ग्रामीणों को 3 साल से नहीं मिली मजदूरी, मांगने पर मिलती है गाली

ग्रामीणों को 3 साल से नहीं मिली मजदूरी, मांगने पर मिलती है गाली

  • परेशान मजदूर कलेक्टर के पास पहुंच की शिकायत

सुकमा । सुकमा जिले के छिंदगढ़ विकासखंड के कोडरिपाल ग्राम पंचायत में 3 साल पहले मनरेगा के तहत हुए काम का मजदूरों को आज तक भुगतान नहीं हुआ है, जिसकी शिकायत लेकर पंचायत के ग्रामीण गुरुवार को जिला कार्यालय पहुंचे । कलेक्टर की गैरमौजूदगी में ग्रामीणों ने अपर कलेक्टर से मुलाकात कर अपनी समस्या बताई । साथ ही ग्रामीणों का आरोप है कि 2016 में गांव के प्रेम सिंह के खेत में तीन लाख की लागत से तालाब का निर्माण कराया गया था, काम पूरा होने के बाद एक लाख का भुगतान किया गया ।  ज्ञात हो कि सुकमा के छिंदगढ़ जनपद क्षेत्र का पूरा मामला तब सामने आया जब सिस्टम से परेशान होकर मजदूर अपर कलेक्टर के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचे ग्रामीणों ने अपर कलेक्टर को पूरे मामले पर लिखित शिकायत की जिसपर जल्द आवश्यक कार्यवाही कर मजदूरी दिए जाने का आश्वासन दिया गया । छिंदगढ़ सुकमा जिले का वो इलाका है जहां के सबसे ज्यादा मजदूर तेलंगाना में काम करने को मजबूर हैं क्योंकि सिस्टम में कसावट के अभाव में मजदूरों का विश्वास कमजोर होता है एक तरफ शासन के निर्देश पर कलेक्टर व जिला सीईओ मनरेगा की योजना को सफल करने प्रयासरत हैं वही कुछ लोगों की वजह से मजदूरों को उनका मेहनताना वक्त पर नही मिल पाता और परेशानी झेलनी पड़ती है ।

ग्रामीणों को 3 साल से नहीं मिली मजदूरी

ग्रामीणों ने बताया कि, ‘2016 में गांव के प्रेम सिंह के खेत में तीन लाख की लागत से तालाब का निर्माण कराया गया था, काम पूरा होने के बाद एक लाख का भुगतान किया गया, लेकिन दो लाख रुपए आज नहीं मिले हैं । ग्रामीणों द्वारा सरपंच, सचिव और रोजगार सचिव को कई बार राशि देने की गुहार लगाई गई, लेकिन किसी ने भी इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई.

ग्रामीणों ने बताया कि, ‘मजदूरी भुगतान को लेकर रोजगार सहायक कु. बिंदिया ठाकुर से भी गुहार लगाई गई लेकिन जब भी मजदूरी की बात करते हैं तो रोजगार सहायक अभद्रता करते हुए भगा देती है’ ।

मामले में जांच के बाद होगी कार्रवाई

वहीं इस पूरे मामले में छिंदगढ़ जनपद सीईओ सहदेव सिंह ने बताया कि, ‘उन्हें इस संबंध में जानकारी नहीं है, कुछ पंचायतें पूर्व में बस्तर जिले में शामिल थीं, तीन वर्ष पहले ही उन्हें सुकमा जिले में शामिल किया गया है । हो सकता है कि तालाब का काम उसी दौरान करवाया गया हो । मामले की जांच कर, यदि ग्रामीणों की मजदूरी लंबित है तो उन्हें बकाया राशि दी जाएगी’ ।

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