Olympics Athletics : एथलेटिक्स में देश की उम्मीदों को नई उड़ान देते नीरज

Olympics Athletics : एथलेटिक्स में देश की उम्मीदों को नई उड़ान देते नीरज

Olympics Athletics: Neeraj giving new flight to the country's hopes in athletics

Olympics Athletics

योगेश कुमार गोयल। Olympics Athletics : ओलंपिक हो या विश्व चैंपियनशिप अथवा ऐसी ही दूसरी प्रतियोगिताएं, भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा लगभग प्रत्येक स्पर्धा में कमाल का प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले 13 महीनों में नीरज ने ओलंपिक सहित सभी बड़े मुकाबलों में पदक जीते हैं और हर जगह अपनी प्रतिभा का शानदार नजारा पेश करने के बाद भारत के गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा ने एक फिर इतिहास रचा है।

नीरज ने 26 अगस्त को डायमंड लीग सीरीज का लुसाने चरण जीतकर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था और अब 8 सितम्बर की रात ज्यूरिख में डायमंड लीग में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। उनकी इस उपलब्धि पर देश के जाने-माने उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने भी एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि नीरज का मतलब कोई रोक नहीं सकता है। डायमंड लीग सीरीज का लुसाने चरण जीतने के बाद से ही नीरज को इस खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा था और नीरज ने इसे साबित भी कर दिखाया।

उन्होंने ज्यूरिख में 88.44 मीटर भाला फैंककर चेक गणराज्य के जैकब वादलेच्चो को पछाड़कर डायमंड लीग मुकाबला अपने नाम कियाा। नीरज की पहली थ्रो फाउल गई जबकि दूसरी थ्रो ने 88.44 मीटर की दूरी नापी, जो उन्हें खिताब दिलाने के लिए पर्याप्त थी। उन्होंने तीसरी थ्रो 88, चौथी 86.11, पांचवीं 87 और छठी अंतिम थ्रो 83.6 मीटर फैंकी। दूसरे स्थान पर रहे वादलेच्चो ने नीरज के साथ ही ओलंपिक में पदक जीता था।

इससे पहले जुलाई माह में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी होने का तमगा हासिल करने के बाद नीरज ने डायमंड लीग सीरीज के लुसाने चरण में 89.08 मीटर के अपने पहले ही थ्रो के साथ जीत दर्ज करते हुए फाइनल के लिए जगह बनाई थी और उस मुकाबले को जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बने थे तथा अगले साल बुडापेस्ट (हंगरी) में आयोजित होने वाली विश्व चैंपियनशिप के लिए भी 85.20 मीटर क्वालीफाइंग मार्क को तोड़कर क्वालीफाई किया था।

लुसाने डायमंड लीग में टोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता (Olympics Athletics) जैकब वादलेच्चो 85.88 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ दूसरे स्थान पर जबकि 83.72 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ यूएसए के कर्टिस थॉम्पसन तीसरे स्थान पर रहे थे। नीरज से पहले डिस्कस थ्रोअर विकास गौड़ा डायमंड लीग में शीर्ष तीन में रहने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी थे, जो न्यूयॉर्क में 2012 में तथा दोहा में 2014 में दूसरे स्थान और 2015 में शंघाई तथा यूजीन में तीसरे स्थान पर रहे थे। लगातार ऐसी ही सफलताएं हासिल करने के कारण ही नीरज को अब भारतीय एथलेटिक्स की अभूतपूर्व सफलता का अग्रदूत भी माना जाने लगा है।

हालांकि लंबी कूद खिलाड़ी मुरली श्रीशंकर तथा 3000 मीटर स्टीपलचेज धावक अविनाश साबले ने भी डायमंड लीग में भाग लिया था लेकिन वे शीर्ष तीन में जगह बनाने में सफल नहीं हो सके थे। श्रीशंकर अगस्त माह की शुरुआत में मोनाको में छठे स्थान पर रहे थे जबकि साबले जून में मोरक्को के रबात में पांचवें स्थान पर रहे थे। नीरज के लिए डायमंड लीग की जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उनका मानना है कि डायमंड लीग का आयोजन प्रतिवर्ष होता है और डायमंड लीग मीट या महाद्वीपीय टूर जैसी प्रतियोगिताओं में एथलीटों को शानदार अवसर मिलता है, जो उन्हें अच्छा करने का मौका देती हैं।

