बिहार जातीय जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट की राय, ‘अभी हम कुछ नहीं कहेंगे’, अब अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को !
-बिहार की जातीय जनगणना के आंकड़े जारी करने का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में उठा
नई दिल्ली। Bihar caste census: बिहार जाति जनगणना के आंकड़े जारी करने वाला पहला राज्य बन गया है। हालाँकि, बिहार की जाति जनगणना के आंकड़े जारी करने का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में उठाया गया था। राज्य सरकार द्वारा ये आंकड़े जारी करने के बाद याचिकाकर्ता ने आज सुप्रीम कोर्ट में यह मुद्दा उठाया।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, इस समय बिहार सरकार ने जाति जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक कर दिये हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम फिलहाल इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर को तय की गई है, उसी समय हम इस पर सुनवाई करेंगे।
इस बीच, यह याचिका गैर सरकारी संगठन ‘यूथ फॉर इक्वेलिटी’ और ‘एक सोच एक प्रयास’ की है। इससे पहले की सुनवाई में बिहार सरकार ने डेटा सार्वजनिक नहीं करने का वादा किया था। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने रोक का आदेश नहीं दिया, लेकिन याचिकाकर्ता ने आंकड़ों के प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग की थी।
बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने सोमवार को जाति आधारित जनगणना 2022 की पुस्तिका का विमोचन किया। उन्होंने कहा, बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है। इसमें 2 करोड़ 83 लाख 44 हजार 160 परिवार हैं। अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत और सामान्य वर्ग 15.52 प्रतिशत हैं। बिहार में लगभग 82 प्रतिशत हिंदू और 17.7 प्रतिशत मुस्लिम हैं।
2011 से 2022 के बीच बिहार में हिंदुओं की आबादी घटी है। 2011 की जनगणना के अनुसार, हिंदू आबादी 82.7 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी 16.9 प्रतिशत थी। ईबीसी 36 फीसदी हैं, ओबीसी 27 फीसदी हैं। उसके बाद सबसे अधिक जनसंख्या (14.26) यादवों की है। ब्राह्मण 3.65 प्रतिशत, राजपूत (ठाकुर) 3.45 प्रतिशत हैं। सबसे कम 0.60 प्रतिशत कायस्थ हैं। वर्तमान में नौकरियों में 18 फीसदी आरक्षण दिया जाता है। 27 फीसदी ओबीसी को 12 फीसदी आरक्षण दिया जाता है। गणना के मुताबिक बिहार में ऊंची जातियां 15.52 फीसदी हैं।