Political Scenario of Congress : दुर्ग में साफ हो गया कांग्रेस का राजनीतिक परिदृश्य

Political Scenario of Congress : दुर्ग में साफ हो गया कांग्रेस का राजनीतिक परिदृश्य

Political Scenario of Congress: Political scenario of Congress became clear in Durg

Political Scenario of Congress

दुर्ग/नरेश सोनी/नवप्रदेश। Political Scenario of Congress : क्या कांग्रेस ने दुर्ग लोकसभा और विधानसभा के लिए चेहरे फायनल कर लिए हैं? सवाल इसलिए भी लाजिमी है क्योंकि पिछले कुछ समय से क्षेत्र की राजनीतिक फिजा में बदलाव की महक महसूस की जा रही है। संसदीय क्षेत्र के हिसाब से ताम्रध्वज साहू के बाद जहां कांग्रेस नए व युवा साहू चेहरे की तलाश में थी तो वहीं दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र में भी विकल्पों पर विचार किया जा रहा था।

इस दौरान पिछड़ा वर्ग के कुछ लोगों ने लामबंदी के प्रयास भी किए। इसके बाद अब जिस तरह से राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में पूर्व महापौर रघुनाथ वर्मा को उपाध्यक्ष का पद देकर उनका कद बढ़ाया गया है, उसे भविष्य के लिए इशारा माना जा सकता है। इसी तरह सांसद राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ आगमन के पश्चात युवा नेता राजेन्द्र साहू की सक्रियता भी इंगित कर रही है कि उन्हें संसदीय चुनाव के लिए हरी झंडी मिल गई है। मजे की बात तो यह है कि राजेन्द्र साहू व आरएन वर्मा को दुर्ग विधायक अरूण वोरा का राजनीतिक विरोधी माना जाता है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि साहू समाज में राजेन्द्र साहू की पैठ बहुत गहरी है। यह समाज बेहद संगठित है और जिले में इनकी बहुलता भी है। पूर्व में स्व. ताराचंद साहू इसी वजह से लगातार चुनाव जीतते भी रहे। साहू समाज को बेहद कट्टर माना जाता है। जब किसी क्षेत्र से साहू प्रत्याशी मैदान में होता है तो पूरा समाज ऐड़ी-चोटी एक कर प्रत्याशी को जीताने जी-जान लगा देता है।

इसके विपरीत साहू समाज के लोगों को तवज्जो नहीं देने या उनके साथ दुव्र्यवहार आदि (Political Scenario of Congress) करने की स्थिति में यह समाज विरोध में भी एकजुट हो जाता है। इसके कई उदाहरण भी सामने है। भाजपा नेत्री सरोज पाण्डेय को जब दोबारा संसदीय चुनाव का टिकट दिया गया, तब उन्होंने समाज के दो लोगों के साथ कथित तौर पर दुव्र्यवहार कर दिया था। इसका नतीजा उन्हें चुनावी पराजय के रूप में झेलना पड़ा। वहीं स्व. ताराचंद साहू अपने समाज को सदैव साथ लेकर चलते रहे, उसका भी नतीजा सामने था।

सीएम की पसंद पर बनाया गया था प्रत्याशी : पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पसंद पर मुहर लगाते हुए पूर्व विधायक प्रतिमा चंद्राकर को प्रत्याशी बनाया था। भाजपा ने भी नए चेहरे पर दांव लगाते हुए विजय बघेल को आगे किया। मुकाबला कुर्मी बनाम कुर्मी का था, जिसमें भाजपा के विजय बघेल ने बाजी मारी। तभी से पार्टी के भीतर सुगबुगाहट चल रही है कि यदि कांग्रेस साहू प्रत्याशी देती तो आज दुर्ग लोकसभा की तस्वीर कुछ और होती। राजेन्द्र साहू कांग्रेस के युवा लेकिन वरिष्ठ नेता हैं। उनके पास लम्बा राजनीतिक अनुभव भी है।

