दिल्ली आंदोलन से सीख लेकर छत्तीसगढ़ के किसान भी कर रहे हैं आंदोलन, मंत्री से चर्चा संतोषजनक नहीं |

दिल्ली आंदोलन से सीख लेकर छत्तीसगढ़ के किसान भी कर रहे हैं आंदोलन, मंत्री से चर्चा संतोषजनक नहीं

Farmers of Chhattisgarh are also protesting after learning from Delhi movement, discussion with minister is not satisfactory

CG Kisan Andolan

रायपुर/नवप्रदेश। CG Kisan Andolan : छत्तीसगढ़ की राजधानी में भी नवा रायपुर निर्माण के समय प्रभावित हुए हजारों किसान आंदोलन पर बीते 12 दिनों से बैठे हैं। आंदोलन की खबर प्रदेश के मुखिया को लगते ही उन्होंने मंत्री को किसानों से चर्चा करने भेजा, लेकिन समाधान नहीं निकल पाया।

दिल्ली में एक साल से भी जयादा चले किसानों के आंदोलन को देखते हुए अब छत्तीसगढ़ के प्रभावित किसानों ने भी उसी तर्ज पर अपना रवैया अख्तियार कर लिया है। बीते 12 दिनों से ठिठुरते ठंड और असामयिक हो रही बारिश की परवाह किये बिना 27 गांव के प्रभावित किसान अपनी मंग को लेकर डटे हुए हैं। इन किसानों ने नवा रायपुर प्रभावित किसान संघ के बैनर तले करीब हजारों किसान जिसमे महिलाएं, बच्चे, युवा, बुजुर्ग सभी इस आंदोलन में स्वस्फूर्त शामिल हो गए हैं।

किसानों का कहना है कि नया रायपुर का निर्माण जिस समय किया जा रहा था उस समय जो किसानों से जमीन अधिग्रहण किया गया उसके लिए तत्कालीन राज्य सरकार ने किसानों से जो वादा किया उसे आज तक पूरा नहीं किया गया है। किसानों ने पूर्ववर्ती सरकार के सामने भी कई बार अपनी मांग रखी लेकिन केवल आश्वासन देकर टालमटोल किया गया। लेकिन अब ये किसान अपनी मांगें पूरी नहीं होने तक आंदोलन करते रहने की बात कह रहे हैं। इन आंदोलनरत किसानों को देश के कई किसान व दूसरे संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है।

चर्चा समाधानकारक नहीं

इधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CG Kisan Andolan) ने आंदोलित किसानों से वार्ता करने नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया को कहा था। नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर की माने तो क्षेत्रीय विधायक और नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने नवा रायपुर क्षेत्र के सात गांवों के सरपंचों को बातचीत के लिए बुलाया था। सरपंचों ने आंदोलनकारियों की ओर से उठाई जा रही मांगों को रखा। मंत्री ने किसानों को मांग जल्द पूरा करने का आश्वासन देकर प्रदर्शन को खत्म करने कहा लेकिन सभी किसान असहमत हो गए और वार्ता असफल हो गई। चंद्राकर ने बताया कि सार्थक चर्चा के लिए किसान हमेशा तैयार हैं, लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद कथनी और करनी में अंतर दिखाई दे रहा है। जो अब प्रभावित किसानों को बर्दाश्त नहीं है। यही कारण है कि सरकार और किसानों के बीच हुए वार्ता के विफल हो जाने के बाद किसानों का आंदोलन आज भी नवा रायपुर में जारी है।

Farmers of Chhattisgarh are also protesting after learning from Delhi movement, discussion with minister is not satisfactory
CG Kisan Andolan

आंदोलनकारी किसानों की यह है मांग

नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने बताया कि नवा रायपुर पुनर्वास योजना के अनुसार अर्जित भूमि के अनुपात में उद्यानिकी, आवासीय और व्यावसायिक भूखंड पात्रतानुसार नि:शुल्क मिलने के प्रावधान का पालन किया जाए। भू-अर्जन कानून के तहत हुए अवार्ड में भूस्वामियों को मुआवजा प्राप्त नहीं हुआ है उन्हें बाजार मूल्य से 4 गुणा मुआवजा मिले। नवा रायपुर क्षेत्र में ग्रामीण बसाहट का पट्टा दिया जाए। वार्षिकी राशि का पूर्ण रूपेण आवंटन किया जाए। पुनर्वास पैकेज-2013 के तहत सभी वयस्कों को मिलने वाला 1200 वर्गीय प्लॉट दिया जाए। साल 2005 से भूमि क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को तत्काल हटाया जाए एवं आबादी से लगी गुमटी, चबूतरा, दुकान, व्यावसायिक परिसर के प्रभावितों को लागत मूल्य पर देने के प्रावधान का पालन किया जाए।

भाजपा पर कृषि मंत्री का तंज

नया रायपुर स्थित नया राजधानी में प्रदेश के किसानों ने धरना शुरू (CG Kisan Andolan) कर दिया है। छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने किसानों के द्वारा किए जा रहे आंदोलन पर मुख्यमंत्री द्वारा संज्ञान लिए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया को किसानों से चर्चा के लिए भेजा था। किसानों ने मंत्री से चर्चा की लेकिन बात अब तक नहीं बनी। कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के समाधान के लिए राज्य सरकार तत्पर है और जल्द ही इसका समाधान निकाला जाएगा।

वहीं मंत्री चौबे ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि यह दुर्भाग्य है कि भाजपा ने अपने 15 सालों की हुकूमत में जमीन छीनने का काम, समझौता करने का काम और उससे मुकरने का काम ही डॉ रमन सिंह और उनकी सरकार ने किया था। अब किसानों को भी मालूम है कि भाजपा का समर्थन लेकर उन्हें कोई फायदा नहीं होने वाला है। यही कारण है कि किसानों ने भाजपा से दूरी बना कर रखना ही मुनासिब समझा। दरअसल, किसानों के इस धरने को समर्थन देने के लिए बीते दिनों भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता आंदोलन स्थल पर पहुंचे थे लेकिन बताया जा रहा है कि किसानों ने भाजपा का समर्थन लेने से मना कर दिया है।

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