Punjab Vidhansabha : केजरीवाल की राह पर मान
Punjab Vidhansabha : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने भी नई दिल्ली के मुख्यमंत्री और अपने गुरू अरविंद केजरीवाल की राह पकड़ ली है। मान ने भी पंजाब विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल से निवेदन किया है। उनका कहना है कि वे पंजाब विधानसभा में अपनी सरकार का विश्वास मत साबित करना चाहते है। मजे की बात यह है कि पंजाब में विपक्ष ने भगवंत सिंह मान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश ही नहीं किया है और न ही विपक्ष का ऐसा कोई ईरादा है।
इसके बाद भी भगवंत सिंह मान इस बात पर अड़े हुए है कि उन्हे सदन (Punjab Vidhansabha) में शक्ति प्रदर्शन का अवसर दिया जाए किन्तु पंजाब के राज्यपाल ने इस बारे में कानूनी सलाह लेने के बाद भगवंत सिंह मान के अनुरोध को ठुकरा दिया है। अब भगवंत सिंह मान राज्यपाल पर और केन्द्र सरकार पर आरोप लगा रहे है कि वे पंजाब में लोकतंत्र की हत्या कर रहे है।
गौरतलब है कि पंजाब सरकार गले तक कर्ज में डूबती जा रही है। जनता से उसने जो लोक लुभावन वादे किए थे उसे पूरा नहीं कर पा रही है, ऊपर से भगवंत सिंह मान नशे की हालत मेें विमान से ऊतारे जाने के बाद से चौतरफा निंदा झेल रहे है।
यही वजह है कि इन सब बातों से और अपनी सरकार की नाकामियों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए वे आम आदमी पार्टी के फार्मूले को पंजाब में दोहराना चाहते है ताकि सदन का विशेष सत्र बुुलाकर भाजपा के खिलाफ भड़ास निकाली जा सके। नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी यही किया था।
जब उनके मंत्री और विधायक ईडी और सीबीआई के शिकंजे में फंसने लगे तो उन्होने आम आदमी पार्टी के 40 विधायकों को खरीदे जाने का आरोप लगाते हुए नई दिल्ली विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलवाया और विश्वास मत हासिल कर अपने हाथों अपनी पीठ थपथपाई और मोदी सरकार व उपराज्यपाल के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।
भगवंत सिहं मान भी यही करना चाहते है। उन्होने भी आरोप लगाया है कि भाजपा पंजाब के दस विधायकों को खरीदना चाहती है। दोनों ही राज्यों में आम आदमी पार्टी को प्रचंड बहुमत हासिल है और दोनों ही जगह कुछ विधायकों के पार्टी छोडऩे से भी सरकार नहीं गिरेगी, फिर भी इस तरह की नौटंकी कर आम आदमी पार्टी सदन का राजनीतिक उपयोग करना चाह रही है जो कतई उचित नहीं है।
पंजाब के सीएम (Punjab Vidhansabha) मान ने कहा, ”अगर हरियाणा के मुख्यमंत्री और पंजाब के मुख्यमंत्री की कोई मीटिंग केंद्र सरकार की तरफ से बुलाई जाती है तो मुझे मिलने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जैसा अरविंद जी ने कहा कि केंद्र सरकार का यह फर्ज बनता है कि वह इस समस्या का समाधान करें, न कि यह करें कि दोनों को साथ बैठाकर और मीटिंग के बाद दोनों को अपने-अपने बयान देने के लिए छोड़ दे।