बातों…बातों में…! चुनावी एजेंडा, कामयाब राजनीतिज्ञ, साहब लोग…सावधान हो जाएं |

बातों…बातों में…! चुनावी एजेंडा, कामयाब राजनीतिज्ञ, साहब लोग…सावधान हो जाएं

Election Agenda, Successful Politicians, Honorable People… Beware

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सुकांत राजपूत

टीम बाबा…

baton baton main भाजपा के लिए जिस तरह बिरजू भैइया संकटमोचन हनुमान साबित होते रहे हैं। ठीक उसी तरह अब कांग्रेस के बिरजू बाबा एंड टीम है। प्रदेश की 15 साल की सत्ता को उखाड़ फेंकने वाले सिंहदेव ही वो शक्सियत हैं जिन्हों ने धूप, बारिश, ठंड में सूबे के हर इलाकों में गए और लोगों से बात कर कांग्रेस का चुनावी एजेंडा बनाया।

इस मशक्कत के बाद वे सरगुजा के महाराजा के साथ ही राज्य के शहर, कस्बों, ग्रामों और गलियों तक कांग्रेस के बाबा बन गए। हालाकि बाबा तो फिर बाबा हैं फिर राजा को वो नहीं मिला जिसके वे काबिल हैं। खैर, कामयाबी मिली अब उन्हें बिहार का दारोमदार मिला है।

एक बार फिर बाबा अपनी टीम को लेकर बिहार में तंबू ताने बैठे हैं। उनकी टीम में उनके परशुराम और परशुराम की गोद में खेले खबरनवीस भी हैं। ये होती है पार्टी के प्रति बिना किसी लालल और पुरानी मेहनता का नाकाफी ईनाम के बाद भी वफादारी का निजाम। (baton baton main)

गांव के दाऊ…

गांव, गरीब, आदिवासी और किसान जिसके साथ है वो सबसे कामयाब राजनीतिज्ञ है। इन चार वर्गों में से सिर्फ दो श्रेणियों को ही साधकर लगातार 15 साल राज किया। अब सियासी उलेमाओं ने फाल(भविष्यवाणी)खोला है। जानकारों का कहना है कि दाऊ से शहर भले ही छूट रहा है पर गांव, गरीब, आदिवासी और किसान प्रायोरटी से साधा जा चुका है।

जाहिर है अगर इन दावों में 3 वर्ग भी हैं तो 20 साल सत्ता का दावा किया जा सकता है। हालाकि शहरी अब भी खुद को नजरअंदाज सा समझ रहा है पर सच में अगर दाऊ की शोहरत का किसी को संदेह हो तो वह गांव का चक्कर लगा आए। जिसने दूध से ज्यादा नहीं कमाया वो गोबर से मालामाल कर दिया गया है। (baton baton main)

आदिवासी की चिरौंजी नुक्सान में ही सहीं पर सरकार खरीद रही है। किसान को वो सबकुछ मिला जो वादा किया। संविदा कर्मियों को जो बोला वो किया। गरीब को लॉकडाउन के हाल में भी पेटभर राशन अग्रिम में दे दिया गया तो बस फिर क्या 20 नहीं 25 साला सरकार के लिए तैयार रहें।

पलटू वजीर…

कुछ में ये गुण जन्मजात होते हैं तो कोई को यह विरासत में मिलता है। मेरी शर्ट से उसकी शर्ट इतनी सफेद कैसे टाइप वाले नेताओं की सूबे में भरमार है। फिर वो क्या बोल रहे हैं यह समझ नहीं आता। खैर, सत्ता है ही ऐसी चीज कि विरोधी पार्टी की सत्ता वाले राज्य में हुई बर्बर घटना के लिए अपनी साइज और मुंह से बड़ा बयान देने वाले एक वजीर ने अब पलटी मार दी है।

बलरामपुर में मासूम से गैंगरेप मामले को छोटा बताकर हाथरस के मामले को बड़ा बताने की गलती कर गए। महज पार्टी के आकाओं और विरोधी दल की फजीयत की नियत से दिया गया गंभीर बयान उनके गले की हड्डी बन गया। विपक्षी भी ये मौका कैसे चूकते और तत्काल उनकी जुबान पकड़ लिए। बस अब खुद को घिरते देखकर पलटू वजीर सफाई पेश कर रहे हैं। (baton baton main)

हैंडसम कॉप…

राजधानी के थानों में अब हिरो टाइप हैंडसम कॉप्स की भरमार है। एक वक्त था बेल्ट और वर्दी की शर्ट की बटन तोड़ता लंबा उदर, वर्दी का पैंट पीछे से दो फाड़ में दिखती मोटी बेडोल कमर वाले ही तैनात थे। चलने, दौडऩे और उठने-बैठने में ही तकलीफ नहीं बल्कि कई तो गंभीर बवासीर से परेशान थाना के प्रभार देख रहे थे।

अब राजधानी के थानेदार ऐसे लुक में हैं कि कमसीन उन्हें देखने-छेडऩे के लिए लरज रही हैं। गोलबाजार थाना हो या फिर रायपुर की सदर पुलिस लाइन के डीएसपी। महंगा रेबन गॉगल, वी-शेप बॉडी, 6 पैक के साथ ही उम्र भी माशाअल्लाह कम। इन हिरो टाइप के अफसरों का डीएफ में यूं एक साथ राजधानी में आना वक्त बे वक्त कुछ गुल खिलाएगा। (baton baton main)

बातों ही बातों में एक अनफिट अफसर ने ईष्र्या भरे अंदाज में कहा देखना लौंडे हैंडसम हैं उनका ब्रांडेड रेबन ग्लास रैली, धरना, प्रदर्शन के साथ ही अब अफसरों के सामने भी नहीं उतरता। एक वक्त था जब बस्तर में एक आईएएस का गॉगल उनके लिए मुसीबत बन गया था। तो जिला पुलिस बल के साहब लोग…सावधान हो जाएं। हैंडसम मुसीबत बस कभी भी दस्त दे सकती है।

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