Ukraine-Russia War : वैश्विक मंचों पर नेतृत्व की भूमिका निभाने कदम |

Ukraine-Russia War : वैश्विक मंचों पर नेतृत्व की भूमिका निभाने कदम

Ukraine-Russia War : Steps to take a leadership role in global forums

Ukraine-Russia War

किशन भावनानी। Ukraine-Russia War : वैश्विक स्तर पर यूक्रेन-रूस युद्ध से तैलीय पदार्थों संबंधी समस्याओं और प्रतिबंधों के दौर से होते हुए अब बात डर्टी बॉम्ब, परमाणु हमलों से लेकर आज जापान के परमाणु त्रासदी झेल चुके हिरोशिमा और नागासाकी शहरों के नामों का उल्लेख कर इसके उपयोग की संभावना को बल दिया गया है, जिससे तीसरे विश्व युद्ध के खतरों का आगाज हो चला है, ऐसी स्थिति में भारत 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक जी-20 वैश्विक मंच का नेतृत्व करने जा रहा है, जिसके लोगो थीम वेबसाइट भारत के संदेश और दुनिया के प्रति उनकी व्यापकता को प्रतिबिंबित करेंगे वे माननीय पीएम द्वारा गुरुपर्व 8 नवंबर 2022 शाम साढ़े चार बजे वीडियो कांफ्रें सिंग के माध्यम से अनावृत किए,

इसकी रूपरेखा के अनुसार 32 विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित लगभग 200 बैठक में आयोजित होगी जिसमें वैश्विक स्तर की बड़ी-बड़ी हस्तियों के शामिल होने से भारत के लिए गौरव गाथा होगी जो कि भारत की विदेश नीति वैश्विक मंच पर नेतृत्व की भूमिका निभाने की दृष्टि से उभर रहा है। चूंकि जी-20 मंच का नेतृत्व करने का आगाज़ आज हो गया, इसलिए हम मीडिया, पीआईबी में आई जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,भारत के वैश्विक मंचों पर नेतृत्व की भूमिका निभाने कदम बढ़े।

साथियों बात अगर हम इस अध्यक्षता को भारत में अवसर के रूप में देखने की करें तो हमें अपना दबदबा प्रस्थापित करना होगा जिसके लिए पुरजोर तरीके से अफ्रीका को 21वां सदस्य के रूप में शामिल कर जी-21 करना होगा क्योंकि, तमाम ऐतिहासिक कि़स्सों, आज़ादी के साझा संघर्षों, प्रवासियों के संपर्कों और विकासशील देशों की आवाज़ को विश्व मंचों पर प्राथमिकता देने जैसे समान आपसी मुद्दों के बावजूद, भारत और अफ्रीका की साझेदारी का एक अहम इम्तिहान होने जा रहा है।

अब जब भारत, 1 दिसंबर 2022 से इंडोनेशिया (Ukraine-Russia War) से जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करने वाला है, जो हमारे पास 30 नवंबर 2023 तक रहेगी तो भारत को ये सुनिश्चित करने की कोशिशें करनी चाहिए कि जी-20 में अफ्रीकी संघ (एयू)- जो 54 विविधता भरी, संप्रभु और नई पहल करने वाली अर्थव्यवस्थाएं हैं- को एक स्थायी और पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर शामिल कराना चाहिए, जिससे जी-20 को जी-21 बनाया जा सके।

साथियों बात अगर हम अध्यक्ष बनने की सामायिक परिस्थिति की करें तो, भारत उस वक़्त जी-20 का अध्यक्ष बनने जा रहा है, जब दुनिया में बहुत उठा-पटक चल रही है। नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद अमेरिका और चीन के मतभेद बहुत बढ़ गए हैं। चीन के जहाज़ और विमान, लगातार ताइवान जलसंधि की मध्य रेखा के पार जा रहे हैं। वहीं, यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस का युद्ध भी बदस्तूर जारी है। जहां ये अनिश्चितताएं अपना सिर उठाए हुए हैं, वहीं इस बात को स्वीकार करना भी बराबर से अहम है कि भारत ने अफ्रीका के साथ अपने साझेदारी को नई ऊंचाई पर ले जाने में काफ़ी सकारात्मक कोशिशें की हैं। अफ्रीका को भारत एक ऐसे महाद्वीप के तौर पर देखता है, जो एक गहरा बदलाव ला सकने में सक्षम भागीदार है।

