फसलों को हाथियों से बचाना अब आसान, हाथियों को आसानी से भगाती है ये तकनीक, छत्तीसगढ़ में…
Human Elephant Conflict : फसले तो बचती ही है, साथ ही किसानों को पैसा भी कमाकर देती है
मुंबई। Human Elephant Conflict : प्रदेश समेत देश के कई भागों में फसलों को हाथियों के उत्पात से बचाना किसानों के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इंसान (Human elephant conflict) व हाथियों के संघर्ष के किस्से भी आए दिन देखने सुनने को मिलते हैं। कई बार तो ऐसा होता है कि जंगली इलाकों के किसान न चाहते हुए भी खुद को व फसलों को बचाने के लिए कुछ ऐसी अमानवीय व्यवस्था कर बैठते हैं, जिससे हाथियों की मौत हो जाती है। खेतों में करंट सप्लाई वाला तार बिछाना इस मामले का उदाहरण है।
लेकिन एक किसान ने हाथियों को फसलों से दूर रखने का एक ऐसा नायाब व प्राकृतिक तरीका खोज निकाला है, जिससे फसले तो बचती ही है, साथ ही हाथियों की जान को नुकसान भी नहीं पहुंचता। इस तकनीक की खास बात यह भी है कि इसके संचालन के लिए किसान को रतजगा भी नहीं करना पड़ता। उल्टे इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ती है।
ये है वो तकनीक :
दरअसल ये तकनीक है खेतों की मेढ़ पर मधुमक्खियों का पालन। मधुमक्खियों से हाथी काफी डरते हैं और अपने इलाकों में भाग जाते हैं। महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के किसान धानेश परासर। धानेश का खेत टिल्लारी फॉरेस्ट एरिया में है, जहां कर्नाटक से हाथी आकर उत्पात मचाते हैं।
किसान ने खुद बताई ये कहानी :
एक प्रसिद्ध अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार धानेश ने बताया कि एक दिन अपने काजू के खेत गए। उन्होंने देखा कि हाथियों ने काजू के पौधे पूरी तरह से नष्ट कर दिए। तब उन्हें लगा कि उन्हें अब खेती छोड़ देनी चाहिए। लेकिन जब उन्हें इस नई तकनीक के बारे में पता चला तो उन्होंने अपने अपने काजू की बागवानी के आस पास वर्ष 2019 में मधुमक्खियों के छातों के 20 डिब्बे लगा दिए। अब आलम ये है कि उनकी काजू की फसल पूरी तरह से सुरक्षित है। साथ ही मधुमक्खियों के पालन से शहद के रूप में उन्हें अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है।
छत्तीसगढ़ में हो इस्तेमाल तो होगा फायदा :
यदि इस तकनीक का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ के हाथी प्रभावित क्षेत्रों के किसान भी करने लगे तो यहां के किसानों को भी हाथियों के उत्पात से राहत मिल सकती है। उनके फसलें बर्बाद होने से बच सकती है। यदि प्रभावित गांवों के आसपास मुधमुक्खियों के छातों की फैंसिंग की जाए तो गांव भी हाथियों के आतंक से मुक्त हो जाएंगे।