कांकेर से पैदल चलकर रायपुर पहुंचे हजारों आदिवासी,मांग पूरी कराने राज्यपाल से मिलेंगे

Tribals Demand
रायपुर/नवप्रदेश। Tribals Demand : आदिवासियों के लिए आज भी जल, जंगल और जमीन की मांग बरकरार है। पिछले दो साल में ऐसे कई मौके आए जब जल, जंगल और जमीन के लिए आदिवासियों को आंदोलन का रुख करना पड़ा। कभी पहाडिय़ों पर माइनिंग, कभी देवी-देवताओं के स्थल, कभी कैंप के विरोध में बस्तर के आदिवासियों ने मुखर होकर प्रदर्शन का रास्ता अख्तियार कर लिया।
यहीं कारण है कि अब हजारों मील पैदल चलकर आदिवासी अब राज्यपाल से मिलने रायपुर पहुंचे। बताया जा रहा है कि ग्रामीणों की मांग है कि उनके गांव को नारायणपुर जिले में शामिल किया जाए। हालांकि आदिवासियों को रोकने कांकेर कलेक्टर चंदन कुमार, पुलीस अधीक्षक शलभ सिन्हा कोलर क्षेत्र के ग्रामीणों से मिलकर पदयात्रा ना करने का निवेदन किया था, लेकिन ग्रामीणों ने कलेक्टर की एक ना सुनी और अपनी मांगों को लेकर पदयात्रा की बात पर अड़े रहे।
दरअसल, छत्तीसगढ़ के अन्तागढ़ क्षेत्र अंतर्गत कोलर इलाके के 58 गांव के ग्रामीण राज्यपाल से मिलने 24 अक्टूबर को पदयात्रा कर मगंलवार को रायपुर पहुंचे। इनकी मांग है कि 58 गांव को नारायणपुर जिले में शामिल किया जाए। इन्हीं मांगों को लेकर 45 दिन से ग्रामीण धरने पर बैठे हुए थे। ग्रामीणों की मांग अनसुनी (Tribals Demand) किए जाने के बाद 58 गांव के करीब हजारों ग्रामीण पैदल ही राजधानी रायपुर पहुंचे। उनका कहना है कि राज्यपाल स्वयं आदिवासी समाज से आती है, लिहाजा वे हमारी समस्या को बेहतर समझेंगी।
ज्ञात हो कि 13 ग्राम पंचायत के 58 गांव के ग्रामीण साल 2007 से मांग कर रहे हैं कि उनके गांव को नारायणपुर जिले में शामिल किया जाए।लेकिन पूर्व सरकार से लेकर आज तक उनकी मांगों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
ग्रामीण सोमनाथ उसेंडी ने बताया कि कोलर क्षेत्र से भैसगांव, कोलर, तालाबेड़ा, बैंहासालेभाट, फूलपाड़ एंव बण्डापाल क्षेत्र से कोसरोंडा, देवगांव, गवाडी, बण्डापाल, मातला- ब, अर्रा, मुल्ले व करमरी ग्राम पंचायत शामिल है। इन पंचायतों में निवासरत ग्रामीणों को शासकीय कार्य के लिए 150 किमी का सफर तय कर कांकेर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है, जबकि इन गांवों से नारायणपुर जिला मुख्यालय की दूरी मात्र 20 किमी है।

यही नहीं कांकेर जिले के 13 ग्राम पंचायत में निवासरत ग्रामीणों का रहन-सहन रिश्तेदारी, बाजार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं नारायणपुर जिला मुख्यालय से पूरी होती हैं। वहीं नारायणपुर जिला चिकित्सालय सहित रामकृष्ण आरोग्य धाम से इन ग्राम पचांयतों के ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधाए उपलब्ध होती हैं। इसके अलावा छात्र नारायणपुर के स्वामी आत्मानंद महाविद्यालय से उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं। इस तरह से इन 13 ग्राम पंचायतों में लोगों को नारायणपुर जिले से जन सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं।
भौगोलिक स्थिति के आधार पर मांग होगी पूरी – अकबर
प्रदेश के वन मंत्री और सरकार के प्रवक्ता मोहम्मद अकबर ने आदिवासियों (Tribals Demand) के रायपुर पहुंचने पर कहा कि भौगोलिक स्थिति के आधार पर यदि उनकी मांग है तो सहानुभूति पूर्वक उस पर विचार राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि राज्यपाल की ओर से कोई निर्देश आता है तो उसका परीक्षण कर निराकरण की पूरी कोशिश की जाएगी। साथ ही मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में खासकर नारायणपुर में किसी प्रकार की कोई कोल खदान की खुदाई के लिए अनुमति जारी नहीं किया गया है, इससे आदिवासी समाज को घबराने की किसी प्रकार की जरूरत नहीं है।
वही कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा के आदिवासियों के पैदल चलकर राजधानी पहुंचने की जानकारी मिली है। सरकार उनसे बातचीत करने का प्रयास कर रही है और उनकी जो भी मांगे होगी उस पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाएगा और निराकरण भी होगा।
आदिवासी हितैषी होने का ढोंग कर रही सरकार – उपासने
भाजपा के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने ने राज्य सरकार पर आदिवासी हितैषी (Tribals Demand) होने का ढोंग करने का आरोप लगाया। उनकी माने तो एक ओर सरकार 3 दिनों तक प्रदेश की राजधानी में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में मशगूल रहेगी, लेकिन उनके ही प्रदेश के आदिवासी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। अब क्षेत्र में आदिवासियों की मांग को सरकार द्वारा नहीं सुने जाने पर हजारों मील पैदल चल कर ये आदिवासी राज्यपाल से मिलने पहुंचते हैं, ऐसे में सरकार के कामकाज पर सवाल उठना लाजमी है।