School Education : राज्य मनाने जा रहा है स्थापना दिवस…पर ये क्या...स्कूली शिक्षा में फिर फिसड्डी

School Education : राज्य मनाने जा रहा है स्थापना दिवस…पर ये क्या…स्कूली शिक्षा में फिर फिसड्डी

School Education: The state is going to celebrate the foundation day… but what is this… again the laggard in school education

School Education

देहरादून/नवप्रदेश। School Education : राष्ट्रीय स्तर पर हुए सर्वेक्षण में उत्तराखंड एक बार फिर फिसड्डी साबित हुआ है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की ओर से परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) 2020-21 की रिपोर्ट जारी की गई। इस इंडेक्स में देशभर में उत्तराखंड को 35वां स्थान मिला है। उत्तराखंड को 1000 अंकों में से 719 अंक प्राप्त हुए हैं, जबकि हमसे पीछे केवल मेघालय और अरुणाचल प्रदेश ही हैं।

मंत्रालय की ओर से जारी सूची में केरल, महाराष्ट्र और पंजाब 1000 अंकों के स्कोर में 928 अंक पाकर पहले, 927 अंकों के साथ चंडीगढ़ दूसरे और 903 अंकों के साथ गुजरात तीसरे नंबर पर है। जिला और राज्य स्तर पर स्कूली शिक्षा का आकलन करती यह रिपोर्ट बताती है कि बीते चार वर्षों में उत्तराखंड में स्कूली शिक्षा का स्तर कभी भी ऊपर नहीं उठ पाया है।

वर्ष 2019-20 में 752 अंकों के बाद वर्ष 2020-21 में यह स्कोर 33 अंक लुढ़ककर 719 पर आ पहुंचा है। इससे पूर्व वर्ष 2017-18 में अंकों का यह स्कोर 704 और वर्ष 2018-19 में 712 पर था। खास बात यह की बीते वर्षों में 37 में से 27 राज्यों में सुधार हुआ, लेकिन खराब प्रदर्शन करने वाले 10 राज्यों में उत्तराखंड का नाम भी शामिल है।

शिक्षा विभाग पहाड़ों मेें इंटरनेट की पहुंच नहीं (School Education) होने का हवाला देकर अपना बचाव कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद प्रदेश में स्कूली शिक्षा की पोल पूरी तरह से खुल गई है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास बताने के लिए कुछ खास नहीं है।

पीजीआई का उद्देश्य

परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) एक ऐसा सूचकांक है, जो स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलावों को उत्प्रेरित करने के लिए राज्यो, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन को एक समान पैमाने पर मापता है। पीजीआई का उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्कूली शिक्षा की स्थिति पर नजर रखने के साथ उन्हें उनके बेहतर प्रदर्शन करने और शिक्षा प्रणाली को हर स्तर पर मजबूत बनाने के लिए प्रेरित करता है।

70 मानकों पर परखी गई स्कूली शिक्षा

पीजीआई की यह रिपोर्ट 70 मानकों और पांच डोमेन वाली दो प्रमुख श्रेणियों के आधार पर तैयार की गई है। इसके लिए आंकड़े कई स्रोतों से इकट्ठा किए गए हैं। इस रिपोर्ट में 70 मानकों में कुल 1000 अंक शामिल हैं, जिन्हें दो श्रेणियों में बांटा गया है। इन श्रेणियों को आगे पांच डोमेन में विभाजित किया गया है। इनमें डोमेन-एक में लर्निंग आउटकम एंड क्वालिटी के लिए नौ मानकों में 180 अंक, डोमेन-2 में एक्सस के आठ मानकों में 80 अंक, डोमेन-3 में इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं के लिए 11 मानकों में 150 अंक, डोमेन-4 में इक्विटी के लिए 16 मानकों में 230 अंक। कुल 640 अंक रखे गए हैं। इसके अलावा दूसरी श्रेणी सुशासन और प्रबंधन में 26 मानकों में 360 अंकों को शामिल किया गया है। इसी श्रेणी में उत्तराखंड को सबसे कम अंक मिले हैं।

शिक्षा मंत्री डॉ. रावत ने इंटनेट के सिर फोड़ा ठीकरा

पीजीआई रिपोर्ट में उत्तराखंड के खराब प्रदर्शन पर शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इसका ठीकरा इंटरनेट के सिर फोड़ा है। उनके अनुसार प्रदेश में स्कूली शिक्षा में सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं, लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में इंटरनेट की अनुपलब्धता के चलते पोर्टल पर अपडेट नहीं हो पाई हैं। डॉ. रावत ने कहा कि सुशासन और प्रबंधन (गर्वनेंस एंड मैनेजमेंट) के मामले में इस रिपोर्ट में उत्तराखंड ने बेहतर प्रदर्शन नहीं किया है। इसकी वजह पर्वतीय क्षेत्रों में बहुत सी जगह इंटरनेट की पहुंच का न होना है। केंद्र सरकार का शिक्षा मंत्रालय सारा डाटा यू-डायस पोटर्ल से उठाता है।

इस पोटर्ल पर सारी डिटेल स्कूल भरते हैं, जिसमें बच्चों की परफॉरमेंस से लेकर स्कूल में मौजूद बिजली-पानी और अन्य सुविधाओं की जानकारी भरनी होती है। इंटरनेट की कमी के चलते बहुत से स्कूल इन तमाम जानकारियों को नहीं भर पाए हैं। शिक्षा विभाग विद्या समीक्षा केंद्र ऑनलाइन पोर्टल तैयार कर रहा है, जिसमें रियल टाइम डाटा भरा जाएगा, अगले छह माह में सारी जानकारियां इसमें भर दी जाएंगी।

स्कूली शिक्षा का गिरता स्तर पीछे शासन की कमी

एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल का कहना है कि, उत्तराखंड नौ नवंबर को 23वें राज्य स्थापना दिवस (School Education) की तैयारी कर रहा है। ऐसे में हमें आत्म-आलोचनात्मक और ईमानदारी से यह पूछना चाहिए की विभिन्न क्षेत्रों में प्रदर्शन के मामले में हम कहां खड़े हैं। स्कूली शिक्षा का गिरता स्तर शासन की कमी और सिस्टम के उदासीन रवैये का परिणाम है। उत्तराखंड में स्कूली शिक्षा के पेशे में जुड़े सभी हितधारकों को इन खराब परिणामों पर गहराई से विचार करने और स्थिति को बेहतर बनाने के लिए बदलाव करने के बारे में सोचना चाहिए।

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