क्या 'इस्लामिक सेना' इजराइल के खिलाफ युद्ध करेगी? ईरान का तुर्की, पाकिस्तान, सऊदी अरब को प्रस्ताव

क्या ‘इस्लामिक सेना’ इजराइल के खिलाफ युद्ध करेगी? ईरान का तुर्की, पाकिस्तान, सऊदी अरब को प्रस्ताव

Will 'Islamic Army' fight against Israel? Iran's proposal to Türkiye, Pakistan, Saudi Arabia

Islamic Army

तेहरान। Islamic Army: इजराइली हमले के दौरान ईरान के एक शीर्ष अधिकारी ने इस्लामिक सेना के गठन का आह्वान किया है। ईरान ने तुर्की, सऊदी अरब और पाकिस्तान से इजराइल के खिलाफ लडऩे के लिए इस्लामिक सेना बनाने की अपील की है। इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉप्र्स के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मोहसेन रेजाई ने अन्य देशों से इजरायल के खिलाफ ईरान का समर्थन करने के लिए एक इस्लामिक सेना बनाने का आह्वान किया है। रेजाई ने ईरानी मीडिया को एक साक्षात्कार दिया है।

इसमें उन्होंने कहा कि तुर्की, सऊदी अरब और पाकिस्तान जैसे प्रमुख इस्लामिक देशों को एक साथ आकर एक संयुक्त इस्लामिक सेना (Islamic Army) बनानी चाहिए। जिसका उद्देश्य इजरायल के खिलाफ एकता दिखाना है। उन्होंने कहा है कि मौजूदा युद्ध एक सुनियोजित संघर्ष है जिसे इस्लामिक दुनिया में एक साथ जीता जा सकता है। यह प्रस्ताव ऐसे समय में सामने आया है जब ईरान-इजरायल संघर्ष अपने चरम पर पहुंच गया है। इस प्रस्ताव से ईरान की छिपी रणनीति का पता चला है। मुस्लिम देश भावनात्मक रूप से एकजुट होकर खुद को बचाना चाहते हैं।

ईमेल पता तुर्की पाकिस्तान ने ईरान का समर्थन किया रेजाई ने दावा किया कि इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने हमें आश्वासन दिया है कि अगर इजरायल ईरान पर परमाणु हमला करता है, तो वह इजरायल पर परमाणु बम गिराएगा। 14 जून को पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने देश की संसद में मुस्लिम देशों से इजरायल के खिलाफ एकजुट होने की अपील की थी। इजरायल ने ईरान, यमन और फिलिस्तीन को निशाना बनाया है। अगर मुस्लिम देश एकजुट नहीं हुए तो सभी का यही हश्र होगा। पाकिस्तान ने कहा था कि इस्लामिक सहयोग संगठन को जवाबी कार्रवाई के लिए संयुक्त रणनीति बनाने की जरूरत है।

तुर्की और पाकिस्तान दोनों ही दुनिया में प्रभावशाली सैन्य और आर्थिक शक्तियां मानी जाती हैं। लेकिन उनकी विदेश नीतियां बहुत जटिल हैं। तुर्की और सऊदी अरब एक-दूसरे के विरोधी हैं। हालांकि तुर्की ने फिलिस्तीन के समर्थन में प्रतिक्रिया दी है, लेकिन इसकी नाटो सदस्यता और इजरायल के साथ सैन्य-तकनीकी संबंध इसे सीधे युद्ध में जाने से रोकते हैं। सऊदी अरब हाल ही में अमेरिकी मध्यस्थता के जरिए इजरायल के साथ संबंध स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसलिए सऊदी अरब अभी कोई फैसला नहीं ले रहा है। इसलिए सवाल यह है कि इन सभी देशों का एक साथ आकर सेना बनाना कितना यथार्थवादी होगा।

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