सामाजिक न्याय के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पैरोकार CM भूपेश बघेल |

सामाजिक न्याय के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पैरोकार CM भूपेश बघेल

CM Bhupesh Baghel, advocate of rural economy with social justice

CM Bhupesh

यशवंत धोटे, समूह संपादक दैनिक नव प्रदेश

रायपुर/नवप्रदेश। CM Bhupesh : पौने तीन करोड़ की आबादी वाले छत्तीसगढ़ राज्य में सत्ता के पौने तीन साल में दो साल कोरोना और कुछ समय तक अपने दल के आन्तरिक लोकतंत्र के मोर्चे पर लड़ते बम्पर जनादेश वाली सरकार के मुखिया भूपेश बघेल को सामाजिक न्याय के साथ ग्र्रामीण अर्थव्यवस्था का पैरोकार ऐसे ही नही कहा जाता।

गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के सूत्र वाक्य के पीछे छत्तीसगढ़ की बहुसंख्यक ग्रामीण पिछड़ी आबादी को सामाजिक और आर्थिक न्याय के साथ जोडऩा इस ध्येय वाक्य का उद्देश्य है । दरअसल इसे समझने के लिए थोड़ा अतीत में जाने की जरूरत है। राज्य के 90 फीसदी विधायक ग्रामीण और किसान पृष्ठभूमि से है। इससे पहले चाहकर भी वे अपने साथ न्याय नही कर पा रहे थे। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने हर काम को न्याय की कसौटी पर कसने का जो संकल्प लिया वह पौने तान साल बाद पूरा होता दिख भी रहा है।

धान के काश्तकारों को तो पिछले दो सालो से राजीव गांधी योजना के तहत समर्थन मूल्य और राज्य सरकार द्वारा घोषित अन्तर की राशि बराबर मिल रही थी लेकिन खेतिहर मजदूर छूट रहे थे सो ग्र्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना लाकरे उन्हे सामाजिक सुरक्षा दे दी। 1 सिंतंबर से शुरू होने वली इस योजना से राज्य के 10 लाख से अधिक भूमिहीन खेतिहर मजदूर लाभान्वित होगें। इसमें प्रतिवर्ष प्रति परिवार को 6000 रूपए मिलेगें। वैसे तो सामाजिक न्याय के आलोक में शुरूआती दिनो में ही उन्होने पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण की घोषणा कर दी थी लेकिन हमेशा की तरह मामला हाइकोर्ट पहुंचा और उस पर रोक लग गई।

दरअसल, देश में तमिलनाड़ु एक ऐसा राज्य जहा सुप्रीमकोर्ट की सीलिंग 50 फीसदी से अधिक 69 फीसदी आरक्षण है। उसके पीछे का मूल कारण यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री स्व.जयललिता ने 1998 में केन्द्र में भाजपा को समर्थन इसी शर्त पर दिया था कि तमिलनाड़ु में दिया जाने वाला 69 फीसदी आरक्षण बरकरार रहे। सो तत्कालीन प्रधानमंंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने इस आरक्षण को संविधान की 9 वी अनुूसूची में डालकर बरकरार रखा है। भूपेश बघेल को भी सामाजिक न्याय के मोर्चे पर एक लड़ाई और लडऩी होगी । वैसे वे प्रारम्भिक तौर पर वे राज्य की विधानसभा के एक शासकीय संकल्प पारित कर केन्द्र सरकार को भेज सकते है।

देशव्यापी मन्दी और घटती जीडीपी के बावजूद राज्य की “ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नब्ज पर हाथ रखने वाले इस किसान पुत्र (CM Bhupesh) नें छत्तीसगढ़ चेम्बर आफ कामर्स के एक कार्यक्रम में व्यापारियो की शिकायत का सीधा, सरल सा जवाब दिया। व्यापारी कर रहे थे कि आप किसानो ग्रामीणों के लिए सब कुछ कर रहे है लेकिन व्यापारियों के लिए कुछ नही है।

मुख्यमंत्री बघेल (CM Bhupesh) ने अपने जवाब में कहा कि मैने आपके ग्राहक की जेब में पैसा डाल दिया है अब आप उनके जेब से निकाल सकते हैं। 2 रूपए किलो गोबर खरीदने वाली गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी न्याय योजना हो या फिर भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना हो ये सारी योजनाए ग्रामीण गरीबी से आजादी के सामाजिक न्याय की कसोटी पर कसी गई है इसलिए भूपेश बघेल को सामाजिक न्याय का नया अवतार भी कहते है ।

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