संपादकीय: लंदन में ममता बनर्जी का विरोध

संपादकीय: लंदन में ममता बनर्जी का विरोध

Protest against Mamata Banerjee in London

Protest against Mamata Banerjee in London

Protest against Mamata Banerjee in London: बंगाल की मुख्यंमत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी लंदन तो गई थीं, विदेशी पूंजी निवेश आकर्षित करने के लिए लेकिन वहां उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। हालांकि ममता बनर्जी ने अंग्रेजों की जी भरकर सराहना की थी। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि अंग्रेजों ने भारत पर सौ साल तक राज किया और अपनी राजधानी कोलकाता को बनाया था। बंगाल के लोग आज भी अंग्रेजों को याद करते हैं। विदेशी धरती पर जाकर उन्होंने न सिर्फ अंग्रेजों की चाटुकारिता की बल्कि भारत के खिलाफ भी बोलने में संकोच नहीं किया।

वहां जब उनसे यह कहा गया कि भारत इंग्लैंड को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और बहुत जल्द विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है। इससे आने वाले समय में भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। इस बात का स्वागत करने की जगह ममता बनर्जी ने इस पर असहमति जता दी। इस तरह उन्होंने लंदन में भारत को नीचा दिखाने का काम किया और इसके बावजूद वे यह सोच रही थी कि इंग्लैंड के उद्योगपति बंगाल में पूंजी निवेश के लिए प्रोत्साहित होंगे।

जाहिर है ममता बनर्जी की सरकार के कार्यकाल के दौरान बंगाल में उद्योगों की जो स्थिति है वह दुनिया से छिपी नहीं है। ममता बनर्जी के विरोध के चलते ही बंगाल से टाटा ने नैना बनाने की अपनी फैक्ट्री अन्यत्र स्थानांरित कर दी थी। बंगाल में पूंजी निवेश के लिए कोई भी भारतीय उद्योगपति सामने नहीं आ रहा है। न तो वहां उद्योगों के अनुकूल माहौल है और न ही वहां की सरकार उद्योगों को सुरक्षा देने में सक्षम है।

इस तरह बंगाल में लगातार हिंसक घटनाएं होती रहती हंै। उसे देखते हुए कोई भी उद्योगपति वहां उद्योग लगाने की बात सपने में भी नहीं सोच सकता। एक जमाने में बंगाल में उद्योग धंधे फला-फूला करते थे किन्तु पार्टी की सरकार के तीन दशक के कार्यकाल में वहां के उद्योगों ने दम तोड़ दिया। इसके बाद ममता बनर्जी की सरकार ने भी बचे-खुचे उद्योगों का का कबाड़ा करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। जब वहां कोई भारतीय उद्योग पति पूंजी निवेश के लिए आगे नहीं आ रहा है तो ममता बनर्जी विदेश पूंजी निवेश के लिए इंग्लैंड दौड़ी चली गईं लेकिन वहां भी उन्हें मायूसी हाथ लगी।

आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जब उन्होंने अपने ही देश भारत की आलोचना शुरू कर दी तो वहां मौजूद भारतीय मूल के छात्रों ने उनका भारी विरोध करना शुरू कर दिया। हाथों में तख्तियां लेकर भारतीय मूल के छात्रों ने ममता बनर्जी को गो बैक के नारे लगाए। बड़ी मुश्किल से आयोजकों ने छात्रों को शांत कराया तो छात्रों ने ममता बनर्जी पर सवालों की बौछार शुरू कर दी।

छात्रों ने बंगाल में हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा को लेकर सवाल दागे और कोलकाता के एक मेडिकल कालेज में टे्रनी लेडी डॉक्टर की रेप के बाद की गई जघन्य हत्या का मामला उठाकर उनसे प्रश्न किया तो ममता बनर्जी की बोलती बंद हो गई। उन्होंने फिर भी हेकड़ी दिखाई और यह कहा कि इन सवालों का जवाब जानना है तो ये छात्र बंगाल आए। वे वहीं इसका जवाब देगीं। जाहिर है छात्रों के सवालों से विचलित ममता बनर्जी ने उन छात्रों को एक तरह से धमकी ही दी है। कुल मिलाकर ममता बनर्जी लंदन तो गई थी लेकिन बैरंग लौंटी। उनकी इस यात्रा से यह कहावत चरितार्थ हो गई कि चौबे जी चले थे छब्बे जी बनने लेकिन दुबे जी बनकर लौटे।

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