संपादकीय: वोट चोरी को लेकर संसद में तकरार

Parliament squabbles over vote theft
Parliament squabbles over vote theft

Editorial: संसद के शीतकालीन सत्र में तथाकथित वोट चोरी को लेकर संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आखिरकार तकरार की स्थिति पैदा हो ही गई। कांग्रेस के वार पर भाजपा ने तीखा पलटवार करके कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही कांग्रेस सहित आईएनडीआईए के सभी दलों ने संसद में एसआईआर को लेकर चर्चा कराने की पूरजोर मांग उठाई थी और इसे लेकर लगातार दो दिनों तक संसद के भीतर और बाहर हंगामा किया था। जिसके चलते दो दिनों तक संसद की कार्यवाई बाधित हुई थी।

विपक्ष की मांग पर सरकार इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए तैयार हो गई। चूंकि एसआईआर चुनाव आयोग ने कराया है जो एक स्वतंत्र संस्था है इसलिए उसके किसी निर्णय पर सदन में चर्चा नहीं कराई जा सकती है। क्योंकि उसका जवाब देने के लिए चुनाव आयोग सदन में उपस्थित नहीं हो सकता। इसलिए सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए चुनाव सुधार पर संसद में चर्चा कराने की घोषणा की थी। इस पर चर्चा की शुरूआत करते हुए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने फिर वहीं पुराना राग अलापा और सरकार पर वोट चोरी करने का आरोप लगाया। उन्होंने ईवीएम में गड़बड़ी और वोटर लिस्ट में कथित हेरा फेरी करने का आरोप लगाते हुए सरकार पर तीखा हमला किया।

ये वहीं मुद़्दे है जो राहुल गांधी बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व वहां कराए जा रहे एसआईआर के खिलाफ उठाते रहे हैं और उन्होंने बाकयदा वोट चोर गद्दी छोड़ का नारा लगाते हुए बिहार में एक यात्रा भी निकाली थी। किन्तु वोट चोरी का उनका यह मुद्दा टॉय-टॉय फिस हो गया था। बिहार विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे का कोई असर नहीं हुआ और वहां रिकार्ड तोड़ मतदान हुआ तथा एनडीए ने 202 सीटें जीत कर नया इतिहास रच दिया। जबकि वोट चोरी का आरोप लगाने वाले महागठबंधन को सिर्फ 35 सीटें मिल पाई। इसके बाद भी राहुल गांधी लगातार एसआईआर को लेकर चुनाव आयोग और केन्द्र सरकार के खिलाफ हमलावार रूख अख्तियार किए हुए है। उन्होंने संसद में भी अपने वहीं दोहराए और सवाल उठाया कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से सीजेआई को क्यों हटाया गया और इसके पीछे सरकार का क्या मकसद है।

इसी तरह उन्होंने चुनाव आयुक्तों को सजा से छूट के प्रावधान पर भी सवालियां निशान लगाए सीसीटीवी में मौजूद डेटा से संबंधित कानून को बदले जाने पर भी आपत्ति दर्ज कराई। यहीं नहीं कांग्रेस नेताओं ने तो बारह राज्यों में एसआईआर कराने के फैसले को ही गैरकानूनी करार दे दिया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सभी संस्थाओं पर कब्जा करके वोट चोरी करा रहा है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने वोट चोरी को देशद्रोह करार दिया। इस तरह उन्होंने मौजूदा एनडीए सरकार को ही देशद्रोही ठहरा दिया। जब उन्होंने इतने गंभीर आरोप लगाए तो इसका सत्तापक्ष की ओर से करारा जवाब भी मिला। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी के वार पर पलटवार करते हुए कहा कि वोट चोरी तो कांग्रेस की तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कराई थी।

जिसके लिए उनके खिलाफ कार्रवाई हुई थी। नतीजतन उन्होंने देश पर आपातकाल थोप दिया था और राष्ट्रपति को रबर स्टैम्प बना कर रख दिया था। जिस ईवीएम पर कांग्रेस आपत्ति उठा रही है उसका उपयोग कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही शुरू हुआ था और ईवीएम की विश्वसनीयता पर तो अब सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी है। इसके लिए बावजूद कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दल चुनाव दर चुनाव हारने का ठीकरा कभी ईवीएम पर तो कभी चुनाव आयोग पर फोड़ रहे हैं जो उचित नहीं है। कुल मिलाकर चुनाव सुधार के नाम पर संसद में हुई चर्चा में विपक्ष ने सिर्फ अपने पराजय की भड़ास ही निकाली है।

चुनाव प्रक्रिया में सुधार के नाम पर कोई सार्थक चर्चा नहीं हुई है। जबकि चुनाव प्रक्रिया में निरंतर सुधार की गुजांइश बनी हुई है ताकि चुनाव और पारदर्शी तरीके से हो सके और उसकी स्वतंत्रता व निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करने का मौका ना मिले। किन्तु इस मुद्दे पर सार्थक चर्चा करने की जगह संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सिर्फ आरोप प्रत्यारोप ही लगे और इससे संसद का कीमती समय व्यर्थ नष्ट हुआ।