। शादी हुई तो घर परिवार संभाला। बच्चे बड़े हुए तो बिजनेस संभाला। जब लगा कि अबदुखियारों की सेवा करनी है तो उसी में रमी हूं। सभी काम में हमसफर राजकुमार गुप्ता जी का बराबर साथ मिला। साथ में कदमताल करते रहे। हम मंजिल नापते रहे।

सवाल – पूरा श्रेय पति देव को देंगी?
जवाब – काफी हद तक। बिना फैमिली सपोर्ट के कुछ भी करना मुश्किल होता है। मुंबई जैसे शहर में एक भवन ही समाज सेवा के लिए लगा देना हम जैसे साधारण लोगों के लिए आसान नहीं। मगर, परिवार के समर्थन से सब हो रहा है।

सवाल – फाउंडेशन का कामकाज कैसे चलता है, सरकार से फंड मिलता है ?
जवाब – नहीं आज तक हमने एक रुपया भी सरकार से नहीं लिया। ज्यादातर इष्ट-मित्रों के सहयोग और कंपनियों के सीएसआर फंड से अब तक मानव सेवा का काम राज फाउंडेशन करता आ रहा है।

सवाल – अब पुरस्कार के बाद सरकार ने भी मदद का हाथ बढ़ाया है?
जवाब – हां कुछ बड़े अफसरों के फोन आए। महाराष्ट्र के अधिकारी हैं। उन्हें अच्छा लगा कि महाराष्ट्र में काम रही एक महिला उद्यमी समाजसेवी के मानव सेवा के कामकाज को गुजरात में पहचान मिली। सभी ने जानकारी मांगी है। फाउंडेशन जानकारी मुहैया कराएगा। फिर देखते हैं राज्य और केंद्र सरकार क्या मदद मिलती है।

सवाल – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अन्य महिलाओं के लिए कोई संदेश?
जवाब – बिल्कुल। ये गर्व की बात है कि हमारे देश में महिलाओं की भागीदारी अब तकरीबन हर क्षेत्र में बढ़ी है। महिला आज केवल चौका-बर्तन तक सीमित नहीं है। लिहाजा, अब उनके सामने असीमित संभावनाएं हैं। जो भी काम करें पूरी लगन से करें। साथ ही समाज सेवा का कोई भी क्षेत्र चुनकर मानव सेवा में जरूर भागीदारी निभाएं।

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