विपक्षी एकजुटता हुई तो, बिगड़ेगा कांग्रेस का गणित, छोड़ना पड़ सकता है 309 सीटें
कांग्रेस के पास केवल 233 सीटें ही बचेंगी
नई दिल्ली। opposition unity: पिछले 9 साल से केंद्र की सत्ता से बाहर चल रही कांग्रेस पार्टी सत्ता में वापसी के लिए मजबूती से कदम बढ़ा रही है। कांग्रेस की सत्ता वापसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी बड़ी चुनौती हैं। इसलिए कांग्रेस मोदी और बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्षी दलों की एकजुटता के जरिए सत्ता हासिल करने की कोशिश कर रही है।
लेकिन अगर विपक्ष की यह एकता हकीकत में उतरी तो संभावना है कि कांग्रेस को इसके लिए बड़ी कुर्बानी देनी पड़ेगी। क्योंकि अगर विपक्षी दल बड़े पैमाने पर एक साथ आते हैं, तो कांग्रेस कई लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं उतार पाएगी और कई राज्यों से उसे पूरी तरह हटना पड़ेगा।
कांग्रेस सत्ता में नहीं
देश में 10 राज्य ऐसे हैं जहां कांग्रेस सत्ता में नहीं है। इसमें दिल्ली, पंजाब, केरल जैसे राज्य शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में 80 सीटों पर सपा और रालोद, बिहार में 40 सीटों पर जदयू और राजद, महाराष्ट्र में 48 सीटों पर ठाकरे समूह और राकांपा, पश्चिम बंगाल में 42 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस, तमिलनाडु में 39 सीटों पर द्रमुक, सीपीआई (एम) केरल की 20 सीटों पर पीडीपी, जम्मू-कश्मीर की छह सीटों पर पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस, झारखंड की 14 सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा, पंजाब की 13 सीटों पर और दिल्ली की 7 सीटों पर आप चुनाव लड़ेगी। इन राज्यों में लोकसभा की 309 सीटें हैं।
सिर्फ 233 सीटें ही बचेंगी
इसलिए कांग्रेस के पास अपने दम पर लडऩे के लिए सिर्फ 233 सीटें ही बचेंगी। इनमें अरुणाचल प्रदेश से 2, असम से 14, आंध्र प्रदेश से 25, तेलंगाना से 17, चंडीगढ़ से 1, छत्तीसगढ़ से 11, दादरा नगर हवेली से 1, दमन दिव से 1, गोवा से 2, गुजरात से 26 सीटें कांग्रेस को मिलीं। हरियाणा से 10, हिमाचल प्रदेश से 4, कर्नाटक से 28, मध्य प्रदेश से 29, मणिपुर में 2, मेघालय में 2, मिजोरम में 1, नागालैंड में 1, ओडिशा में 21, पांडिचेरी में 1 सीट पर वह अपने दम पर चुनाव लड़ सकते हैं। राजस्थान में 25, सिक्किम में 1, त्रिपुरा में 2 और उत्तराखंड में 5।