Pulses-Oilseeds Area Increased : किसानों में बढ़ा भरोसा, दलहन-तिलहन फसलों की ओर झुकाव, मूंगफली की खेती में नई छलांग

Pulses-Oilseeds Area Increased

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Pulses-Oilseeds Area Increased : छत्तीसगढ़ में पिछले वर्ष धान की रिकॉर्ड पैदावार के बावजूद अब किसानों का झुकाव पारंपरिक फसलों से हटकर अन्य फसलों की ओर बढ़ रहा है। कोरिया जिले के किसान अब धान के साथ-साथ दलहन और तिलहन (Pulses-Oilseeds Area Increased) की खेती में भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार यह बदलाव राज्य में फसल विविधीकरण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।

धान के रकबे में कमी, नई फसलों की ओर रुझान

कृषि विभाग कोरिया के अनुसार खरीफ वर्ष 2024-25 में जिले में 33,842 हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई थी, जबकि वर्तमान खरीफ वर्ष 2025-26 में यह घटकर 32,920 हेक्टेयर रह गई है। यानी करीब 922 हेक्टेयर (2.75%) की कमी दर्ज की गई है।

दलहन-तिलहन के रकबे में उल्लेखनीय वृद्धि

वहीं दूसरी ओर, जिले में दलहन और तिलहन फसलों (Pulses-Oilseeds Area Increased) के रकबे में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है। बीते वर्ष जहां 9,194 हेक्टेयर में दलहन की खेती हुई थी, वहीं इस वर्ष यह बढ़कर 9,730 हेक्टेयर तक पहुंच गई है — यानी 536 हेक्टेयर (5.82%) की वृद्धि।
इसी तरह तिलहन की खेती में भी जबरदस्त उछाल आया है। वर्ष 2024 में 1,874 हेक्टेयर में बुवाई हुई थी, जबकि इस बार यह 2,272 हेक्टेयर तक पहुंच गई है — यानी 398 हेक्टेयर (21.23%) की वृद्धि।

मूंगफली की खेती में शानदार उछाल

मूंगफली की खेती में इस साल सबसे अधिक रकबा बढ़ा है। पिछले वर्ष 933 हेक्टेयर में मूंगफली बोई गई थी, जबकि अब यह 1,520 हेक्टेयर तक पहुंच गई है। यानी 587 हेक्टेयर (38.61%) की उल्लेखनीय वृद्धि। किसान अब मूंगफली जैसी लाभकारी नगदी फसलों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं।

मुख्यमंत्री के प्रयासों से फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की कृषि नीतियों और किसानों को दी जा रही सुविधाओं का ही परिणाम है कि जिले के किसान अब अंतरवर्ती फसलों की ओर अग्रसर हो रहे हैं। कृषि विभाग की ओर से किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, उन्नत बीज और विपणन सहायता (Pulses-Oilseeds Area Increased) दी जा रही है, जिससे उनकी आमदनी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि कोरिया जिले की मिट्टी और जलवायु दलहन व तिलहन फसलों के लिए बेहद उपयुक्त है। आने वाले वर्षों में यह जिला प्रदेश में दलहन-तिलहन उत्पादन के प्रमुख केंद्रों में शुमार होगा।

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