Taliban terrorism : तालिबान के आतंक को चुनौती…
Taliban terrorism : अफगानिस्तान में तालिबान ने भले ही एक चुनी हुई सरकार का तख्ता पलटकर वहां की सत्ता हथियाने का खेल खेला है लेकिन अब तालिबान के आतंक को वहां के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरूल्लाह सालेह ने चुनौती देने का साहस किया है। सालेह ने अफगानिस्तान के कानून के मुताबिक खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति बताते हुए कहा है कि वे तालिबान के आतंक के आगे नहीं झुकेंगे और अफगानिस्तान में अपनी सरकार बनाएंगे। इसके लिए वे तालिबान विरोधी नेताओं के साथ बातचीत कर रहे है।
सालेह तालिबान के निशाने पर है क्योंकि उन्होने तालिबान (Taliban terrorism) को चुनौती देने का साहस किया है। गौरतलब है कि तालिबान से डरकर वहां के राष्ट्रपति और सभी मंत्री तथा अन्य नेता अफगानिस्तान छोड़कर भाग चुके है। लेकिन उपराष्ट्रपति सालेह अभी भी अफगानिस्तान में है और तालिबान के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की योजना बना रहे है। इसमें उनके सबसे बड़े मददगार पंजशीर प्रांत के अहमद शाह मसूद हैै जिनके पिताजी ने तालिबान के खिलाफ न सिर्फ लंबी लड़ाई लड़ी थी बल्कि तालिबान को पंजशीर प्रांत में घुसने नहीं दिया था।
आज भी तालीबान ने अफगानिस्तान (Taliban terrorism) के ३५ प्रांतों में से ३२ प्रांतों पर अपना कब्जा कर लिया है लेकिन तंजशीर प्रांत मेंं जाने की हिम्मत वह नहीं जुटा पा रहा है। सालेह अभी तंजशीर प्रांत में ही है और वहां के लोगों को तालिबान के खिलाफ लड़ाई के लिए तैयार कर रहे है। सालेह खुद भी पूर्व में गुरिल्ला लड़ाका रह चुके है। उन्होने स्पष्ट किया है कि अफगानिस्तान को अब अपनी लड़ाई खुद लडऩी होगी। उन्होने देशवासियों से अपील की है कि वे तालिबान के खिलाफ लड़ाई के लिए तैयार हो जाएं।
उनकी इस अपील का अफगानिस्तान में असर भी दिखने लगा है। अफगानिस्तान के कई इलाकों मेंंं तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए है। हालांकि तालिबान ऐसे विरोध प्रदर्शन को आतंक के बल पर कुचलने की कोशिश कर रहा है। बहरहाल अफगानिस्तान में अभी भी स्थिति अस्पष्ट है। वहां अभी कोई सरकार नहीं है।
तालिबान (Taliban terrorism) ने जरूर हर जगह अपना कब्जा कर लिया है लेकिन उसके लिए अपनी सरकार बनाना आसान नहीं है। चीन और पाकिस्तान को छोड़कर कोई भी देश तालिबान को समर्थन देने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में अफगानिस्तान में आगे क्या होगा इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता।