Supreme Court : लाउडस्पीकर विवाद में राजनीति बंद हो

Supreme Court : लाउडस्पीकर विवाद में राजनीति बंद हो

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डॉ. श्रीनाथ सहाय। Supreme Court : आजकल देश में लाउडस्पीकर की आवाज को लेकर बहस छिड़ी हुई है। वैसे तो धार्मिक स्थलों व धार्मिक आयोजनों में लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार देखा गया है कि लाउडस्पीकर की आवाज बहुत अधिक होती है। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने भी लाउडस्पीकर की आवाज को सीमित रखने के लिए कहा है। लेकिन फिर भी लोग इन हिदायतों का पालन नहीं करते। सभी लोग एक-दूसरे के ऊपर दोष लगा रहे हैं। इस मामले में जमकर राजनीति भी हो रही है। जबकि निर्धारित मानकों से ज्यादा आवाज ध्वनि प्रदूषण की बड़ी वजह है।

ये एक सामाजिक समस्या भी है। इस विवाद की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई। महाराष्ट्र से शुरु हुआ ये लाउडस्पीकर विवाद दरअसल पूरे देश में फैल चुका है, बीते दिनों कर्नाटक की बेंगलुरु पुलिस ने मस्जिदों, मंदिरों, चर्चों, पबों, बारों समेत 300 से ज्यादा स्थलों के लिए नोटिस जारी किए। इनमें 59 पब, बार और रेस्तरां को, 12 उद्योगों को, 83 मंदिरों को, 22 चर्चों को और 125 मस्जिदों को दिए गए हैं। बेंगलुरु पुलिस के मुताबिक जिन्हें नोटिस दिया गया है, उनसे यह भी कहा गया है कि लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल ध्वनि के निर्धारित स्तर के भीतर ही करें। वहीं बिहार से मंत्री जनक राम ने भी मस्जिदों पर लगने वाले लाउडस्पीकर पर बैन की मांग की है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं के त्योहारों पर डीजे पर रोक लगती है, उसी तरह मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर भी रोक लगे। देखा जाए तो ऐसा पहली बार नहीं हो रहा, जब लाउडस्पीकर से अजान के विरोध में यूं आवाजें उठाई जा रही हो, इसको लेकर पहले भी कई बार विवाद खड़ा हो चुका है।

पहले भी देश में ये मुद्दा कई बार सुर्खियों में छाया और इसको लेकर काफी हंगामा भी मचा है। साल 2017 में मशहूर सिंगर सोनू निगम ने लाउडस्पीकर का विरोध करते हुए एक ट्वीट किया था कि मस्जिदों में सुबह सुबह लाउडस्पीकर से होने वाली अजान से नींद खराब हो जाती है। साल 2021… इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर संगीता श्रीवास्तव ने शिकायत की थी कि सुबह सुबह लाउडस्पीकर से बजने वाली अजान के चलते उनकी नींद खराब होती है। नवंबर 2021… साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि अजान की वजह से साधु-संतों को ब्रह्म मुहूर्त में पूजा-आरती करने में समस्या होती है। उनके इस बयान के बाद ये मामला एक बार फिर से सुर्खियां में छाया था। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने धमकी दी कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बंद हो, नहीं तो मस्जिदों के बाहर तेज आवाज में हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा।

बात यहीं तक नहीं रुकी, अब राज ठाकरे ने धमकी दे दी है कि अगर 3 मई तक सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाए गए तो उनके कार्यकर्ता मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकर से हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। इसी बीच केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर (Supreme Court) की राजनीति नहीं होनी चाहिए। इस विवाद में महाराष्ट्र से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा की भी एंट्री हो चुकी है। राणा ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री के बाहर अपने पति रवि राणा जो निर्दलीय विधायक हैं, के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करने का एलान किया है। कांग्रेस नेता और अक्सर विवादों में रहने वाले मौलाना तौकीर रजा ने एक बार फिर लाउड स्पीकर और अजान विवाद पर विवादित बयान दिया है।

