Vidhansabha Chunav : राजनैतिक रैलियों से रोक हटे
Vidhansabha Chunav : चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के लिए हो रहे विधानसभा चुनाव में अब राजनीतिक दलों को खुले मैदान में ५० प्रतिशत क्षमता तक की भीड़ जुटाकर आम सभा करने की छूट दे दी है। यह बात समझ से परे है कि किसी खुले मैदान की आधी क्षमता का आंकलन कैसे किया जाएगा। इससे बेहतर तो यह है कि राजनीतिक दलों को भारी भीड़ जुटाने की ही इजाजत दे दी जाए और चुनाव अयोग ने कोरोनाकाल के चलते जो रोक लगाई है उसे हटा लिया जाए।
वैसे भी राजनीतिक पार्टियां अपनी रैलियों में भारी भीड़ जुटाने की होड़ में लगी हुई है। चुनाव अयोग के निर्देशों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है और चुनाव आयोग ऐसी राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ कार्यवाही करने में असमर्थ सिद्ध हो रहा है। उत्तर प्रदेश और पंजाब में भाजपा, कंाग्रेस, समजावादी पार्टी और आम आदमी पार्टी सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं की जनसभाओं में लाखों की संख्या में भीड़ जुट रही है।
तमाम खबरिया चैनलों पर यह खबर लगातार दिखाई जा रही है इसके बावजूद चुनाव (Vidhansabha Chunav) आयेाग इस रैलियों में उमड़ती बेतहाशा भीड़ को लेकर राजनीतिक पार्टियों पर शिकंजा नहीं कस पा रहा है। अब जबकि देश में कोरोना की तीसरी लहर का असर कम होने लगा है और अनेक राज्यों में कोरोनाकाल के कारण लगाई गई पाबंदियां हटाई जा रही है, स्कूल कालेज खोले जा रहे है, सिनेमा घर, जिम और शॉपिंग मॉल आदि फिर से शुरू हो गए है और बाजारों में भी लोग बेखौफ होकर बगैर मास्क के भीड़ बढ़ा रहे है और समाजिक दूरी का भी ध्यान नहीं रख रहे है तो फिर राजनीतिक दलों की रैलियों पर ही पाबंदी क्यों लगाई जा रही है।
खास तौर पर खुले मैदान में क्षमता से आधी भीड़ का आदेश तो मजाक ही है इसलिए अब जितने चरणों का मतदान बाकी रह गया है उसमें अब राजनीतिक पार्टियों को पूरी छूट दे देनी चाहिए क्योंकि पाबंदियों का वैसे भी कोई मतलब नहीं रह गया है। राजनीतिक पार्टियां चुनाव आयोग के निर्देशों की धज्जियां उड़ा रही है।
ऐसे में चुनाव आयोग (Vidhansabha Chunav) हांस्य का पात्र बनकर रह गया है। उत्तर प्रदेश में तो पहले चरण के मतदान के पूर्व से ही राजनीतिक दलों में ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने की प्रतिस्पर्धा चलती रही है जो अभी भी बदस्तूर जारी है। जनसंपर्क के दौरान भी नेता सैकड़ों की भीड़ लेकर खुलेअमा घूम रहे है और मास्क भी नहीं लगा रहे है। इन सब चीजों को मद्देनजर रखकर यही बेहतर होगा कि कोरोना के कारण लगाई गई तमाम बंदिशें हटा ली जाएं।