संसद का शीतकालीन सत्र हंगामो की भेंट न चढ़े
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है जो 23 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र में नागरिकता संशोधन विधेयक सहित कई और महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराया जाना प्रस्तावित है। संसद के इस सत्र में भी विपक्ष ने विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। विपक्ष का यह अधिकार है कि वह सरकार की नाकामियों को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा करें।
विपक्ष ने अर्थव्यवस्था की बदहाली और देश में किसानों की दुर्दशा तथा बेरोजगारी की समस्या आदि को लेकर सरकार पर हमला करने की रूप रेखा बनाई है। विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए सत्ता पक्ष ने भी अपनी रणनीति तय कर रखी है। यहां तक तो ठीक है लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष को चाहिए कि वे संसद में हर मुद्दों पर सार्थक चर्चा करें, लेकिन शीतकालीन सत्र को हंगामों की भेंट न चढऩे दें।
संसद सत्र शुरू होने के पूर्व सर्वदलीय बैठक आहुत की गई थी जिसमें सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेतओं ने शिरकत थी संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के लिए उनमें सहमति बनी है। किन्तु यह सहमति संसद सत्र के दौरान कायम रहती है या नहीं यह देखना होगा। गौरतलब है कि इसके पूर्व ज्यादातर संसद सत्र हंगामों की भेंट चढ़ते रहे है। जिसकी वजह से कई महत्वपूर्ण विधेयक लटक जाते है।
कश्मीर में चल रहा है आतंक का अंत अभियान
नागरिकता संशोधन विधेयक के अलावा दिल्ली में अनाधिकृत कालोनियों के नियमितिकरण और डाक्टरों पर हमले के लिए दोषी लोगों के लिए 10 साल तक की सजा देने संबंधि कई विधेयक इस सत्र में सदन के पटल पर रखें जाएंगें। जिसे कानूनी शक्ल देने के लिए सरकार संकल्पित है किन्तु यह तभी संभव है जब विपक्ष इसमें सरकार का सहयोग करें।
गौरतलब है कि पिछले सत्र में कश्मीर से ३७० को खत्म करने संबंधि विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पारित कराया जा चुका है। इसके बाद जम्मू कश्मीर को अस्थायी तौर पर मिले विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया गया है इसके बाद अब सामान नागरिक सहिंता विधेयक में संशोधन करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत में बसे हिन्दुओं, सिखों, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइ शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जा सकेगी।
उम्मीद की जानी चाहिए कि संसद का शीतकालीन सत्र सुचारू रूप सें चलेगा और इस सत्र के दौरान सभी अहम मुद्दों पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सार्थक बहस होगी और महत्वपूर्ण विधेयक इस सत्र में पारित हो पाएंगे।