366 करोड़ की तथाकथित डायरी का मास्टर माइंड निकला रिटायर्ड शिक्षा अधिकारी, इस तरह रची साजिश...

366 करोड़ की तथाकथित डायरी का मास्टर माइंड निकला रिटायर्ड शिक्षा अधिकारी, इस तरह रची साजिश…

Retired education officer turned out to be the master mind of the so-called diary of 366 crores, conspiracy hatched in this way...

Master Mind

Master Mind : शिकायत होने के 48 घंटे के भीतर रायपुर पुलिस ने किया खुलासा

रायपुर/नवप्रदेश। Master Mind : सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी गेंदाराम चंद्राकर पिछले साल जनवरी में सेवानिवृत्त हुए थे, लेकिन वह सेवानिवृति के बाद संविदा पदस्थापन चाहते थे और न केवल नियुक्त बल्कि अपने पसंदीदा स्थान रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में चाहते थे, लेकिन न मिलने पर उन्होंने यह साजिश रची। आपको बता दें कि फिलहाल उस जगह पर एएन बंजारा है। फिलहाल शिक्षा विभाग की कथित 366 करोड़ की डायरी के मास्टर माइंड समेत दो साथियों को गिरफ्तार किया गया है।

क्षुब्ध होकर अफसरों के नाम लिखी घपले की कहानी

सेवानिवृत जिला शिक्षा अधिकारी गेंदाराम चंद्राकर ने शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह समेत अन्य अधिकारियों को बेहद सुनियोजित तरीके से फंसाने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस की पैरवी के सामने उनकी एक न चली। फर्जी और मनगढंत पटकथा का मास्टर माइंड पूर्व DEO जीआर चंद्राकर है। पुलिस ने जीआर चंद्राकर को इसके साथी होम्योपैथी कॉलेज के सचिव संजय कुमार ठाकुर और टायपिस्ट कपिल कुमार देवदास को गिरफ्तार किया। इस घटना की शिकायत होने के 48 घंटे के भीतर रायपुर पुलिस ने इस षडय़ंत्र का खुलासा मीडिया के सामने किया।

खोखले 366 करोड़ के लेन-देन का जिक्र

रायपुर पुलिस के SSP प्रशांत अग्रवाल ने इन गिरफ्तारियों की जानकारी देते हुए कहा कि पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी चंद्राकर को रिटायरमेंट के बाद संविदा पर पोस्टिंग चाहिए थी, जो नहीं मिलने पर जिला शिक्षा अधिकारी ए.एन.बंजारा, संयुक्त संचालक के.सी.काबरा, तत्कालीन ओ.एस.डी. आर.एन. सिंह, ए.बी.ई.ओ. प्रदीप शर्मा और मंत्री के निज सचिव अजय सोनी के खिलाफ एक घोटाले की कहानी रच दी। एक डायरी में मंत्री प्रेम साय टेकाम का नाम लिखकर हजारों कर्मचारियों से पोस्टिंग, ट्रांसफर के नाम पर रुपए लेने की बात लिखी। कुल 366 करोड़ के लेन-देन का जिक्र किया। एक शिकायत पत्र तैयार करके इसमें लोक शिक्षण संचालनालय के उप संचालक आशुतोष चावरे के नाम का इस्तेमाल किया। ये शिकायती पत्र कई अफसरों, मीडिया हाउस और नेताओं को डाक के जरिए भेज दिए।

उप संचालक आशुतोष चावरे ने की थी शिकायत

उप संचालक लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ इंद्रावती भवन नवा रायपुर में कार्यरत प्रार्थी आशुतोष चावरे ने इसकी शिकायत राखी थाने में दर्ज कराया था। जिसमें उन्होंने लिखा था कि कुछ अज्ञात लोग उनको बदनाम करने की नीयत से उसके नाम का फर्जी हस्ताक्षर कर विभिन्न गणमान्य एवं अधिकारियों की शिक्षा मंत्री के पीए की कथित डायरी वायरल कर रहे है। इससे उनकी छबि खराब हो रही थी। जिस पर थाना राखी में अपराध क्रमांक 09/22 धारा 419, 469 भादवि. का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

