Worm: कृमि रोग: बचने के लिए करें ये घरेलू उपाय…
आंत्रकृमि के उपचार
Worm: कृमि रोग से पहले थोड़ा-सा गुड़ खिलाकर खुरासनी अजवायन का चूर्ण जल के साथ सेवन करने से आंत्रगत कृमि होकर शौच के साथ निकल जाते हैं। नीम की कोमल पत्तियों का रस निकालकर शहद के साथ सेवन कराने से आत्रकृमि शीघ्र नष्ट होते हैं।
कृमि (Worm) विनाशक रसं की एक गोली सुबह त्रिफला चूर्ण और जल के अनुमान से लेने पर वातिक, पैत्तिक, श्लेष्मिक और सन्निपातिक कृमिरोग नष्ट होते हैं। भोजन के बाद कृमियों से पीड़ित रोगी की हिंग्वाष्ट चूर्ण 3 ग्राम और वायविडंग चूर्ण ।
ग्राम मिलाकर जल के साथ सेवन करने से बहुत लाभ होता है। कृमि (Worm) मुद्गर रस रोग के स्वास्थ्य के अनुसार 1 से 3 मिग्रा. मात्रा में सुबह और शाम नागरमोथा के क्वाथ, मूषकर्णी के रस से लेने पर सभी तरह के कृमिजन्य रोग नष्ट होते हैं। ।
कृमि कालानल रस की एक गोली सुबह काले जीरे व धनिए के क्वाथ से लेने पर उदर में स्थित कृमि नष्ट होते हैं। अर्श, गुल्म, प्लीहा और शोथ में गुणकारी औषधि है।
भूषाकर्णी के पत्तों को पीसकर यव के आटे में मिलाकर पूरी बनाकर खिलाने से, ऊपर से कांजी पिलाने से आंत्रकृमि नष्ट होते हैं। पलाश के बीजों का रस मधु के साथ चाटने से कृमि नष्ट होते हैं। पलाश के बीजों का कल्क बनाकर मट्ठे के साथ पीने से भी कृमि नष्ट हो जाते हैं।
कृमि (Worm) कुठार रस की एक गोली सुबह सत्यानाशी (स्वर्णक्षीरी) के रस या अजवायन के अर्क या फिर नीम के पत्तों के क्वाथ से लेने पर सभी प्रकार के कृमि नष्ट होते हैं। पलाश के बीज, इंद्रयव, वायविडंग, नीम की छाल, चिरायता,–सभी बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीटकर बारीक चूर्ण बनाएं।
इस चूर्ण को पलाश बीजादि चूर्ण कहते हैं। 2 ग्राम चूर्ण सुबह, 2 ग्राम शाम को हल्के उष्ण जल से सेवन करने पर दो सप्ताह में कृमि नष्ट होते हैं। कृमिजन्य अतिसार में भी यह चूर्ण गुणकारी है। बिडंगारिस्ट 20 मिली. मात्रा में इतना ही जल मिलाकर भोजन के बाद पीने से कृमि नष्ट होते हैं।