Cabinet Expansion in Maharashtra : CM शिंदे ने अधिकारियों को दी ये ‘सुपरपॉवर’
महाराष्ट्र/नवप्रदेश। Cabinet Expansion in Maharashtra : महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के सत्ता संभालने के बाद से मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं जोरों पर हैं। निर्धारित मंत्रिमंडल विस्तार में देरी के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने नौकरशाहों को अर्ध-न्यायिक शक्तियां प्रदान की हैं। सीएम के इस कदम पर विपक्ष ने नाराजगी जताई है। अजीत पवार, कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहेब थोराट और कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंधे ने सीएम के फैसले को अलोकतांत्रिक करार दिया है।
वहीं, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Cabinet Expansion in Maharashtra) ने रविवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बयान को दोहराते हुए कहा कि कैबिनेट विस्तार जल्द ही होगा। उन्होंने कैबिनेट विस्तार को लेकर कोई तारीख नहीं बताई है। शिंदे गुट के नेता दीपक केसरकर ने पहले कहा था कि मंत्रिमंडल का विस्तार रविवार से पहले होगा। भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने गुरुवार को घोषणा की कि मंत्रिमंडल का विस्तार 15 अगस्त से पहले होगा ताकि अभिभावक मंत्री अपने-अपने जिलों में राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकें।
दिल्ली में शिंदे और फडणवीस
बता दें कि एकनाथ शिंदे और फडणवीस दिल्ली की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। दोनों नेता शनिवार को आजादी के अमृत महोत्सव की बैठक में शामिल हुए। शिंदे रविवार को नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक में शामिल हुए।
पवार ने शिंदे पर साधा निशाना
अजीत पवार ने एकनाथ शिंदे के फैसले पर निशाना साधते हुए कहा कि शिंदे सीएम के रूप में शपथ लेने के एक महीने से अधिक समय तक अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने में विफल रहे। नौकरशाहों के बजाय सभी शक्तियां मुख्य सचिव को सौंपी जानी चाहिए थीं। हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हैं। विधायकों के पास कोई शक्ति नहीं है और न ही कोई कैबिनेट सदस्य हैं। ऐसी परिस्थितियों में नौकरशाह निर्वाचित प्रतिनिधियों की तुलना में अधिक शक्तिशाली हो गए हैं।
शिंदे का पलटवार
विपक्ष की आलोचना (Cabinet Expansion in Maharashtra) के बीच शिंदे ने कहा कि अर्ध-न्यायिक मामलों को छोड़कर सचिवों को कोई मंत्रिस्तरीय अधिकार नहीं दिया गया है। सभी शक्तियां पहले की तरह मंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास निहित हैं। यह कहना पूरी तरह गलत है कि सभी निर्णय लेने की प्रक्रिया सचिवों को सौंप दी गई है। उन्होंने कहा कि 4 अगस्त के आदेश के अनुसार, मंत्रियों की कुछ शक्तियां सचिवों को प्रदान की गई हैं, लेकिन ये केवल अर्ध-न्यायिक मामलों को दाखिल करने और सुनवाई के लिए हैं।