निलंबित IPS जीपी सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी, राजद्रोह हटाने मामले में फैसला सुरक्षित
बिलासपुर/नवप्रदेश। Suspended IPS GP Singh : आय से अधिक सम्पति व राजद्रोह से जुड़े एफआईआर को निरस्त करने के लिए आईपीएस जीपी सिंह द्वारा लगाई गई याचिका पर मंगलवार को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जस्टिस रजनी दुबे की अदालत में सुनवाई हुई। दो घण्टो तक चली बहस के बाद कोर्ट ने फैसला न देते हुए याचिका सुरक्षित रख ली है।
हाईकोर्ट में मंगलवार को हुई सुनवाई में जीपी सिंह (Suspended IPS GP Singh) के अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने करीब 250 पेज की याचिका दायर की है। इसमें मुख्य रूप से बताया गया है कि किसी भी राजपत्रित व सिविल सेवा के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के पूर्व जरूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। धारा 17 (क) के तहत सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमति लेना जरूरी है, लेकिन जीपी सिंह के खिलाफ की गई कार्रवाई में न तो सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमति ली गई है और न ही केंद्रीय कार्मिक विभाग से अनुमति ली है। यही वजह है कि शासन की यह पूरी कार्रवाई दूषित व गैरकानूनी है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों का भी हवाला दिया गया है।
वही शासन की ओर से कहा गया कि जीपी सिंह के मामले में ऐसी अनुमति लेने की बाध्यता नही है। जीपी सिंह के अधिवक्ता ने मामले की अंतिम सुनवाई तक कार्यवाही पर स्टे देने का आग्रह किया। दोनो पक्षो के तर्क सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया हैं।
उल्लेखनीय है कि राजद्रोह व आय से अधिक सम्पति के मामले में एफआईआर के बाद निलंबित आईपीएस (Suspended IPS GP Singh) सुप्रीम कोर्ट गए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर विचार न करते हुए इसे छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट को स्थानांतरित कर दिया था। निलंबित आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ राजद्रोह और अन्य मामलों में एसीबी ने FIR दर्ज किया था। इसके अलावा भिलाई के एक व्यापारी ने अपराध दर्ज कराया है। जिसमें कहा गया है कि साल 2016 में जीपी सिंह ने उसे झूठे केस में फंसाने का भय दिखाकर 20 लाख की उगाही की थी। इस एफआईआर की कार्यवाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर जीपी सिंह दोबारा हाईकोर्ट पहुंचे हैं।