लेकिन सवाल ये है कि क्या मंदिर या मस्जिद में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा सकता है? इस पर कानून क्या कहता है? लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की मनाही नहीं है, लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर कुछ शर्तें भी हैं.? लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर संविधान में नॉयज पॉल्यूशन (रेगुलेशन एंड कंट्रोल) रूल्स, 2000 में प्रावधान है। लाउडस्पीकर या कोई भी यंत्र का अगर सार्वजनिक स्थान पर इस्तेमाल किया जा रहा है, तो उसके लिए पहले प्रशासन से लिखित में अनुमति लेनी जरूरी है। रात के 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर या कोई भी यंत्र बजाने पर रोक है। हालांकि, ऑडिटोरियम, कॉन्फ्रेंस हॉल, कम्युनिटी और बैंक्वेेट हॉल जैसे बंद स्थानों पर इसे बजा सकते हैं।

राज्य सरकार चाहे तो कुछ मौकों पर रियायतें दे सकती है। राज्य सरकार किसी संगठन या धार्मिक कार्यक्रम के लिए लाउडस्पीकर या दूसरे यंत्रों को बजाने की अनुमति रात 10 बजे से बढ़ाकर 12 बजे तक दे सकती है. हालांकि, एक साल में सिर्फ 15 दिन ही ऐसी अनुमति दी जा सकती है। इसके अलावा नियम में कई अन्य प्रावधान हैं। इन नियमों का उल्लंघन करने पर कैद और जुर्माने दोनों सजा का प्रावधान है. इसके लिए एन्वार्यमेंट (प्रोटेक्शन) एक्ट, 1986 में प्रावधान है. इसके तहत इन नियमों का उल्लंघन करने पर 5 साल कैद और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।

जमीनी स्तर पर देखा जाए तो इस नियम को धड़ल्ले से दुरुपयोग होता है और अक्सर ही तमाम तरह के आयोजनों मे ध्वनि नियंत्रण की निर्धारित सीमा से कहीं तेज कान फोड़ू गानों के लिए लाउडस्पीकर, उच्च कोटि के संगीत उपकरण और हाईफाई एंपलीफायर का इस्तेमाल हो रहा है। धार्मिक मामलों में तो मारपीट तक की स्थिति पैदा हो जाती है। धार्मिक स्थलों में तेज आवाज में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का विरोध होने पर अदालतों में तर्क दिये गए हैं कि इससे उनके मौलिक अधिकारों का हनन होता है लेकिन न्यायालय ने इनकी इस दलील को ठुकरा दिया। यही नहीं, पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद सरीखे जैसे नेताओं ने तो अजान के लिए मस्जिदों में लाउडस्पीकर की अनुमति को संविधान के अनुच्छेद 25 में प्रदत्त धार्मिक आजादी से भी जोडऩे का असफल प्रयास किया था।

लेकिन, इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Supreme Court) उनके इस तर्क से भी सहमत नहीं था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक लाउडस्पीकर्स का इस्तेमाल इस्लाम के लिए आवश्यक नहीं है। अदालत ने 2020 में अपने फैसले में कहा था, ‘इस्लाम में अजान एक धार्मिक अभ्यास है. लेकिन लाउडस्पीकर्स पर अजान देना आवश्यक नहीं है इसलिए मुस्लिम धर्मगुरु मस्जिद से बिना लाउडस्पीकर्स के अजान दे सकते हैं।Ó इससे पहले, चर्च ऑफ गॉड के मामले में 2000 में उच्चतम न्यायालय ने ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के संदर्भ में कहा था कि नि:संदेह, कोई भी धर्म दूसरों की शांति भंग करके प्रार्थना करने या ध्वनि विस्तारक उपकरणों अथवा ढोल नगाड़े बजाकर प्रार्थना करने का उपदेश नहीं देता है।

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