Tokyo Olympics Closing : ओलंपिक में भारत का डंका…
Tokyo Olympics Closing : टोक्यो ओलंपिक में पहली बार भारत ने एक स्वर्ण पदक सहित सात पदक जीतकर नया इतिहास रच है। ओलंपिक में पहली बार एथलेटिक्स में भारतीय खिलाड़ी निरज चोपड़ा ने भाला फेंक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर हम सब भारतीयों का भाल गर्व से ऊंचा कर दिया है।
भारतीय पुरूष हॉकि टीम ने भी चार दशकों के बाद कांस्य पदक ही सही लेकिन पदक जीतने में सफलता हासिल की है। पहली बार भारतीय महिला हॉकी टीम सेमिफाइनल (Tokyo Olympics Closing) तक का सफर तय करने में कामयाब हुई है। बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधू ने भी लगातार दो ओलंपिक में पदक हासिल करके नया कीर्तिमान रचा है। मीराबाई, लवलीना, बजरंग पुनिया और रवि दहिया ने भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर भारत को पदक दिलाया है। भारत के इन बेटे बेटियों पर पुरे देश को गर्व है।
गौरतलब है कि पिछले लंदन ओलंपिक में भारत ने छह पदक जीते थे। इस बार भारत ने पदकों की संख्या बड़ाकर सात कर ली है और इसमें एक स्वर्ण पदक भी शामिल हो गया है। जो हमें निरज चोपड़ा ने दिलाया है। स्व. मिल्खा सिंह की यह दिली ख्वाहिश थी कि भारत का कोई खिलाड़ी एथलेटिक्स भारत को स्वर्ण पदक दिलाए। उनकी यह इच्छा निरज चोपड़ा ने पुरी की है और उन्होंने अपना यह स्वर्ण पदक स्व. मिल्खा सिंह को ही समर्पित किया है।
भारतीय खिलाडिय़ों ने इस ओलंपिक (Tokyo Olympics Closing) में निश्चित रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। भारत के कम से कम चार और खिलाड़ी पदक के करीब पहुंच गए थे। किन्तु उन्हें चौथे या पांचवे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा। निश्चित रूप से भारतीय खेलों को सरकार इसी तरह प्रोत्साहन देगी और खिलाडिय़ों की हौसला अफजाइ करेगी तो अगले ओलंपिक में भारत का नाम पदक तालिका में और उपर नजर आएगा।
खास तौर पर भारतीय पुरूष हॉकी टीम और भारतीय महिला हॉकी टीम निश्चित रूप से स्वर्ण पदक हासिल करने में सफल होंगी। हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है और एक जमाने में हॉकी खेल में भारत की तुती बोला करती थी।
मेजर ध्यानचंद जिन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है उन्होंने लगातार तीन ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था। भारत का यह गौरव एक बार फिर लौटता नजर आ रहा है। केन्द्र सरकार इस बात के लिए बधाई की पात्र है कि उसने खेलों के सर्वोच्च सम्मान का नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया है। निश्चित रूप से इससे खिलाडिय़ों का न सिर्फ हौसला बड़ेगा बल्कि उन्हें प्रेरणा भी मिलेगी।
भारत ने प्रतिभाओं का अकाल नहीं है। बस आवश्यकता इस बात की है कि उन प्रतिभाओं (Tokyo Olympics Closing) को तलाशा जाए और तराशा जाए और उन्हें अनुकूल वार्तावरण उपलब्ध कराया जाए। यदि ऐसा किया गया तो आने वाले ओलंपिक में भारत का डंका और ज्यादा जोर से बजेगा।