रूस यूक्रेन संकट : दुनिया में विभाजित यूक्रेन-रूस, जापान से ऑस्ट्रेलिया को सलाह, जानें भारत-चीन की भूमिका

रूस यूक्रेन संकट : दुनिया में विभाजित यूक्रेन-रूस, जापान से ऑस्ट्रेलिया को सलाह, जानें भारत-चीन की भूमिका

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Russia Ukraine crisis

-रूस यूक्रेन संकट को लेकर दुनिया दो ध्रुवों में बंटी, भारत और चीन खामोश

मास्को। Russia Ukraine crisis: रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनातनी ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। एक तरफ अमेरिका समेत सभी नाटो देशों ने रूस की आक्रामकता की निंदा की है। वहीं दूसरी तरफ भारत और चीन जैसे बड़े देशों ने पूरे मुद्दे पर तटस्थ रुख अपनाया है। रूस ने तनाव के लिए अमेरिका और उसके सहयोगियों को जिम्मेदार ठहराया है।

एक रूसी राजनयिक का कहना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी यूक्रेन से सैन्य कार्रवाई करने का आग्रह कर रहे हैं। सोमवार रात संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में रूसी राजनयिक वसीली नेबेंजिया ने यूक्रेन पर लुगांस्क और डोनेट्स्क क्षेत्रों पर बम गिराने का आरोप लगाया।

रूस दोनों हिस्सों को यूक्रेन से अलग प्रांतों के रूप में मान्यता देता है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन ने पूर्वी यूक्रेन में 120,000 सैनिकों को तैनात किया है, जहां रूस समर्थक अलगाववादी सक्रिय हैं। इस बीच जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने रूस की इस कार्रवाई का विरोध किया है।

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने यूक्रेन की संप्रभुता का समर्थन किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक के बाद, मून जे-इन ने यूक्रेन संघर्ष के दौरान आर्थिक सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा की।

जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने रूस पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि रूस यूक्रेन की संप्रभुता के साथ खेल खेल रहा है। उन्होंने रूस पर प्रतिबंध लगाने की भी धमकी दी है। उन्होंने कहा कि जापान रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने पर विचार करेगा।

रूस में भारत और चीन की बराबर की भूमिका –

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत ने किसी एक पक्ष का समर्थन या विरोध करने के बजाय संयम बरतने का आह्वान किया। इसके अलावा भारत की तरह चीन ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से परहेज किया है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जाना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जून ने कहा कि सभी पक्षों को शांति बनाए रखने और कूटनीति के जरिए विवाद को सुलझाने पर काम करने पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, जर्मनी और फ्रांस ने रूस का खुलकर विरोध किया है।

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