Fire Audit : इन बिंदुओं पर जांच करने अस्पतालों में पहुंची नगर निगम की टीम |

Fire Audit : इन बिंदुओं पर जांच करने अस्पतालों में पहुंची नगर निगम की टीम

Fire Audit: Municipal corporation team reached hospitals to investigate these points

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रायपुर/नवप्रदेश। Fire Audit : राजधानी रायपुर में भी कलेक्टर सौरभ कुमार ने अस्पतालों के फायर ऑडिट के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे। जिसके बाद बुधवार को नगर निगम और जिला प्रशासन की टीम शहर के विभिन्न अस्पतालों में जाकर फायर ऑडिट कर रही है। इसी क्रम में राजधानी रायपुर का निगम अमला जोन 2 के तमाम हॉस्पिटलों में पहुंच कर फायर सेफ्टी के लिए किए जा रहे उपायों को जांचने पहुंची है।

जोन क्रमांक 2 के जोन कमिश्नर विनय मिश्रा ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि नगर निगम जोन क्रमांक 2 के तहत आने वाले अस्पतालों में से रूपजीवन हॉस्पिटल, गावरी हॉस्पिटल, जुबेस्ता हॉस्पिटल, साईंमिश्रा हॉस्पिटल, पाठक हॉस्पिटल का आज फायर ऑडिट किया गया है। इस दौरान रायपुर के डिप्टी कलेक्टर मुकेश कोठारी, नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के अधिकारी के. जगत, देवेन्द्र नगर, गंज पुलिस थाना के सहायक उप निरीक्षक सहित फायर विभाग के जवान मौजूद थे।

7 निजी अस्पतालों में पहुंची फायर ऑडिट टीम

विनय मिश्रा ने बताया कि फायर आडिट (Fire Audit) करने की कार्यवाही के संबंध में रायपुर जिला कलेक्टर द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप निर्धारित विभिन्न 17 बिन्दुओं पर जांच पड़ताल की गई है। नगर निगम जोन क्रमांक 2 के क्षेत्र में 7 निजी अस्पतालों का फायर आडिट टीम द्वारा नियमानुसार फायर आडिट की कार्यवाही शीघ्र पूर्ण कर इसकी रिपोर्ट के आधार पर सम्बंधित हॉस्पिटल प्रबंधकों को आवश्यक निर्देश जारी कर दिये जायेंगे।

फायर ऑडिट में यह भी परखा जाएगा

  • फायर आडिट के तहत जांच दल को 17 से अधिक बिंदुओं पर पड़ताल करनी होगी।
  • जिसके तहत अस्पताल में आग बुझाने के कितने अग्निशमन यंत्र हैं?
  • अग्निशमन यंत्रों की एक्सपायरी डेट कब तक की है?
  • आखिरी बार फायर आडिट कब की गई थी?
  • अस्पताल प्रबंधन ने आग हादसों से बचाव के लिए किस तरह के इंतजाम किए हैं?
  • किसी भी अस्पताल में अग्नि हादसे की दशा में फायर एग्जिट गेट या इमरजेंसी डोर है या नहीं?
  • भर्ती मरीजों को हादसे के दौरान अस्पताल से बाहर निकालने के कितने इंतजाम हैं?
  • इवेक्यूएशन में अधिकतम कितना समय लगेगा?
  • अस्पताल में धुंआ या गैस भर जाने की स्थिति में वेंटिलेशन की व्यवस्था है या नहीं?
  • शार्ट सर्किट को रोकने के लिए बचाव के क्या साधन हैं?
  • दुर्घटना की स्थिति में मरीजों का रेस्क्यू कैसे होगा?
  • अस्पताल प्रबंधन ने हादसे के दौरान बचाव के लिए कोई टीम बनाई अथवा नहीं?
  • हाइड्रेंट और स्मोक डिटेक्टर काम करने की स्थिति में हैं या नहीं?

शॉर्ट सर्किट से कई लोगों की गई जान

ज्ञात हो कि इसी माह भोपाल के हमीदिया अस्पताल में आग (Fire Audit) लगने से 12 बच्चों की मृत्यु हुई थी। इसके बाद हेल्थ विभाग ने राजधानी समेत प्रदेशभर के अस्पतालों की फायर ऑडिट करने का फैसला किया। राजधानी में सरकारी और निजी अस्पताल बड़ी संख्या में हैं, इसलिए ऑडिट यहीं से शुरू होगी। इस दौरान आक्सीजन सप्लाई के इंतजाम और लीकेज की जांच पर फोकस होगा।

अप्रैल महीने में रायपुर के एक निजी अस्पताल के आईसीयू में आग लगने से पांच मरीजों की मौत हो गई थी। इसमें से एक मरीज की झुलसने से और शेष चार की धुएं की वजह से दम घुटने से हुई। शुरुआती जांच में सामने आया था कि उस अस्पताल में आग बुझाने का इंतजाम नहीं था। आपातकालीन निकासी की भी व्यवस्था नहीं थी। हादसे के बाद सरकार ने फायर ऑडिट का आदेश दिया था।

रायपुर के कचना स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी की एक बहुमंजिली इमारत में बुधवार को अचानक आग लग गई। इस आग में एक 13 वर्षीय बच्ची की दर्दनाक मौत हो गई। बताया गया कि यह आग शॉर्ट सर्किट से लगी थी। आग बुझाने का कोई इंतजाम नहीं था, ऐसे में लोग फायर ब्रिगेड का इंतजार करता रहा। इस बीच बच्ची बुरी तरह जल गई।

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