Terror Module Exposed : पीएफआई के देशविरोधी मंसूबे
राजेश माहेश्वरी। Terror Module Exposed : बिहार के फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल का खुलासा होने के बाद छानबीन में कई चैंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। खुफिया एजेंसियों के इनपुट के आधार पर फुलवारी शरीफ इलाके के नया टोला में स्थित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के दफ्तर में 11 जुलाई को छापेमारी की गई। इस दौरान वहां से कई संदिग्ध दस्तावेज और आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई। इसमें पीएफआई के मिशन-2047 से जुड़ा एक गोपनीय दस्तावेज भी मिला है।
इसमें भारत को अगले 25 सालों में इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश का जिक्र है। पुलिस ने इस मामले में 26 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है। बीते सप्ताह कुल पांच लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इनकी पहचान शमीम अख्तर, शब्बीर मलिक, ताहिर अहमद, दानिश, अखलाक के रूप में हुई है, जबकि अन्य 21 लोगों की भी पहचान हो गई है। ये सभी देशविरोधी मुहिम में लगे थे। बड़ी बात ये है कि इनमें कुछ बड़े कारोबारी से लेकर कॉलेज स्टाफ तक शामिल थे। देशविरोधी साजिश और भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के खतरनाक मंसूबे पालने वाले कट्टरपंथी कई बड़े खुलासे कर रहे हैं।
पॉपुलर फं्रट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई (Terror Module Exposed) ने मिशन-2047 के लिए बिहार में दो स्तर की योजना की है। पीएफआई प्रथम चरण के तहत प्रदेश के दूर-दराज के इलाकों में स्थित मस्जिदों को साधने की साजिश रची है, ताकि अपना ‘संदेशÓ बिहार के अंदरुनी हिस्सों में फैलाया जा सके। दूसरे चरण के तहत शारीरिक शिक्षा को रखा गया है। इसके तहत युवाओं को मार्शल आर्ट, तलवारबाजी आदि सिखाने की प्लानिंग है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वापस जाने वाले युवाओं को अपने गांवों और इलाकों में ज्यादा से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षित करने का निर्देश दिए जाने की बात कही गई है, ताकि उनलोगों को संगठन से जोड़ा जा सके।
पीएफआई की साजशिों का पता चलने से केंद्रीय एजेंसियों के साथ ही बिहार पुलिस भी सतर्क हो गई है। सूत्रों के अनुसार, पीएफआई के निशाने पर खासकर बिहार का मिथिलांचल और सीमांचल का इलाका है। इन दोनों इलाके के अधिकांश जिलों की सीमाएं नेपाल से लगती हैं और यहां के दूर-दराज वाले इलाके भी काफी पिछड़े हैं। पीएफआई इन इलाकों में अनपढ़े और बेरोजगार युवाओं को टार्गेट करने की फिराक में है। इससे पहले गिरफ्तार संदिग्धों से पूछताछ में पूर्णिया, कटिहर, अररिया, फारबिसगंज, किशनगंज, दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और बांका जिलों में पीएफआई द्वारा कैंप लगाने की बात सामने आ चुकी है। नए खुलासे से सुरक्षा एजेंसियां भी चैकस हो गई हैं, ताकि पीएफआई के मंसूबों पर पानी फेरा जा सके।