SSP के नेतृत्व में बनी टीम फुर्ती से पहुंची आरोपियों तक

प्रकरण की संवदेनशीलता और गंभीरता को ध्यान में रखकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर तारकेश्वर पटेल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अपराध अभिषेक माहेश्वरी, नगर पुलिस अधीक्षक विधानसभा उदयन बेहार, नगर पुलिस अधीक्षक नवा रायपुर नवनीत पाटिल, प्रभारी सायबर सेल गिरीश तिवारी एवं थाना प्रभारी राखी कृष्ण चंद सिदार के नेतृत्व में टीम का गठन कर प्रकरण की जांच एवं अज्ञात आरोपियों की पतासाजी के निर्देश दिये।

रायपुर डाकघर से मिला सुराग

पुलिस ने इस घटना से संबंधित छोटी-बड़ी पूरी जानकारी प्रार्थी आशुतोष चावर से लेने के बाद पता चला कि इस पूरे मामले में विभागीय व्यक्ति की संलिप्तता के बगैर संभव नहीं। उसके बाद पुलिस को एक और क्ल्यू मिला जिसमें शिकायत पत्र को रायपुर पोस्ट ऑफिस से पोस्ट किया गया था। एक टीम ने बिना समय गंवाए पोस्ट ऑफिस संपर्क कर वहां का सीसी टीवी फुटेज देखा।

जिस तारीख और समय पर पोस्ट ऑफिस से वह पत्र स्पीड पोस्ट किया गया था, वहां तक पहुंची जिसमें पोस्ट ऑफिस के सी.सी.सी.टी.व्ही. फुटेज में एक व्यक्ति दिखाई दिया। जिसकी पहचान कपिल कुमार देवदास के रूप में की गई। साथ ही उसके संबंध में तकनीकी विश्लेषण किया गया जिस पर कपिल ने अपने मोबाईल फोन से पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी गेंदाराम चन्द्राकर से संपर्क करना पाया गया।

शिक्षा विभाग के स्टाफ ने जताई आशंका

इन्ट्रोगेशन टीम द्वारा शिक्षा विभाग के स्टॉफ अजय सोनी से पूछताछ की जा रहीं थी। उन्होंने उस दौरान उक्त शिकायत की साथ लगे कथित डायरी की लिखावट को अपना होने से इनकार किया एवं किसके द्वारा लिखा गया है, इससे भी अनभिज्ञ बताया। लेकिन सोनी ने ये जरूर बताया कि हो न हो इस कृत्य को अंजाम देने में पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी गेंदाराम चन्द्राकर (Master Mind) का हाथ हो सकता है।

सोनी के इस संदेह पर पुलिस ने दोनों कडिय़ां आपस में जुड़ते गए तो, टीम का संदेह गेंदाराम चन्द्राकर पर पुख्ता हो गया। लेकिन इसी समय कपिल कुमार का मोबाईल फोन बंद हो गया। उसके बाद पुलिस टीम ने गेंदाराम चन्द्राकर की पतासाजी कर पकड़ा। पुलिस ने जब सख्ती से गेंदाराम चन्द्राकर से पूछताछ शुरू की तो उन्होंने अन्य दो साथी कपिल कुमार एवं संजय कुमार सिंह के साथ मिलकर इस पूरे घटना को अंजाम देना स्वीकार किया।

तीनों आरोपियों से पूछताछ में ये तथ्य सामने आए

सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी गेेंदाराम चन्द्राकर की सेवा निवृत्ति जनवरी – 2021 में हुई। गेेंदाराम चन्द्राकर संविदा पद पर नियुक्ति चाह रहा था। इसका लिए उसने कई तरह के प्रयास किये किंतु वह सफल नहीं हो पाया। वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी ए.एन.बंजारा की नियुक्ति उस पद पर हो गई। अपनी संविदा नियुक्ति की फाईल रूकवाने के पीछे वह ए.एन.बंजारा, संयुक्त संचालक के.सी.काबरा, तत्कालीन ओ.एस.डी. आर.एन. सिंह, ए.बी.ई.ओ. प्रदीप शर्मा व निज सचिव अजय सोनी की मिली भगत को जिम्मेदार ठहराया।

इन्हीं सब कारणों से नाराज शिक्षा अधिकारी चंद्राकर ने सभी को सबक सिखाने के उद्देश्य से अपने मित्र संजय सिंह के माध्यम से शिक्षा विभाग में ट्रांसफर व पोस्टिंग के नाम पर लेन-देन की मनगंढ़त कहानी बनाकर शिकायत करने की योजना बनायी।

