School Textbook Distribution Chhattisgarh : बारकोड से बंधी किताबें, तकनीक से तय होगी पढ़ाई की रफ्तार…मुख्यमंत्री ने प्राइवेट स्कूलों को दी 7 दिन की मोहलत…

School Textbook Distribution Chhattisgarh : बारकोड से बंधी किताबें, तकनीक से तय होगी पढ़ाई की रफ्तार…मुख्यमंत्री ने प्राइवेट स्कूलों को दी 7 दिन की मोहलत…

रायपुर, 4 जुलाई| School Textbook Distribution Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था इस बार सिर्फ किताबों के पन्नों तक सीमित नहीं, बल्कि तकनीकी पारदर्शिता के पन्ने भी लिख रही है। मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय ने प्रदेश के निजी विद्यालयों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे 7 दिनों के भीतर बारकोड स्कैनिंग प्रक्रिया पूर्ण करें — अन्यथा किताबों की आपूर्ति रोकी जा सकती है।

क्या है बारकोड स्कैनिंग सिस्टम?

पाठ्यपुस्तक निगम अध्यक्ष  राजा पाण्डेय ने बताया कि इस वर्ष कुल 2.41 करोड़ किताबें छापी गई हैं, जिन पर डुअल बारकोड सिस्टम लागू किया गया है:

पहला बारकोड – प्रिंटर की पहचान के (School Textbook Distribution Chhattisgarh)लिए

दूसरा बारकोड – संबंधित विद्यालय के लिए

इस सिस्टम से पारदर्शिता, सटीक डिलीवरी और भ्रष्टाचार की रोकथाम संभव हो रही है।

कहां आई समस्या?

डिपो में स्थान की कमी

प्राइवेट स्कूलों में तकनीकी ट्रेनिंग की कमी

करीब 1100+ निजी स्कूल, जिनमें सरस्वती शिक्षा मंदिर जैसे संस्थान भी शामिल हैं, स्कैनिंग न होने के कारण किताबें नहीं ले पा रहे थे।

मुख्यमंत्री का तेज़ और तकनीकी निर्णय

जैसे ही स्थिति मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के संज्ञान में लाई गई, उन्होंने तत्काल निर्णय लेते हुए निर्देश दिए:

प्राइवेट स्कूल अपनी आवश्यकता अनुसार किताबें डिपो से प्राप्त (School Textbook Distribution Chhattisgarh)करें

7 दिनों में स्कैनिंग प्रक्रिया पूर्ण करें

स्कैनिंग पूरा होने पर ही भविष्य में पुस्तकों की आपूर्ति होगी

लाभ क्या हैं इस फैसले के?

कोई बच्चा किताबों के अभाव में पीछे न छूटे

डिलिवरी ट्रैकिंग की सुविधा से पारदर्शिता बनी रहे

अनियमितताओं की रोकथाम

वितरण की गति और गुणवत्ता में सुधार

मौजूदा वितरण स्थिति:

शासकीय विद्यालय:

कक्षा 9वीं–10वीं की किताबें पूरी तरह पहुंच चुकी हैं

90% बारकोड स्कैनिंग पूरी

आत्मानंद स्कूल:

60% वितरण पूर्ण, बाकी कुछ ही दिनों में पूर्ण

प्राइवेट स्कूल:

अब बारकोड स्कैनिंग पूर्ण होने के बाद ही पुस्तकें मिलेंगी

यह सिर्फ किताब नहीं, सिस्टम है — जो पढ़ाई के स्तर को डिजिटल सटीकता से जोड़ता है

छत्तीसगढ़ की यह पहल राष्ट्रीय मॉडल बन सकती है, जिसमें न सिर्फ किताबें, बल्कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति और तकनीकी दृष्टिकोण भी विद्यार्थियों तक पहुंच रहा है।

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