Exclusive : PCCF चतुर्वेदी ने नवप्रदेश को बताया, हाथियों से फसलें बचाने अनोखा पायलट प्रोजेक्ट इन दो...

Exclusive : PCCF चतुर्वेदी ने नवप्रदेश को बताया, हाथियों से फसलें बचाने अनोखा पायलट प्रोजेक्ट इन दो…

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Elephant Human Conflict in Chhattisgarh : हाथियों के उत्पात से फसलों व ग्रामीणों को बचाने वन विभाग नायाब व प्राकृतिक तरीका अपनाने की योजना पर काम कर रहा है

रायपुर/नवप्रदेश। Elephant Human Conflict in Chhattisgarh : प्रदेश समेत देश के कई भागों में फसलों को हाथियों के उत्पात से बचाना किसानों के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इंसान व हाथियों के संघर्ष के किस्से भी आए दिन देखने सुनने को मिलते हैं।

लेकिन अब प्रदेश में हाथियों (Elephant Human Conflict in Chhattisgarh) के उत्पात से फसलों व ग्रामीणों को बचाने वन विभाग नायाब व प्राकृतिक तरीका अपनाने की योजना पर काम कर रहा है।

इससे इंसानी हरकतों से हाथियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी। प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने नवप्रदेश को इसके बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मधुमक्खियों की मदद से हाथियों को रहवासी इलाकों व फसलों से दूर रखने की योजना पर वनविभाग काम कर रहा है।

कोरबा व कठघोरा वन मंडल इसके पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। उल्लेखनीय है कि मधुमक्खियों की भिनभिनाने की आवाज मात्र से ही हाथी अपने इलाकों में लौट जाते हैं। उन्हें मधुमक्खियों से डर लगता है। इस तकनीक से किसानों को शहद के रूप में अतिरिक्त आमदनी भी हो सकेगी।

17-18 गांवों का बनेेगा क्लस्टर :

चतुर्वेदी ने बताया कि कोरबा व कठघोरा वनमंडल में इस संबंध के पायलट प्रोजेक्ट के लिए सर्वे किया जा रहा है। इसके बाद डीपीआर तैयार करके प्रोजेक्ट के लिए फंड उपलब्ध कराया जाएगा। इन वनमंडल में मधुमक्खियों के जरिए हाथियों से ग्रामीणों व फसलों के साथ ही हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 17-18 गांवों का क्लस्टर बनाने के लिए कहा गया है।

इस क्लस्टर के आसपास मधुमक्खी पालन के बॉक्स स्थापित किए जाएंगे। उम्मीद है कि इस वर्ष बारिश के बाद ये पायलट प्रोजेक्ट मूर्त रूप ले लेगा। इससे होगा ये कि क्लस्टर के आस पास हाथियों के आते ही मधुमक्खियों के भिनभिनाने से वे इसमें प्रवेश नहीं करेंगे। यदि ये योजना सफल रही तो फिर पूरे प्रदेश के हाथी प्रभावित इलाकों में भी इस पर काम किया जाएगा।

यू ट्यूब पर देखी तकनीक

चतुर्वेदी ने बताया कि उन्होंने यह तकनीक यू ट्यूब पर देखी, जिसके बाद इसका प्रयोग करने का आइडिया उनके मन में भी आया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि उन्होंने जो वीडियो देखा था वो कीनिया का था।

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