Olympic Medals : ओलंपिक पदक विजेताओं का सम्मान
Olympic Medals : टोकयो ओलंपिक में भारत का परचम लहराने वाले भारत के खिलाडिय़ों का स्वदेश लौटने पर ऐतिहासिक सम्मान किया गया। वे इस सम्मान के हकदार भी है। ओलंपिक के इतिहास में पहली बार एथलेटिक्स में भारत के नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में स्वर्ण पदक हासिल किया। दो खिलाडिय़ों ने रजत पदक और चार खिलाडिय़ों ने कांस्य पदक भारत की झोली में डाला। जिसने एक भारतीय पुरूषा हॉकी टीम भी है जिसने चार दशक बात हॉकी में पदक प्राप्त किया है।
भारतीय महिला हॉकी टीम ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया और पहली बार सेमी फाईनल (Olympic Medals) में पहुंची। उसका चौथे स्थान पर आना भी महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इन ओलंपिक पदकवीरों का जितना भी सम्मान किया जाएं कम ही है। नीरज चोपड़ा तो खेलों के सर्वाेच्च सम्मान मेजर ध्यान चंद खेल रत्न पुरस्कार के स्वाभाविक हकदार बन गए है। ओलंपिक में पदक जीतने वाले और पदक से चूकने वाले खिलाड़ी भी विशेष सम्मान के अधिकारी है। इन्हे भी विशेष रूप से सम्मानित किया जाना चाहिए। भले ही इसके लिए अलग से कोई पुरस्कार बनाना पड़े तो बनाया जाएं। खिलाडिय़ों का सम्मान कर के ही हम उनके योगदान को अक्षुण बनाएं रखेंगे जिससे अन्य खिलाड़ी भी पे्ररणा लेंगे।
भारत में खेल प्रतिभाओं (Olympic Medals) का भंडार छुपा हुआ है। सरकार को चाहिए कि वह ऐसी प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए उन्हे खेलों के अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराएं और आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराएं। खासतौर पर महिला खिलाडिय़ों को विशेष रूप से प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। आज भी भारत की बेटियों का घर की देहरी लांघकर खेल के मैदान तक पहुंचने का छोटा सा सफर भी बहुत कठिन साबित होता है। घर परिवार वाले यदि बेटियों को खेलने के लिए प्रोत्साहित कर भी देें तो भी अन्य लोग उनकी राह में कांट बिछाने से बात नहीं आते।
ओलंपिक में अपना लोहा मनवाने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की अनेक बेटियां अत्यंत गरीब घरों से निकल कर भारतीय टीम में पहुंची है। इनमें से एक बेटी को तो लोगों के तानों से डरकर छुप-छुप कर अपनी पैक्टीस जारी रखनी पड़ी है। इसी से इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि खेलों में अपनी प्रतिभा को दिखाना और खुद को साबित करना भारत की बेटियों के लिए कितना मुश्किल है।
इसलिए सरकार को चाहिए कि वह महिला खिलाडिय़ों (Olympic Medals) को आगे लाने के लिए विशेष योजना बनाएं तभी भारतीय बेटियां ओलंपिक में और बेहतर प्रदर्शन कर भारत का नाम ऊंचा करने में सफल होंगी। खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए नई खेल नीति बनाने की दिशा में भी कारगर पहल की जानी चाहिए।