इसके अलावा तत्कालीन पीसीसी चीफ एवं वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की चुनावी कमान वे ही संभालते रहे हैं। राजेन्द्र साहू को चुनाव लडऩे और लड़वाने का खासा अनुभव है। बताया जाता है कि पिछले दिनों जब सांसद राहुल गांधी छत्तीसगढ़ प्रवास पर आए तो उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से स्पष्ट कहा था कि अगले लोकसभा चुनाव में वे छत्तीसगढ़ की सभी 11 सीटें कांग्रेस के पाले में देखना चाहते हैं। सीएम भूपेश ने भी राहुल गांधी को आश्वस्त किया कि अगली दफा राज्य की सभी सीटें कांग्रेस की झोली में ही गिरेगी। बताते हैं कि उसके बाद से ही पीसीसी स्तर पर जीतने वाले प्रत्याशियों की खोजबीन शुरू कर दी गई।

काम कर गई पिछड़ा वर्ग की लामबंदी

इधर, पिछले कुछ समय से दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग की चल रही लामबंदी का असर होता दिख रहा है। निगम, मंडलों में नियुक्तियों के दौरान दुर्ग के पूर्व महापौर आरएन वर्मा को पिछड़ा वर्ग आयोग का सदस्य मनोनीत किया गया था। किन्तु अब उन्हें पदोन्नत कर इसी आयोग का उपाध्यक्ष बना दिया गया है। राजनीतिक पंडितों को इस पदोन्नति में नई संभावनाएं दिखने लगी है। दुर्ग की राजनीति पिछले करीब 50 वर्षों से सामान्य वर्ग के इर्द-गिर्द घूमती रही है। जबकि स्थानीय कई कांग्रेसियों का कहना है कि क्योंकि दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र पिछड़ा वर्ग बाहुल्य है, इसलिए यहां इस वर्ग को अवसर मिलना चाहिए।

‘नवप्रदेश’ ने पूर्व में इस बात का उल्लेख किया था कि किस तरह पिछड़ा वर्ग के कांग्रेसी नेता वोरा परिवार की राजनीति को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि उस वक्त यह स्पष्ट नहीं था कि ये नेता किस चेहरे के लिए दुर्ग सीट चाह रहे थे। किन्तु जिस तरह से आरएन वर्मा को पदोन्नत किया गया, उसके बाद तस्वीर काफी कुछ स्पष्ट होती दिख रही है। उल्लेखनीय है कि आरएन वर्मा के सीएम भूपेश बघेल के साथ पारिवारिक संबंध हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेश बघेल स्वयं श्री वर्मा के घर उनसे सौजन्य मुलाकात करने आए थे।

लोकसभा के लिए राजेन्द्र साहू, विधानसभा के लिए आरएन वर्मा को किया जा रहा तैयार

मुख्यमंत्री के गृह जिले में मिली थी पराजय

गौरतलब है कि दुर्ग मुख्यमंत्री (Political Scenario of Congress) का गृहजिला है। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें अपने ही जिले में सबसे बड़ी पराजय लोकसभा चुनाव में मिली थी। इसलिए इस बार सत्ता और संगठन की मंशा है जातीय व सामाजिक गणित के हिसाब से बेहतर और जीतने योग्य प्रत्याशी दिया जाए। जानकारों का कहना है कि इसके लिए राजेन्द्र साहू को प्रारंभिक तौर पर तैयार रहने को कह दिया गया है। वैसे, पार्टी के पास साहू नेताओं की कमी नहीं है, किन्तु क्षेत्रीय व सामाजिक संतुलन के साथ ही टीम वर्क, सबको साथ लेकर चलने जैसे गुणों के आधार पर राजेन्द्र साहू अन्य लोगों को पीछे छोड़ते हैं। सूत्रों का दावा है कि यदि भाजपा एक बार फिर कुर्मी प्रत्याशी पर दांव लगाती है और कांग्रेस साहू प्रत्याशी देती है तो नतीजे कांग्रेस के पक्ष में ही आएंगे।

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