New pay code: नया वेतन कोड लागू करने के लिए केंद्र की तैयारी, सैलरी में बड़ा बदलाव

New pay code: नया वेतन कोड लागू करने के लिए केंद्र की तैयारी, सैलरी में बड़ा बदलाव

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-मजदूर वर्ग को अगले साल अच्छे वेतन वृद्धि की उम्मीद है
-नए वेतन कोड को लागू करने की तैयारी सप्ताह में 4 दिन काम करें!

नई दिल्ली। New pay code: मजदूर वर्ग को अगले साल अच्छी तनख्वाह मिलने की उम्मीद है। हालाँकि, यह खुशी खो भी सकती है। सरकार का फैसला इसका कारण हो सकता है। इस निर्णय से वेतन में वृद्धि होने पर भी खाते में जमा होने वाली तनख्वाह कम हो जाएगी। वेतन वृद्धि नहीं करने वालों को और कड़ी टक्कर दी जाएगी। वहीं, कर्मचारियों को सप्ताह में 3 दिन की छुट्टी मिल सकती है।

केंद्र सरकार नया पे कोड (New pay code) लागू करने की तैयारी कर रही है। ये वेतन कोड अगले साल लागू होने की उम्मीद है। इसके बाद टेक होम सैलरी और पीएफ के स्ट्रक्चर में बदलाव किया जाएगा। नए ढांचे के मुताबिक पीएफ में योगदान बढ़ेगा। नतीजतन, खाते में जमा वेतन की राशि काट ली जाएगी। कर्मचारियों के मूल वेतन को पीएफ में अंशदान में बदल दिया जाएगा।

50 प्रतिशत मूल वेतन

नए वेतन संहिता के अनुसार भत्ते 50 प्रतिशत तक सीमित होंगे। यानी कुल वेतन का 50 फीसदी मूल वेतन रहेगा। इसी आधार पर पीएफ में अंशदान तय होता है।

कंपनियों पर बढ़ेगा दबाव

मूल वेतन में वृद्धि से ग्रेच्युटी भी बढ़ेगी। ग्रेच्युटी को पहले के मुकाबले डेढ़ गुना ज्यादा बढ़ाया जा सकता है। पीएफ में अंशदान की राशि बढऩे से कंपनियों पर वित्तीय दबाव बढ़ेगा।

सप्ताह में 3 दिन छुट्टी

नए वेतन कोड के तहत कर्मचारियों के काम के घंटे बढ़ाकर 12 घंटे कर दिए जाएंगे। इसलिए सप्ताह में 48 घंटे काम करने का नियम अप्रभावित रहेगा। इसलिए अगर आप रोजाना 12 घंटे काम करते हैं तो आपको हफ्ते में 3 दिन की छुट्टी मिलेगी। इसलिए, यदि आप 8 घंटे काम करते हैं, तो आपको सप्ताह में 6 दिन काम करना होगा। इसलिए काम के घंटे बढ़ा दिए जाने पर भी आपको 3 दिन की छुट्टी का लाभ मिलेगा।

13 राज्यों द्वारा मसौदा तैयार किया गया

केंद्र सरकार के श्रम कानूनों के मुताबिक 13 राज्यों ने नए नियमों का मसौदा तैयार किया है। केंद्र ने फरवरी 2021 में नए कानूनों को अंतिम रूप दिया था। हालांकि, केंद्र को लगता है कि इसे राज्यों को संयुक्त रूप से लागू करना चाहिए।

24 राज्यों ने अनुमोदन नियमों का मसौदा तैयार किया है। अब तक 20 राज्यों ने औद्योगिक क्षेत्र के लिए नियमों का मसौदा तैयार किया है। 18 राज्यों ने सामाजिक सुरक्षा नियमों का मसौदा तैयार किया है।

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