Tribal Fest : भाषा नहीं नियत है विशेष… न समझने पर भी सुर-ताल ने बनाया माहौल

Tribal Fest : भाषा नहीं नियत है विशेष… न समझने पर भी सुर-ताल ने बनाया माहौल

Tribal Fest : Language is not fixed, special ... even after not understanding, the rhythm created the atmosphere

Tribal Fest

फिलिस्तीनी लोक संगीत की गूंज, झारखंड CM ने की जमकर तारीफ

रायपुर/नवप्रदेश। Tribal Fest : भाषा नहीं नियत महत्वपूर्ण…जी हां, इस बात को साकार करता नजर आया राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन। राजधानी के साइंस कॉलेज मैदान में तीन दिवसीय आयोजन का गुरुवार को पहला दिन रहा। नृत्य महोत्सव में पहुंचे अनेक कलाकारों को एक-दूसरे की भाषा भले ही समझ में नहीं आई, बावजूद वे एक-दूसरे के लोक संगीत का भरपूर आनंद उठाया।

इस समारोह में देश भर के 33 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ 6 विदेशी नर्तक दल शामिल है। महोत्सव का उद्घाटन करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, यह महोत्सव ऐसे वर्गों का सम्मान है जो सदियों से अलग-थलग रहा है। इस कार्यक्रम की विशेष बात रही कि विदेशों से आए कलाकारों ने समझा दिया कि भाषा महत्वपूर्ण नहीं नियत विशेष है।

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देश भर में अपनी तरह का पहला आयोजन : CM हेमंत सोरेन

हेमंत सोरेन ने कहा, यह देश भर में अपनी तरह का (Tribal Fest) पहला आयोजन है। यह उस समाज के लिए जो शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा रहा है। यह संदेश है कि हम चाहें तो यह वर्ग भी कदम से कदम मिलाकर चल सकता है। उन्होंने कहा, उनके यहां खेलों का क्रेज है। हालात ऐसे हैं कि किसी-किसी खेल की भारतीय टीम में आधे से अधिक लड़कियां झारखंड की ही होती है।

आदिवासी कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के प्रयास : CM भूपेश बघेल

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, उनकी सरकार आदिवासी कला-संस्कृति के संवद्र्धन की कोशिश में लगी है। यह महोत्सव उसी सोच का हिस्सा है। संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत और पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू ने इस आयोजन को छत्तीसगढ़ की संस्कृति और पर्यटन क्षेत्र के एक्सपोजर को लेकर महत्वपूर्ण बताया। इससे पहले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस महासचिव बीके हरिप्रसाद और यूगांडा, फिलिस्तीन के काउंसलर जनरल को गौर मुकुट और मांदर पहनाकर सम्मान किया गया।

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सांस्कृतिक झलक दिखाकर बनाया माहौल

उद्घाटन सत्र का प्रमुख आकर्षण मार्चपास्ट बना। इस दौरान सभी प्रतिभागी टीमों ने अपनी पारंपरिक शैली के नृत्यों की झलक दिखाकर महोत्सव (Tribal Fest) का माहौल बना दिया। शुरुआत स्वाजीलैंड की टीम से हुई। उसके बाद माली, नाइजीरिया, फिलिस्तीन, श्रीलंका, युगांडा और उज्बेकिस्तान की टीमों ने प्रदर्शन किया। इनके बाद भारत के विभिन्न राज्यों के कलाकार पहुंचे। शुरुआत आंध्र प्रदेश से हुई। अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, दादरा एवं नगर हवेली, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, तेलंगाना, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मिजोरम, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, नगालैंड, सिक्किम, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के नर्तक दल भी पहुंचे।

यह आज प्रतियोगिता में होना है

पहले दिन विवाह संस्कार विधा पर नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन है। इसमें कर्मा नृत्य, मध्य प्रदेश का कर्मा, झारखंड का कोडसी, जम्मू-कश्मीर का गोजरी नृत्य, आंध्र प्रदेश का गुरयाबल्लु, असम का कारबी-तिवा, आंध्र प्रदेश का डिम्सा, ओडिशा का धप, तेलंगाना का कोम्मुकोया, मध्य प्रदेश का दंडार, ओडिशा का बोण्डा और गुजरात का मेवासी नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा। शाम 6.30 से रात्रि 7.30 बजे तक पारम्परिक त्योहार एवं अनुष्ठान, फसल कटाई-कृषि एवं अन्य पारंपरिक विधाओं के नृत्यों की प्रतियोगिता छत्तीसगढ़ का करमा नृत्य, उत्तराखंड का झींझीं हन्ना, तेलंगाना का गुसाड़ी-डिम्सा, झारखंड का उरांव और गुजरात के सिद्धि गोमा नृत्य की प्रस्तुति होगी।

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रात में अफ्रीकी और उज़्बेकी संस्कृति की झलक

रात्रि 8 बजे से 9.30 बजे तक विदेशों से आए लोक नर्तक अपनी कला-संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे। राज्यपाल अनुसुईया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में यह प्रदर्शन होगा। इसमें स्वाजीलैण्ड, उजबेकिस्तान और माली के नर्तक दलों द्वारा प्रस्तुति दी जाएगी।

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