Congress President Election : देर आयद दुरूस्त आयद

Congress President Election : देर आयद दुरूस्त आयद

Congress Presidential Election: Late Ayed

Congress President Election

Congress President Election : देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस ने देर से ही सही लेकिन दुरूस्त निर्णय लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए होने जा रहे चुनाव से गांधी परिवार ने खुद को अलग रखने की मंशा जाहिर की है। गौरतलब है कि फिलहाल सोनिया गांधी कंाग्रेस की कार्याकारी अध्यक्ष है और दोबारा वे फिर से कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लडऩा चाहती क्योंकि अब उनका स्वास्थ्य साथ नहीं दे रहा है।

कांग्रेस के अधिकांश नेता यह चाहते है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष (Congress President Election) राहुल गांधी ही फिर से कांग्रेस की कमान संभाल लें लेकिन राहुल गांधी भी कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं है। यही वजह है कि अब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए होने जा रहे चुनाव में गांधी परिवार से बाहर के लोगों को अवसर मिलेगा। इसके लिए दो नामों पर चर्चा चल रही है।

पहले नंबर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत है और दूसरे नंबर पर शशि थरूर का नाम चर्चा में है। अशोक गहलोत को तो सोनिया गांधी ने दिल्ली भी बुलाया और उनसे कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर लंबी चर्चा की है। अशोक गहलोत भी चाहते रहे है कि राहुल गांधी ही कांग्रेस अध्यक्ष बने लेकिन अब उन्होने कहा है कि यदि पार्टी उन्हे कांग्रेस अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाती है तो वे चुनाव लडऩे के लिए तैयार है।

सियासत के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत लगभग ४५ सालों से कांग्रेस में विभिन्न पदों पर रह चुके है। वे केन्द्रीय मंत्री रह चुके है और राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहे है अभी भी वे राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर आसीन है। पार्टी संगठन का भी उन्हे अच्छाखास अनुभव है वे दो बार कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रह चुके है।

यदि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ते है और जीतते है तो निश्चित रूप से कंाग्रेस पार्टी को उनके अनुभव का फायदा मिलेगा। सबसे बड़ी बात तो यह होगी कि भाजपा अब कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप नहीं लग पाएगी।

सोनिया गांधी पिछले दो दशकों से कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर आसीन है बीच में कुछ समय के लिए राहुल गांधी भी अध्यक्ष बने थे लेकिन २०१४ के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होने नैतिकता के नाते अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उन्हे मनाने की बहुत कोशिशें हुई लेकिन वे अपने फैसले पर अडिग़ रहे।

इस बार भी अनेक राज्यों की कांग्रेस कमेटियों ने राहुल गांधी को ही कांग्रेस अध्यक्ष (Congress President Election) बनाने के लिए सर्वसम्मती से प्रस्ताव पारित किया लेकिन राहुल गांधी अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं हुए। बहरहाल कांग्रेस जैसी पार्टी को एक कुशल नेतृत्व की सख्त जरूरत है क्योंकि आज भी कांग्रेस सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और लोकतंत्र में विपक्ष का मजबूत होना बहुत आवश्यक है।

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