World Cup : नौजवानों ने 5 वीं बार उठाया विश्वकप

World Cup : नौजवानों ने 5 वीं बार उठाया विश्वकप

World Cup: Youngsters lifted the World Cup for the 5th time

World Cup

नितेश छाबड़ा। World Cup : यह भारतीय क्रिकेट के इतिहास का एक और अप्रतिम और गौरवशाली क्षण था, जब एंटीगुआ के सर विवियन रिचड्र्स स्टेडियम के मैदान में कप्तान यश धूल और उनके साथियों ने अंडर 19 विश्व कप उठाया। युवा जोश से भरी नौजवानों की भारतीय टीम ने संघर्ष से भरे फाइनल मैच में इंग्लैंड को 4 विकेटों से हराकर 5 वीं बार अंडर 19 विश्व कप अपने नाम किया है। 1988 से शुरू हुए इस विश्व कप की अब तक 14 स्पर्धाएं खेली जा चुकी हैं। टीम इंडिया ने आठवीं बार फाइनल में शिरकत की थी। यह तथ्य ही हमारे नौजवानों के प्रभाव और दबदबे की कहानी बयां करता है।

हम यह भी कह सकते हैं कि बीसीसीआई ने एक ऐसा कामयाब ढांचा विकसित किया है, जो नई पौध के क्रिकेटरों को फलने फूलने का पूरा अवसर देता है। इस जीत से यह भी पता चलता है कि भारतीय क्रिकेट के भविष्य को लेकर हम पूरी तरह आश्वस्त हो सकते हैं। इस जीत में खिलाडिय़ों के साथ टीम के सपोर्ट स्टाफ का भी काफी बड़ा योगदान है। टीम के कोच वीवीएस लक्ष्मण और ऋषिकेश कानितकर ने इन युवाओं को बराबर उत्साहित करके रखा और यह बताया कि दबाव वाली स्थिति से कैसे बाहर आया जाए।

दमदार गेंदबाज़ी और आल राउंड प्रदर्शन

भारतीय टीम इस पूरे (World Cup) टूर्नामेंट में अपराजित रही। कुल खेले 6 मैचों में भारतीय टीम की शानदार घातक गेंदबाजी ने प्रतिपक्षी टीम को सभी मैचों में धराशायी किया और पूरे 60 विकेट हासिल किए। भारतीय टीम के सामने दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की कड़ी चुनौती थी। क्वार्टर फाइनल में पिछले चैंपियन बांग्लादेश से भी कड़ा मुकाबला था। भारतीय टीम सभी मैचों में निर्णायक बढ़त लेकर विजयी हुई। खासकर बांग्लादेश को हराकर हमारे युवाओं ने पिछली बार फाइनल की पराजय का मीठा बदला लिया। टूर्नामेंट के बीच मे टीम के तकरीबन आधे खिलाड़ी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। तब ऐसा लग रहा था कि टीम का सफर यहीं खत्म हो जाएगा। पर टीम और सपोर्ट स्टाफ ने इनसे प्रभावित हुए बिना अपना मोमेंटम, हौसला और मनोबल बनाए रखा और विपरीत परिस्थितियों में कोरोना को मात देकर शिखर छू लिया।

इस बार आल राउंडरों की मौजूदगी ने इस टीम को खास किस्म की मजबूती प्रदान की। 15 सदस्यों की टीम में 8 खिलाड़ी ऐसे थे, जो अपनी मुख्य भूमिका के साथ साथ उपयोगी बल्लेबाज़ी अथवा गेंदबाज़ी कर सकते थे। इन सभी में सबसे अधिक जिस खिलाड़ी ने सबका ध्यान आकर्षित किया, वो थे मध्यम तेज़ गति के गेंदबाज़ी आल राउंडर राज बावा। राज बावा बाएं हाथ के आकर्षक बल्लेबाज और गेंदबाज हैं। फाइनल में उन्होंने इंग्लैंड के 5 विकेट निकालकर एक तरह से इंग्लैंड की बल्लेबाजी की कमर ही तोड़ दी। इस मैच में राज ने बल्लेबाजी भी बहुत ही अच्छी की। जब 97 के स्कोर पर भारत के चार विकेट गिर चुके थे। उस वक़्त पूरा दबाव भारत पर था।

ऐसे वक़्त में राज की 35 रनों की बड़ी ही महत्वपूर्ण पारी ने भारत को जीत के रास्ते पर डाला। इसके अलावा अंगक्रिश रघुवंशी, निशांत सिंधु, हँगार्गेकर और कौशल तांबे ने भी काफी प्रभावित किया। बल्लेबाजी में कप्तान यश धूल और शेख राशिद की जोड़ी ने लाजवाब प्रदर्शन किया। खासकर सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 200 से अधिक रनों की साझेदारी में दोनों ने गजब का टेम्परामेंट दिखाया। इसी साझेदारी ने मैच को ऑस्ट्रेलिया से दूर कर दिया था। शेख रशीद तकनीकी रूप से काफी ठोस और मजबूत युवा हैं। उनका डिफेंस बहुत ही बढिय़ा है। जबकि यश धूल के पास सभी किस्म के स्ट्रोक्स हैं और उनकी टाइमिंग बहुत ही अच्छी है। वही गेंदबाज़ी में रविकुमार और विक्की ओस्तवाल की गेंदबाजी ने भी टीम को लगातार इंटरवेल में सफलता दिलाई।

भविष्य की चुनौती

विश्व कप (World Cup) जीतने के बाद इन युवाओं के साथ साथ बोर्ड वे लिए भी यह चुनौती होगी कि इन क्रिकेटरों के भविष्य को अच्छे से संवारा जाए। अंडर 19 विश्व कप की कामयाबी इन क्रिकेटरों के लिए वाइल्ड कार्ड के समान होती है। इसमें चमकने वाले खिलाडिय़ों का भाग्य बहुत जल्दी बदलता है। इस बार भी इन्हें आईपीएल के सुनहरे अनुबंधों के साथ बहुत सारे व्यापारिक अनुबंध भी मिलेंगे।

मीडिया और उनके प्रशंसक उन्हें सर आँखों पर बिताएंगे। इन नौजवान खिलाडिय़ों के सामने एक चुनौती यह भी रहेगी कि वे इस चकाचौंध में खो न जाएं और अपने खेल का स्तर बनाए रखें। यहां पर बोर्ड अधिकारियों, सीनियर क्रिकेटरों और कोच की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होगी। इन्हें यह एहसास कराना भी जरूरी होगा कि यह विश्व कप उनके कैरियर के लिए एक बेहतरीन स्टार्टअप है। पर यहाँ से आगे बढऩे के लिए बहुत अधिक मेहनत की जरूरत है। यश धूल से पहले दिल्ली के दो और क्रिकेटर अपनी कप्तानी में टीम इंडिया को अंडर 19 विश्व कप दिला चुके हैं-विराट कोहली और उन्मुक्त चंद। जहां विराट सफलता के शिखर को छू रहे हैं, वहीं उन्मुक्त चंद इंटरनेशनल क्रिकेट में कभी डेब्यू ही नही कर पाए हैं।यह बात यश धूल और उनके साथी खिलाडिय़ों को जितनी जल्दी समझ में आ जाए, उतना ही अच्छा होगा ।

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