इसके लिए गेंदाराम चन्द्राकर ने वर्ष 2019 से लेकर अब तक जितने ट्रांसफर व पोस्टिंग हुई की आदेश प्रति निकाली और अपने घर के पास निर्माणाधीन बिल्डिंग में एक चैकीदार भुवनेश्वर साहू को दो डायरी खरीदकर दी एवं उसमें आदेश प्रति को लिखने बोला। साथ ही किसको कितने रूपए का काल्पनिक लेन-देन हुआ है यह भी चौकीदार को लिख कर दिया था।

शिकायत पत्र को टाईप कराने के लिए संजय सिंह ठाकुर ने अपने होम्योपैथिक मेडिकल कालेज रामकुण्ड ऑफिस में कार्य करने वाले कपिल कुमार से गेंदाराम चन्द्राकर की मुलाकात करायी। पूरी शिकायत को गेंदाराम चन्द्राकर द्वारा अपने हाथ से लिखकर कपिल कुमार को आशुतोष चावरे के नाम से शिकायत टाईप करने के लिए दिया था एवं उप संचालक लोक शिक्षण के नाम से सील (रबर) कपिल को तैयार कर देने बोला था। कपिल ने सील तैयार कर दिया एवं शिकायत टाईप कर पोस्ट ऑफिस में पोस्ट किया गया था। इस काम के लिए कपिल को 2,500 रूपये गेंदाराम चन्द्राकर ने दिया गया था।

शिकायत की कई प्रतियां अलग-अलग न्यूज एजेंसी, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के राजनैतिक व्यक्तियों एवं स्थानीय नेताओं एवं अधिकारियों को पोस्ट किया। साथ ही एक प्रति गेंदाराम चन्द्राकर ने अपने पास रखीं। बचीं हुई शेष प्रतियों को संजय सिंह के पास भिजवा दिया।
दोनों डायरियों को गेंदाराम चन्द्राकर के द्वारा जला कर नष्ट कर दिया गया एवं रबर सील व ट्रांसफर व पोस्टिंग आर्डर के रफ वर्क को भी नष्ट कर दिया।

संजय सिंह ठाकुर ने अपने पास शिकायत नस्ती की एक प्रति रखकर शेष को अपने साथी खमतराई निवासी के पास भेजकर उसे जलवा दिया।

समाचार पत्रों के माध्यम से शिकायत पत्र का मामला उजागर होने पर कपिल ने संजय सिंह को फोन कर अपना डर जाहिर किया जिस पर संजय सिंह द्वारा कपिल को अपने पास बुलाकर उसका मोबाईल बंद कराकर अपने परिचित के घर सेल टेक्स कालोनी में छिपा दिया।

पुलिस टीम ने कपिल कुमार को गिरफ्तार के दौरान उसके पाकेट में एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें उसने उक्त घटना की संपूर्ण जानकारी का उल्लेख किया था तथा पत्र को पुलिस को पोस्ट करने वाला था परंतु इसके पूर्व ही कपिल कुमार को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।

इस प्रकार तीनों आरोपियों के द्वारा सुनियोजित ढंग से षडयंत्र पूर्वक शासन (Master Mind) की छवि धुमिल करने के उद्देश्य से फर्जी शिकायत पत्र तैयार कर एवं फर्जी हस्ताक्षर कर प्रचारित एवं प्रसारित किया गया था। साथ ही सबूतों को नष्ट करने का प्रयास भी किया गया जिस पर से प्रकरण में आरोपियों के विरूद्ध पृथक से धारा 420, 465, 468, 471, 120बी, 201 भादवि. भी जोड़ी गई है।

विवेचना के दौरान तीनों आरोपियों से अपराध के लिए प्रयुक्त कम्प्यूटर सिस्टम, पेन ड्राईव, कपिल द्वारा लिखा गया पत्र, शिकायत पत्रों की बची हुई नस्तियां एवं आरोपियों के मोबाईल फोन जप्त किये गये है।

गिरफ्तार आरोपी

  • गेंदाराम चन्द्राकर- पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी वर्तमान सेवानिवृत्त
  • संजय सिंह ठाकुर-रायपुर होम्योपैथिक मेडिकल कालेज एवं हॉस्पिटल रामकुण्ड का सचिव
  • कपिल कुमार देवदास- रायपुर होम्योपैथिक मेडिकल कालेज एवं हॉस्पिटल रामकुण्ड में टायपिस्ट

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