नीरज का मानना है कि हमें केवल ओलंपिक, राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई खेल, विश्व चैंपियनशिप जैसे ऐसे खेल आयोजनों पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, जिन्हें दो या चार साल के अंतराल पर खेला जाता है बल्कि डायमंड लीग मीट या महाद्वीपीय टूर जैसी प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेना चाहिए क्योंकि इन प्रतियोगिताओं में विश्वस्तरीय एथलीट हिस्सा लेते है, जिससे प्रमुख टूर्नामेंटों के लिए अच्छी तैयारी करने में बड़ी मदद मिलती है। उनके मुताबिक डायमंड लीग जैसे टूर्नामेंटों में अच्छा प्रदर्शन करने से भारतीय एथलेटिक्स को भी मदद मिलेगी।

नीरज ने इसी साल जुलाई माह में अमेरिका के ओरेगन में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी रजत पदक जीतकर इतिहास रचा था और विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले वह पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे। विश्व चैंपियनशिप में भारत अब तक केवल दो पदक ही जीत सका है। पहली बार 2003 की विश्व चैंपियनशिप में लांग जंपर अंजू बॉबी जॉर्ज ने पेरिस में कांस्य पदक जीता था। उसके बाद 19 वर्षों से भारत विश्व चैंपियनशिप में पदक के लिए तरस रहा था और इस लंबे इंतजार को अपने स्वर्णिम प्रदर्शन से खत्म किया नीरज चोपड़ा ने, जिन्होंने ओरेगन विश्व चैंपियनशिप में क्वालिफिकेशन में 88.39 मीटर के साथ फाइनल में जगह बनाई और पदक राउंड में 88.13 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो करके रजत पदक जीतकर इतिहास रच डाला था।

विश्व चैंपियनशिप के इतिहास में भारत का यह पहला रजत पदक था। इस चैंपियनशिप के फाइनल में तीन बार 90 मीटर के मार्क को पार करते हुए 90.54 मीटर की दूरी के साथ एंडरसन पीटर्स स्वर्ण पदक जीतकर विश्व चैंपियन बने। इसी चैंपियनशिप के फाइनल में नीरज की जांघ में लगी चोट के कारण वह राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा नहीं ले पाए थे। इन्हीं राष्ट्रमंडल खेलों में इस वर्ष भारतीय खिलाडिय़ों ने 61 पदक जीतकर विभिन्न खेलों में भारत के सुधरते प्रदर्शन की सुखद तस्वीर पेश की थी। 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में नीरज भी स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे थे।

टोक्यो ओलंपिक में तो नीरज ने ऐसा इतिहास रच डाला था, जो उनसे पहले एथलेटिक्स में 121 वर्षों में कोई भी भारतीय एथलीट नहीं कर सका था। एथलेटिक्स किसी भी ओलंपिक का सबसे प्रमुख आकर्षण होते हैं लेकिन 121 सालों में कोई भी भारतीय एथलीट ओलंपिक में पदक नहीं जीत सका था और पिछले साल नीरज भारत के लिए ओलंपिक में एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।

24 वर्षीय जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा एथलेटिक्स (Olympics Athletics) में ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी होने के साथ ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल करने वाले दूसरे खिलाड़ी भी बने थे। वह एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों, साउथ एशियन गेम्स तथा विश्व जूनियर चैम्पियनशिप में भी स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुके हैं। बहरहाल, विश्व चैंपियनशिप के दौरान लगी चोट से बहुत जल्द उबरने के बाद डायमंड लीग में इतिहास रचकर नीरज ने साबित कर दिया है कि आने वाली अनेक स्पर्धाओं में अपने ऐसे ही स्वर्णिम प्रदर्शन से वह भारत को गौरवान्वित करते रहेंगे।

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