‘वरिष्ठता के बावजूद SC-ST को प्रमोशन नहीं, अनारक्षित को सामान्य समझ रहा छग राज्य विद्युत मंडल’
- सोशल जस्टिस एंड लीगल सेल ने कहा पदोन्नति प्रक्रिया में मनमानी कर रहा छग राज्य विद्युत मंडल
- वरिष्ठ एससी-एसटी को छोड़ कनिष्ठ गैर एससी-एसटी को दी पदोन्नति
रायपुर/नवप्रदेश। सोशल जस्टिस एंड लीगल सेल (social justice and legal cell) ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल (cg state electricity board) की विभिन्न शाखाओं में पदोन्नति (promotion) प्रक्रिया में वरिष्ठता के बाजवूद अनुसूचित जाति-जनजाति (sc-st) का नाम नहीं शामिल किया जा रहा है। उल्टे अनारक्षित श्रेणी को सामान्य समझा जा रहा है।
सोशल जस्टिस एंड लीगल सेल (social justice and legal cell) के कोऑर्डिनेटर विनोद कोसले ने बताया कि नियमों से परे जाकर मंडल (cg state electricity board) की विभिन्न शाखाओं में जारी इस पदोन्नति प्रक्रिया को लेकर तथा वरिष्ठता के बावजूद एससी-एसटी (sc-st) को पदोन्नति (promotion) में शामिल नहीं किए जाने के विरुद्ध विद्युत विभाग राज्य कार्यालय में मुख्य अभियंता (मानव संसाधन) के साथ सेल के प्रतिनिधियों की बहस भी हुई।
इस दौरान मुख्य अभियंता पाठक (एचआर) और राव पदोन्नति सूची में गड़बड़ी से इनकार कर रहे थे। कोसले ने बताया कि इस दौरान उनकी टीम ने हाइकोर्ट आर्डर व वरिष्ठता सूची दिखाकर उनके द्वारा जानबूझकर की गई गलतियों का पर्दाफाश किया गया। लेकिन उनके द्वारा कोर्ट के निर्णय दिनांक 29/11/2019, 09/12/2019 व 06/02/2020 को गलत तरीके से परिभाषित कर रहे हैं। कोर्ट द्वारा रोस्टर बिंदु स्टे व वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति आदेश को विद्युत विभाग अनारक्षित का मतलब जनरल वर्ग मान रहा है। हमारी उनके साथ तीखी बहस हुई।
अफसरों को दो टूक – करा सकते हैं एफआईआर
कोसले ने बताया कि सोशल जस्टिस व लीगल सेल की टीम ने उक्त अफसरों से स्पष्ट कहा कि वे अनुसूचित जाति व जनजाति के साथ भेदभाव कर रहे हैं। उन्होंने जानबूझकर एससी-एसटी को वरिष्ठता के बावजूद पदोन्नति नहीं दी, उन्हें अपनी गलती माननी चाहिए। श्री राव के साथ काफी बहस हुई। श्री पाठक ने कुछ त्रुटि मानी, लेकिन उचित जवाब नहीं दिया। इस दौरान सोशल जस्टिस एंड लीगल सेल ने दोषियों के विरुद्ध एट्रोसिटी एक्ट लगाने के बारे में कहा। सारे डीपीसी मेंबर के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने की भी बात कही गई।
जानकारी नहीं दे पाए बिजौरिया
कासले ने बताया कि उनकी टीम ने एमडी जनरेशन बिजौरिया से भी चर्चा की। उन्होंने इस मामले में अनभिज्ञता जाहिर की। इस मामले में स्पष्ट जानकारी बिजौरिया भी नहीं दे पाए। चेयरमैन से मुलाकात नहीं हो पाई। लेकिन उनके कार्यालय में पत्र सौंपा गया है। विद्युत विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से चर्चा से स्पष्ट हुआ कि विभाग पदोन्नति सूची को रिवाइज नहीं करेगा और आगे भी पदोन्नति में मनमानी जारी रहेगी।
एससी-एसटी वर्ग की चिंता इसलिए भी
सोशल जस्टिस एंड लीगल सेल के अनुसार, अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकारों का दोतरफा हनन हो रहा है। विभिन्न विभागों में पदोन्नति केे सारे रिक्त पदों को अनारक्षित बिंदु में भरा जा रहा है। परिणामस्वरूप सारे पद भर जाएंगे। कुछ समय बाद पदोन्नति में आरक्षण बहाल हो जाएगा तो पदोन्नति के लिए पद ही खत्म हो जाएगा। इस बीच विद्युत विभाग अंतर्गत 5 शाखाओं में पूरी तरह अनुसूचित जाति व जनजाति को छोड़कर पदोन्नति दी जा रही है।
ये दावा भी किया सेल ने
सेल का दावा है कि उसके पास एक यांत्रिकी विभाग की वरिष्ठता सूची भेजी गई है। जिसमें टॉप मोस्ट प्रथम व द्वितीय वरीयता में सीनियर अनुसूचित जाति के 2 कर्मचारी हैं। इसके बावजूद पदोन्नति सूची में इन्हें छोड़ दिया गया है। सेल के प्रतिनिधिमंडल में सोशल जस्टिस एंड लीगल सेल की ओर से को ऑर्डिनेटर अनिल बनज, विनोद कुमार कोशले, विद्युत विभाग संघ से आर्या, ढाबरे, प्रभावितो में कोरबा प्लांट से सोहन बंजारे, लाल सिंह राज, धरम पाल सिंह, चैन कुमार बघेल, मड़वा प्लांट से दिलीप कोसरे, जीत राम खूंटे, राम भरोस मरावी ,जीवन पाल सिंह, रितेश हनौतिया, जसवंत भारिया, दाऊ राम खांडे, देव प्रसाद चतुर्वेदी शामिल रहे।