Tribute to Motilal Vora : गृहमंत्री बोले -वोराजी ने मुझसे कहा था- देखो ताम्रध्वज यदि मैं राजीव जी से….

Tribute to Motilal Vora : गृहमंत्री बोले -वोराजी ने मुझसे कहा था- देखो ताम्रध्वज यदि मैं राजीव जी से….

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Tribute to Motilal Vora

Tribute to Motilal Vora : राजनीति के शिखर पुरुष को याद कर भाव विभोर हुई विधानसभा

रायपुर/नवप्रदेश। Tribute to Motilal Vora : वरिष्ठ कांग्रेस नेता तथा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मोतीलाल वोरा को मंगलवार को विधानसभा में श्रद्धांजलि (tribute to motilal vora) दी गई। इसके बाद कार्यवाही को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया।

कांग्रेस भाजपा समेत सभी जकांछ के सदस्यों ने भी वोरा को श्रद्धासुमन (tribute to motilal vora) अर्पित किए इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, संसदीय कार्यमंत्री रवींद्र चौबे, गृहमंत्री ताम्रध्चज साहू, विधिमंत्री मोहम्मद अकबर, खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत, नेता प्रतिपक्ष धर्मलाल कौशिक, पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, जकांछ के धर्मजीत सिंह समेत अन्य सदस्यों ने वोरा के सहज व सरल जीवन तथा प्रदेश व देश की राजनीति में उनके महत्व पर प्रकाश डाला।

‘राजीव जी से टिकट मांगता तो मुझे मिल जाती पर हमारे नेता (चंदुलाल चंद्राकर) का अपमान हो जाता’

गृहमंत्री तामृध्वज साहू ने वोरा से जुड़ा संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वे पार्टी नेतृत्व के प्रति हमेशा गंभीर व समर्पित रहते थे। 80 के दशक में दुर्ग से मोतीलाल वोरा का टिकट कट गया और चंदुलाल चंद्राकर को टिकट मिला तो वोरा के समर्थक वोरा को टिकट दिलाने के लिए राजीव गांधी से मिलने दिल्ली चले गए। लेकिन वोराजी ने राजीव जी से अपने लिए खुद टिकट की मांग नहीं की। इसको लेकर जब मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने जवाब दिया- ‘ देखो ताम्रध्वज मैं यदि राजीवजी से खुद के लिए टिकट मांगता तो वे दे देते, लेकिन इससे हमारे नेता (चंदुलाल चंद्राकर) का अपमान हो जाता।

पार्टी नेतृत्व के प्रति आस्था का इससे उत्कृष्ट उदाहरण क्या हो सकता है। साहू ने आगे कहा वोराजी का संपूर्ण जीवन अपने आप में एक पाठशाला रहा, जिससे मैंने अपने जीवन में काफी कुछ सीखने का प्रयास है। ऐसे महान व्यक्तित्व आज हमारे बीच नहीं रहे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।

‘दु:ख हो तो मिल बाटकर काटो सुख तो मिल बाटकर भोगो’


80 के दशक का ही एक और वाकया याद कर मंत्री साहू ने कहा कि वोरा जी ने उनसे कहा था- जब दु:ख का वक्त हो तो इसे मिल बाटकर काटना चाहिए और सुख का वक्त हो तो इसे मिल बाटकर भोगना चाहिए। वोरा जी अपनी इस बात पर चले भी दुख को सबके साथ काटते थे और जब वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो दुर्ग लाल बत्तियों की कतार लग गई। उन्होंने अपने करीबियों में से हर किसी को कुछ न कुछ दिया।

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