केन्द्र सरकार के एक फैसले से चीन में बंद हो रहीं कंपनियां !

केन्द्र सरकार के एक फैसले से चीन में बंद हो रहीं कंपनियां !

Companies are shutting down in China due to a decision of the Central Government!

india wearables market

  • -इससे चीन में फैक्टरी ऑर्डर पर भारी असर पड़ा है
  • -चीन में एक के बाद एक कई फैक्ट्रियां बंद हो रही

नई दिल्ली। india wearables market: केन्द्र सरकार के एक फैसले से चीन को बड़ा झटका लगा है। भारत में ईयरबड, नेक बैंड और स्मार्टवॉच जैसे वियरेबल्स का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय ब्रांडों ने देश के 75प्रतिशत वियरेबल्स बाजार पर अपना प्रभुत्व जमा लिया है। इससे चीन की फैक्ट्रियों के ऑर्डर पर बड़ा असर पड़ा है। नतीजा यह है कि देश में एक के बाद एक कई फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं।

पिछले साल भारत में लगभग 8,000 करोड़ रुपये के वियरेबल्स का निर्माण किया गया था। इसकी मुख्य वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का एक बड़ा फैसला है। सरकार ने पूरी तरह से तैयार पहनने योग्य वस्तुओं के आयात पर 20 प्रतिशत का मूल सीमा शुल्क लगाया था। इसके चलते कंपनियां चीन से उत्पाद आयात करने के बजाय देश में ही इनका निर्माण करने लगीं। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा वियरेबल्स बाजार बनकर उभरा है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, बोट और गिजमोर जैसे ब्रांड देश में ज्यादातर वियरेबल्स का निर्माण कर रहे हैं। इन कंपनियों ने चिप निर्माता डिक्सन टेक्नोलॉजीज और ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स से हाथ मिलाया है। नोएडा स्थित गिज़मोर के मुख्य कार्यकारी संजय कलिरोना ने कहा, वियरेबल्स असेंबलिंग चीन से भारत में स्थानांतरित हो गई है। इससे चीनी असेंबलिंग कंपनियों के पास करने के लिए कोई काम नहीं रह जाता है।

पहले हम वहां से पूरी तरह से निर्मित इकाइयां आयात कर रहे थे। हालाँकि, चूंकि सरकार ने पहनने योग्य वस्तुओं पर शुल्क लगाया है, हम उन्हें सेमी-नॉक-डाउन फॉर्म में ऑर्डर करते हैं और उन्हें यहां इक_ा करते हैं। इसके चलते भारत में सप्लाई करने वाली कंपनियों के पास अब किसी भी तरह का ऑर्डर नहीं है।

बोट के मुख्य कार्यकारी समीर मेहता ने कहा 75 प्रतिशत ऑडियो उत्पाद और 95 प्रतिशत स्मार्टवॉच देश में निर्मित होते हैं। पिछले साल से पहले यह आंकड़ा 20 से 25 फीसदी ही था। मेहता ने कहा, पिछले साल भारत में वियरेबल्स की खपत सबसे ज्यादा रही है। इसके चलते कंपनियों ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग भारत में ही शिफ्ट कर दी है। इस वजह से चीनी कंपनियों के पास कोई काम नहीं बचा है। कुछ बंद भी हुए हैं।

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