संसद का शीतकालीन सत्र: हंगामों से भरा संसद सत्र |

संसद का शीतकालीन सत्र: हंगामों से भरा संसद सत्र

After all everyone will do their work

Parliament security breach

Winter session of Parliament: संसद के पिछले कई सत्रों की तरह ही यह शीतकालीन सत्र भी हंगामों की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। संसद का सत्र शुरू होने से पहले सर्वदलीय बैठक में संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने पर सहमति बनी थी। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरूआत भी अच्छी हुई थी। संसद में जनहित से जुड़े मुद्दों पर सार्थक चर्चा हो रही थी। और प्रश्नकाल के दौरान भी माननीय संसद अपने लोकसभा क्षेत्र की समस्याओं को उठा रहे थे।

सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन 13 दिसंबर एक बार फिर संसद की सुरक्षा में सेंध लग गई। दो युवकों ने दर्शक दीर्घा से नीचे कूदकर सदन में स्मोक अटैक कर दिया। इससे पूरा सदन धुंआ धुंआ हो गया और अफरा तफरी मच गयी। निश्चित रूप से संसद की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई है और इसे लेकर विपक्ष का आक्रोशित होना स्वाभाविक है। सदन की सुरक्षा को लेकर विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा किया।

जिसकी वजह से कांग्रेस के 9 सीपीआई और डीएमके के 2-2 सदस्यों सहित 15 सांसदों को सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। हंगामा कर रहे इन विपक्षी सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने समझाइश दी थी और उनसे शांति बनाए रखने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि इस घटना से सभी चिंतित हैं और इस पर सदन में व्यापक चर्चा कराई जाएगी। लेकिन विपक्षी सांसद गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग पर अड़े रहे और गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग करते हुए लगातार नारेबाजी करते रहे। नतीजतन इन सांसदों को निलंबित कर दिया गया।

अब इस निलंबन को लेकर विपक्ष सरकार पर निशाना साध रहा है और निलंबित सांसद संसद के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसकी वजह से संसद की कार्यवाही लगातार दूसरे दिन बाधित हुई है। सदन की सुरक्षा मेें सेंध के मामले को लेकर विपक्ष ने जो अक्रामक रूख अख़्ितयार किया है। उसे देखते हुए यही लगता है कि यह मामला और तूल पकड़ेगा जिसके चलते संसद का शीतकालीन सत्र भी हंगामों की भेंट चढ़ जाएगा।

जबकि इस सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश होने है अब उन पर चर्चा मुश्किल लग रही है। यह ठीक है कि संसद की सुरक्षा व्यवस्था का तार तार होना बहुत गंभीर घटना है और इसे लेकर विपक्ष का सत्ता पक्ष पर सवाल दागना स्वभाविक है लेकिन इसे लेकर ऐसा भी हंगामा नहीं होना चाहिए की संसद सत्र में कोई कामकाज ही न हो पाए। संसद की कार्यवाही पर प्रतिदिन करोड़ों का खर्च आता है। यदि सत्र हंगामों की भेंट चढ़ जाएगा तो करोड़ों रुपए व्यर्थ हो जाएंंगे और महत्वपूर्ण विधेयक अधर में लटक जाएंगे।

संसद को सुचारू रूप से चलाना वैसे तो सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी कहलाती है लेकिन विपक्ष को भी चाहिए कि वह सदन के सुचारू संचालन में अपना योगदान दें जब इस घटना पर केन्द्रीय रक्षा मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री ने सदन में बयान दे दिया है और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह आश्वासन दे दिया है कि इस चूक के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही की जाएगी प्रथम दृष्टि में दोषी पाए गए आठ सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही कर दी गयी है और पुलिस मामले की जांच कर रही है तो फिर इसके बाद भी विपक्ष का अपनी मांग को लेकर अड़े रहना और संसद की कार्यवाही को बाधित करना उचित नहीं है।

इससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि संसद की सुरक्षा में हुई चूक को मुद्दा बनाकर विपक्ष राजनीति कर रहा है। सत्ता पक्ष भी विपक्ष पर आरोप लगा रहा है। इस तरह दोनों ही एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाकर संसद की कार्यवाही को बाधित कर रहे हैं। बेहतर होगा की सत्ता और विपक्ष दोनों मिलकर कोई बीच का रास्ता निकाले जिससे सदन का गतिरोध टूटे और शीतकालीन सत्र की शेष अवधि में संसद का कामकाज सुचारू रूप से चल सके।

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