Parliament Security Breach : चुप्पी की शर्त पर मिली आज़ादी…संसद घुसपैठ मामले में दो आरोपियों को हाई कोर्ट से मिली ‘संवेदनशील जमानत…

नई दिल्ली, 2 जुलाई| Parliament Security Breach : देश की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था – संसद – में हुई सुरक्षा चूक के बहुचर्चित मामले में आज एक ऐसा फैसला आया जो कानून और लोकतंत्र के बीच मौन संतुलन की मिसाल बन गया है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपी नीलम आज़ाद और महेश कुमावत को ‘संवेदनशील जमानत’ के तहत रिहा किया (Parliament Security Breach)है – लेकिन इस शर्त के साथ कि वे मीडिया से बात नहीं करेंगे, सोशल मीडिया पर कुछ नहीं लिखेंगे, और हर पेशी पर नियमित रूप से उपस्थित रहेंगे।
यह फैसला अपने आप में अलग है, क्योंकि यह सिर्फ न्यायिक प्रक्रिया नहीं बल्कि लोकतंत्र की मर्यादा और मौन की राजनीति को भी दर्शाता है।
कोर्ट ने क्यों लगाईं यह शर्तें?
अदालत ने माना कि यह मामला न सिर्फ सुरक्षा चूक का है, बल्कि जनता की भावना, लोकतांत्रिक गरिमा और राष्ट्रीय संस्थानों की गरिमा से जुड़ा हुआ (Parliament Security Breach)है। इसलिए आरोपियों को मिली आज़ादी पर एक मौन की परत चढ़ाई गई – बोलने की स्वतंत्रता से पहले ज़िम्मेदारी का अभ्यास।
क्या था मामला?
दिसंबर 2023 में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में दो युवाओं ने कथित रूप से पीली गैस छोड़कर नारेबाजी की थी। इस मामले में गिरफ्तारियों के बाद कई सुरक्षा सवाल उठे और जांच में अब तक चार आरोपियों को पकड़ा गया (Parliament Security Breach)है, जिनमें से दो को आज सशर्त जमानत दी गई।