बेशक पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) कानूनन आतंकवादी संगठन साबित न हुआ हो, लेकिन यह एक विवादित और संदिग्ध संगठन अवश्य है। इसकी आधारशिला ही आतंकी है, क्योंकि जब सिमी पर पाबंदियां थोपी गई थीं, तो उसके ज्यादातर सदस्य पीएफआई में शामिल हो गए थे। पीएफआई की स्थापना 2007 में की गई थी और इसका मुख्यालय राजधानी दिल्ली के ‘कालिंदी कुंजÓ में पंजीकृत है। देश के विभिन्न हिस्सों में दंगे हुए, हिंदू-मुस्लिम टकराव हुए, सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किए गए, शाहीन बाग जैसे धरने दिए गए और ज्ञानवापी सरीखे सांप्रदायिक विवाद पनपे, उन सबके पीछे पीएफआई की मौजूदगी और रणनीति सामने आई है। देश में पीएफआई को बैन करने की मांग लगातार कई संगठनों द्वारा की जाती रही है।
संभव है कि सरकार भी मंथन कर रही हो और संगठन के खिलाफ साक्ष्य जुटाए जा रहे हों! पीएफआई के इस्लामी संबंधों और समर्थनों की जांच पुख्ता की जा रही हो, लेकिन अभी तक पीएफआई को प्रतिबंधित नहीं किया जा सका है। उसकी सियासी पार्टी ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडियाÓ (एसडीपीआई) कई राज्यों में, कई स्तरों के, चुनाव लड़ती रही है। उस पर भी पाबंदी की कोई पहल नहीं की जा सकी है। बहरहाल अब एक खौफनाक बेनकाब सामने आया है, तो पीएफआई की कलई भी खुले! प्रधानमंत्री मोदी निशाने पर थे और उनके प्रवास के दौरान गड़बड़ी करने की साजिश रची जा रही थी। दूसरा मंसूबा देश के खिलाफ जंग छेड़ देने से कमतर नहीं है।
इस मंसूबे पर काम किया जा रहा था कि भारत को 2047 में, आजादी के 100 साल बाद, ‘इस्लामी देशÓ बनाया जाए। काडर के दिमाग में ये दलीलें घुसाई जा रही थीं कि इस्लाम, यानी मुसलमान, हिंदुस्तान पर राज करता रहा है। बीच में अंग्रेजों ने हुकूमत छीन ली। अब वही हुकूमत हासिल करनी है और कायर बहुसंख्यकों को घुटनों पर लाकर ‘इस्लामी देशÓ बनाना है। बिहार के इसी इलाके में मॉर्शल आर्ट की आड़ में बाकायदा हथियारों और मारने-काटने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। पश्चिम बंगाल, उप्र, तमिलनाडु, केरल आदि राज्यों से लोगों को बुलाकर प्रशिक्षित किया जा रहा था।
सुरक्षा एजेंसियों ने इसे ‘टेरर मॉड्यूलÓ करार दिया है। बहरहाल इन दोनों साजिशों के पीछे पीएफआई का ‘हाथÓ माना जा रहा है। अभी तक जो ‘लीडÓ मिली हैं, वे गुप्तचर ब्यूरो और बिहार पुलिस की हैं। तेलंगाना में भी ऐसे मॉड्यूल की बात कही गई है। अब एनआईए इन साजिशों की गहन और सम्यक जांच करेगी। बेशक प्रधानमंत्री मोदी कई विरोधी और नफरती ताकतों के निशाने पर रहे हैं। यह संपूर्ण दायित्व उनकी सुरक्षा एजेंसियों का है कि देश के प्रधानमंत्री की हिफाजत की जाए। गिरफ्तार आरोपितों में अतहर परवेज भी है, जिसका भाई 2013 की गांधी मैदान रैली में 8 सिलसिलेवार धमाकों के साजिशकारों में शामिल था। मिशन-2047 के लिए क्या करना है, क्या किया जा रहा है और किन इस्लामी देशों से आर्थिक मदद भी लेनी है, इनके ब्यौरे बरामद दस्तावेजों में साफ तौर पर दिए गए हैं।
पीएफआई के 49 झंडे बरामद किए गए हैं। करीब 2 करोड़ मुसलमानों की टीम (Terror Module Exposed) बनाने की योजना है। संघ और हिंदू नेताओं का डाटा तैयार करना है। वैसे तो हर घर से एक मुसलमान को काडर में भर्ती करना है, लेकिन 10 फीसदी मुसलमानों के जरिए ही भारत को ‘इस्लामी देशÓ बनाने का मकसद है। यदि सेना लडऩे उतरी, तो हम इस्लामी देशों से मदद मांगेंगे। यह दस्तावेज में साफ तौर पर दर्ज है। पुलिस के छापों में पीएफआई और एसडीपीआई के झंडों के अलावा बैनर, प्रचार सामग्री भी बरामद की गई है।