साथियों बात अगर हम जी-20 में भारत की प्राथमिकताओं की करें तो, विदेश मंत्रालय ने कहा क?ि जबकि भारत की जी-20 प्राथमिकताएं मजबूत होने की प्रक्रिया में हैं, चल रही बातचीत, समावेशी, न्यायसंगत और सतत विकास के इर्द-गिर्द घूमती है, पर्यावरण के लिए जीवन शैली, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा से लेकर वाणिज्य, कौशल-मानचित्रण, संस्कृति और पर्यटन तक के क्षेत्रों में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और तकनीक-सक्षम विकास, जलवायु वित्तपोषण, परिपत्र अर्थव्यवस्था, वैश्विक खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, ग्रीन हाइड्रोजन, आपदा जोखिम में कमी और लचीलापन, विकासात्मक सहयोग, आर्थिक अपराध के खिलाफ लड़ाई और बहुपक्षीय सुधार पर केंद्रित रहेगी।

साथियों बात अगर हम अफ्रीका को जी-20 का स्थाई सदस्य बनाने की करें तो, मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हमारी अध्यक्षता के दौरान, भारत, इंडोनेशिया और ब्राजील ट्रोइका बनाएंगे, यह पहली बार होगा जब ट्रोइका में तीन विकासशील देश और उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल होंगी, जो उन्हें वैश्विक पटल पर एक बड़ी आवाज प्रदान करेंगी। ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (जी-20) दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर-सरकारी मंच है। इसमें 19 देश शामिल हैं, ज?िनमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा,चीन,फ्रांस,जर्मनी, भारत इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके और यूएस और यूरोपीय संघ (ईयू) आद?ि प्रमुख रूप से शाम?िल हैं।

साथियों हाल ही में सीआईआई और ईएक्सआईएम बैंक ने मिलकर कॉन्क्लेव ऑन इंडिया- अफ्रीका प्रोजेक्ट पार्टनरशिप के 17 वें संस्करण का आयोजन किया था। इसमें होने वाली परिचर्चाओं के दौरान भारत के निजी क्षेत्र और कारोबारियों द्वारा, भारत के आविष्कारों को अफ्रीका तक ले जाने को गंभीरता से बढ़ावा देने की बात उठी थी। उम्मीद है कि चौथी भारत- अफ्रीका फोरम समिट (आई ए एफएस) 2023 में जल्द से जल्द आयोजित की जाएगी।

भारत को चाहिए कि वो अपनी अध्यक्षता के दौरान जी-20 में अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य बनाने की मुहिम को अंजाम तक पहुंचाकर, इस अफ्रीकी अवसर का भरपूर लाभ उठाने की कोशिश करे। ये लम्हा भारत के लिए इस लिहाज़ से अहम है कि वो ख़ुद को अफ्रीका के एक अनूठे साझीदार के तौर पेश करे। साथियों ख़ुशकि़स्मती से हाल के वर्षों में अफ्रीका के साथ भारत का संपर्क नियमित और टिकाऊ रहा है। भारत की विदेश और आर्थिक नीति में अफ्रीकीमहाद्वीप की बढ़ती अहमियत अफ्रीका में भारत की बढ़ती कूटनीतिक पहुंच से ज़ाहिर होती है।

आज की तारीख़ में 43 अफ्रीकी देशों के साथ भारत (Ukraine-Russia War) के कूटनीतिक संबंध हैं, ये आंकड़े अपने आप में बहुत कुछ कहते हैं। अत: अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि वैश्विक नेतृत्व, भारत के वैश्विक मंचों पर नेतृत्व की भूमिका निभाने कदम बढ़े भारत 1 दिसंबर 2022 से जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा 32 क्षेत्रों में करीब 200 बैठकें आयोजित होगी लोगों थीम वेबसाइट अनावृतजो कार्यक्रम की व्यापकता प्रतिबिंबित करेंगे।

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