Chikhli Village Flood Problem : 5 किलोमीटर दूर, लेकिन सदियों पीछे…चिखली गांव की बारिश हर साल बहा ले जाती है विकास का वादा…

गरियाबंद, 7 जून| Chikhli Village Flood Problem : कभी सोचा है कि जिला मुख्यालय से केवल 5 किलोमीटर दूर एक गांव हो और वहां के लोग हर साल बारिश में कैद हो जाएं न बिजली, न राशन, न स्कूल, न अस्पताल। और विडंबना ये कि इस कैद का कोई दरवाजा नहीं, कोई ताला नहीं बस सरकार की अनदेखी है।
हम बात कर रहे हैं चिखली गांव की, जो गरियाबंद जिले में स्थित है। हर मानसून में यह गांव पानी से तीनों तरफ से घिर जाता है। यहां के लोग किसी दूरदराज के जंगल में नहीं रहते, मगर हालात ऐसे हैं जैसे बस्ती नहीं, बचे हुए इंसानों का कोई द्वीप हो। बाढ़ आती है और गांव को बाहरी दुनिया से पूरी तरह काट देती है।
लोगों की आंखों में उम्मीदें, सरकार की नज़रों में फाइलें
यहां के ग्रामीण सालों से एक ही सवाल पूछ रहे हैं कब बनेगा पुल? मगर जवाब में सिर्फ आश्वासन मिलते (Chikhli Village Flood Problem)हैं। विधायक आए, सांसद आए, मंत्री भी आए। कुछ फोटो खिंचे, कुछ भाषण हुए और फिर गांव वहीं रह गया पानी के बीच फंसा हुआ।
2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह बाढ़ के दौरान ही हेलीकॉप्टर से गांव पहुंचे थे। उसे दौरान उन्होंने राहत सामग्री के साथ-साथ ग्रामीणों को आश्वासन भी बनता था कि जल्द ही गांव में पुल पुलिया और सड़क का निर्माण करेंगे बाढ़ नियंत्रण जैसे कई वादे किए थे लेकिन वो जल्द आज 17 साल बाद भी अधूरा है।
प्रशासन का दावा फाइल भेज दी है ।
PWD विभाग ने हाल ही में बताया कि चिखली गांव के लिए 27 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है जिसमें सड़क और दो बड़े पुल शामिल (Chikhli Village Flood Problem)हैं। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि ये भी पहले की तरह सिर्फ एक और प्रस्ताव न बन जाए।
मानवता पर भारी सिस्टम की सुस्ती
बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, गर्भवती महिलाओं को इलाज नहीं मिल पाता, राशन दुकान तक पहुंचना नामुमकिन हो जाता है। कई बार तो लोग घरों में पानी भरने के कारण गांव के ऊंचे हिस्सों में शरण लेने को मजबूर हो जाते हैं।
चिखली गांव की कहानी एक गांव की नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की है जो नागरिकों की जरूरतों को प्राथमिकता नहीं, पेपरवर्क समझती (Chikhli Village Flood Problem)है। सवाल ये है कि जब राजधानी से सिर्फ 5 किलोमीटर दूर बसे गांव का ये हाल है, तो फिर विकास की तस्वीर किस दिशा में खड़ी है? क्या विकास सिर्फ घोषणाओं में मापा जाएगा? या किसी दिन चिखली के बच्चे भी स्कूल नाव से नहीं, बस से जाएंगे?