संपादकीय: बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा

संपादकीय: बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा

Violence against Hindus in Bangladesh

Violence against Hindus in Bangladesh

Violence against Hindus in Bangladesh: बांंग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं के खिलाफ लगातार हिंसक घटनाएं हो रही हैं। जब से वहां शेख हसीना का तख्तापलट हुआ है और अमेरिका के इशारे पर मोहम्मद युनूस कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने हैं। तब से वहां की कट्टरपंथी ताकतें हिन्दुओं को निशाना बना रहे हैं।

हिन्दुओं की बस्ती में लूटपाट और आगजनी की जा रही है। हिन्दुओं के घरों और दुकानों को आग लगाई जा रही है। हिन्दुओं के मंदिरों को भी निशाना बनाया जा रहा है। बांग्लादेश में रहने वाले लगभग डेढ़ करोड़ हिन्दुओं के मन में असुरक्षा की भावना घर करती जा रही है। हिन्दुओं पर बढ़ते अत्याचार के खिलाफ इस्कॉन मंदिर के संत चिन्मय दास ने आवाज उठाई तो बांग्लादेश की तानाशाह सरकार ने उन्हें देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद कर दिया।

ये वही चिन्मय दास हैं। जिन्होंने कोरोना काल में भूखे बांग्लादेशियों को इस्कॉन मंदिर के सौजन्य से भोजन उपलब्ध कराया था। जिसकी वजह से वहां के लोग कोरोना काल में भूखों मरने से बचे थे। ऐसे सेवाभावी संत को झूठे मामले में गिरफ्तार किए जाने पर बांग्लादेश के हिन्दुओं में असंतोष फैल गया। और लाखों की संख्या में हिंदू सड़क पर उतर आए और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर संत चिन्मय दास की रिहाई की मांग करने लगे।

इसके बाद वहां के कट्टरपंथियों ने हिन्दुओं के खिलाफ हमले और तेज कर दिए। इन कट्टरपंथियों को बांग्लादेश की पुलिस और सेना का भी साथ मिल रहा है। सैकड़ों की संख्या में हिन्दुओं को मारा-पीटा गया है। जिसकी वजह से वे घायल होकर अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं।

कई हिन्दुओं के तो मारे जाने की भी खबर है लेकिन बांग्लादेश सरकार ऐसी खबरों को दुनिया से छिपा रही है और हिंसा में मारे गए हिन्दुओं की लाशें चोरी छिपे ठिकाने लगा रही है। बांग्लादेश में पूरी तरह से अराजकता का माहौल बना हुआ है। वहां के हिंदू अपनी सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन उनकी आवाज कोई नहीं सुन रहा है।

भारत में भी सिर्फ भारतीय जनता पार्टी बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रही है और विरोध प्रदर्शन कर रही है। अन्य विपक्षी पार्टियों ने रहस्यमयी चुप्पी धारण कर रखी है जबकि आज जरूरत इस बात की है कि सभी राजनीतिक पार्टियां एक सुर में बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हो रही हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करें और संयुक्त राष्ट्र से यह मांग करें कि वह जल्द ही बांग्लादेश में शांति सेना भेजें ताकि वहां चलाया जा रहा दमन चक्र रूक सके।

जहां तक भारत सरकार की बात है तो वह भी बांग्लादेश के खिलाफ कड़े कदम उठाएं। बांग्लादेश के साथ सभी व्यापारिक और राजनायिक संबंध खत्म करंे भारत में शिक्षा और चिकित्सा लाभ लेने के लिए आए बांग्लादेशियों का वीजा रद्द कर उन्हें वापस भेजे।

सिर्फ बांग्लादेश की निंदा करने से कुछ हासिल नहीं होगा। जब तक भारत सरकार उसके खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाएगी। तब तक बांग्लादेश में हिन्दुओं पर इसी तरह का अत्याचार होता रहेगा।

भारत सरकार को संयुक्त राष्ट्र में भी यह मामला उठाना चाहिए और बांग्लादेश को एक आतंकवादी देश घोषित करने की मांग पुरजोर ढंग से उठानी चाहिए। भारत को दुनिया में बढ़ती अपनी ताकत का भी इस बहाने अंदाजा लग जाएगा। कोरोना काल में भारत ने जिन जिन देशों की मदद की थी। वे भारत की मांग के समर्थन में आते हैं या नहीं इसका भी पता लग जाएगा।

वैसे तो अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की हुई है कि सत्ता की बागडोर संभालने के बाद वे बांग्लादेश में प्रताडि़त हो रहे हिन्दुओं की रक्षा करने के लिए कड़े कदम उठाएंंगे। किन्तु भारत को अमेरिका की कार्यवाही की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए।

इसे खुद भी कड़े कदम उठाने चाहिए। क्योंकि बांग्लादेश मेें स्थिति लगातार बिगड़ रही है। वहां के हिन्दुओं को मार मार कर भगाया जा रहा है और चेतावनी दी जा रही है कि यदि वे बांग्लादेश छोड़कर नहीं गए तो उन्हें मार दिया जाएगा। वहां के कट्टपंथियों की पीठ पर पुलिस और सेना का हाथ है इसीलिए वे वहां खून की होली खेल रहे हैं। आगे चलकर बांग्लादेश में स्थिति और भी भयावह हो सकती है।

इसके पहले जख्म नासूर के रूप में तब्दील हो। भारत को बांग्लादेश के खिलाफ कड़े कदम फौरन से पेश्तर उठाने होंगे। बांग्लादेश के साथ व्यापारिक संबंध खत्म करने देने से ही बांग्लादेश की हालत पतली हो जाएगी और यदि राजनयिक संबंध भी खत्म कर दिए जाते हंै तो बांग्लादेश भी पाकिस्तान की तरह दुनिया में अलग थलग पड़ जाएगा। और वह भी पाकिस्तान की तरह ही कंगाल होकर रह जाएगा।

भारत सरकार को अब पड़ोसी देशों के प्रति सदाशयता दिखाना बंद कर देना चाहिए। और बांग्लादेश के खिलाफ भी उसी तरह का रूख अपनाना चाहिए जैसा उसने पाकिस्तान के प्रति अपनाया हुआ है। जब तक भारत सरकार इस तरह के कड़े कदम नहीं उठाएगी। तब तक बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार नहीं रूकेगा।

वहां तो अब स्थिति यह है कि बांग्लादेशी कट्टरपंथी भारत विरोधी नारेबाजी भी कर रहे हैं और सीेधे भारत को ललकार रहे हैं। अब भी यदि भारत सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही हो दुनिया में भारत का ही मजाक उड़ेगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब भारत सरकार बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रही हिंसक घटनाओं को गंभीरता से लें जल्द से जल्द बांग्लादेश के खिलाफ कठोर रूख अख्तियार करें।

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