बस्तर का नक्सल गांव, जहां राशन लेने 20 किलोमीटर चलना पड़ता है पैदल

 बस्तर का नक्सल गांव, जहां राशन लेने 20 किलोमीटर चलना पड़ता है पैदल

  •  राशन लेने सुबह घर से निकले ग्रामीण रात तक लौटते हैं घर

जगदलपुर। नक्सली प्रभावित जिले दंतेवाड़ा में एक ऐसा गंाव हैं जहां राशन लेने के लिए ग्रामीण सुबह 6 बजे गंाव से रवाना होना पड़ता है और शाम 7 बजे राशन लेकर घर लौटता है। एक दिन की छुटटी लेकर बीस किलोमीटर का सफ र तय करना पड़ता है, तब कहीं जाकर एक महीने का राशन उपलब्ध हो पाता है।
कुआकोंडा विकास खण्ड के ग्राम पंचायत नहाड़ी के आश्रित ग्राम मुलेर के गंाव प्रमुख हड़मा कोसा ने बताया कि इस गंाव के लोगों को सरकारी अनाज के लिए हर महीने 20 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है। मुलेर के ग्रामीणों को हर महीने राशन अरनपुर में मिलता है और अरनपुर से मुलेर की दूरी 20 किलोमीटर है। कुआकोंडा ब्लाक में गाड़ी से मुलेर पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। ग्रामीण पैदल ही पहाड़ उतरकर हर महीने राशन के लिए अरनपुर पहुंचते हैं।
हड़मा कोसा ने बताया कि हमारा गांव सुकमा और दंतेवाड़ा जिले की सरहदी सीमा पर स्थित है। मुलेर में कुल 120 परिवार रहते हैं, इनमें 80 परिवारों को 7 से 14 किलो राशन मिलता है और 40 परिवारों को हर महीने 35 किलो राशन मिलता है, जिन परिवारों को 7 से 14 किलो राशन मिलता है, उन परिवारों के सदस्यों ने बताया कि ब्लाक मुख्यालय कुआकोंडा से गांव की दूरी जंगल के रास्ते 50 किलोमीटर पड़ती है। जबकि मुख्य सड़क गादीरास से भी 100 रुपए खर्च कर ग्रामीण 50 किलोमीटर सफ र तय कर कुआकोंडा पहुंचते हैं। हड़मा कोसा ने कहा इसी वजह से कई परिवार के सदस्यों के बैंक खाते सहित आधार कार्ड नहीं बन पाए हैं और राशन कार्ड में नाम नही जुड़ पा रहा है।

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