National Milk Day : भारत डेयरी क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार |

National Milk Day : भारत डेयरी क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार

National Milk Day: India ready to play a leading role in dairy sector

National Milk Day

National Milk Day : देश ने 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया। यह अवसर महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दिवंगत डॉ. वर्गीज कुरियन की 101वीं जयंती को रेखांकित करता है, जिन्हें भारत की ‘श्वेत क्रांति’ का सूत्रपात करने का श्रेय दिया जाता है। भारत के डेयरी क्षेत्र में विकास और उन्नति कई मायनों में, वैश्विक मानचित्र पर देश के सम्मान और प्रभाव के रेखा-चित्र का प्रतीक रहा है। श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, देश के दूध उत्पादन में 44 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गयी है और वर्ष 2020-2021 में, हमने 210 एमटी दूध का उत्पादन किया, जो दुनिया के कुल दूध उत्पादन का 23 प्रतिशत है। भारत की प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2020-21 में 427 ग्राम प्रति दिन रही, जबकि इसी अवधि के दौरान विश्व औसत 394 ग्राम प्रति दिन था।

भारत में डेयरी क्षेत्र बड़े पैमाने पर सहकारी संरचना (National Milk Day) के तहत संगठित है और सहकारी समितियों ने डेयरी किसानों के मोल-भाव की ताकत बढ़ाने और अपने-अपने क्षेत्रों में दूध खरीद तथा दूध बिक्री की कीमत को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चावल और गेहूं जैसी फसलों के परिदृश्य के विपरीत, सरकार डेयरी उत्पादों की कीमतों को निर्धारित नहीं करती है और दूध की खरीद में शामिल नहीं होती है। इससे डेयरी सहकारी समितियों की स्वायत्तता को बढ़ावा मिला है और वे बाजार उन्मुख होने के लिए प्रोत्साहित हुई हैं। वास्तव में, देश की कुछ प्रमुख डेयरी सहकारी समितियों ने प्रदर्शन और लाभ, दोनों में निजी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है। भारत की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी अमूल, देश में सहकारी प्रारूप की शक्ति और सफलता का एक उत्कृष्ट प्रमाण है।

अब जब हम वैश्विक महामारी से उबर रहे हैं, तो लॉकडाउन अवधि के दौरान और उसके बाद डेयरी किसानों की सहायता के लिए, सरकार और डेयरी सहकारी समितियों द्वारा निभाई गई भूमिका पर प्रकाश डालना उचित होगा। महामारी के दौरान डेयरी सहकारी समितियों द्वारा दूध की खरीद में वृद्धि जारी रही, क्योंकि इसने किसानों के अतिरिक्त दूध की खरीद की, जो अन्यथा निजी और असंगठित क्षेत्र के व्यवसायियों को बेचा जाता था। 2020-21 के दौरान डेयरी सहकारी समितियों द्वारा दूध की खरीद में 7.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। सहायता प्रदान करने के लिए, भारत सरकार ने मौजूदा केंद्रीय क्षेत्र की योजना- डेयरी कार्यों से जुड़े डेयरी सहकारी समिति और किसान उत्पादक संगठन (एसडीसीएफपीओ) योजना के तहत ‘कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज में छूट’ घटक लॉन्च किया। इस तरह के उपायों से हमारे डेयरी उद्योग को पिछले दो वर्षों में सक्षम बने रहने में मदद मिली है।

प्रौद्योगिकी की बढ़ती क्षमता का लाभ उठाने के क्रम में, पशुधन प्रबंधन को आसान बनाने और इसकी दक्षता बढ़ाने के लिए ई-गोपाला नाम का एक डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग पशु आधार, पशु पोषण, संजातीय-पशु चिकित्सा दवाएं (ईवीएम), पशु प्रजनन संबंधी सेवाओं और सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, ई-गोपाला ऐप डेयरी पशुओं, गोजातीय वीर्य, भू्रण आदि की खरीद और बिक्री के लिए भी एक मंच प्रदान करता है। इस कार्य के पूरक के रूप में, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा डेयरी किसानों की सहायता के लिए ‘पशु मित्रÓ नामक एक हेल्पलाइन स्थापित की गई है, जो किसानों को पशुओं के स्वास्थ्य और पोषण संबंधी प्रश्नों का विशेषज्ञों द्वारा सीधे जवाब प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा।

यह देखते हुए कि वर्ष 2025 तक भारत का दूध उत्पादन 270 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) तक पहुंच जाने की उम्मीद है, व्यापारिक निगमों को प्रसंस्करण से जुड़ी सुविधाओं में निवेश करने की जरूरत होगी और यह डेयरी क्षेत्र के भीतर 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की क्षमता प्रदान करता है। डेयरी क्षेत्र में मोटे तौर पर बुनियादी ढांचे में पैमाने की दृष्टि से 120-130 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) की कमी है। यह कमी अगले 9-12 वर्षों में निवेश पर 17-20 प्रतिशत के अपेक्षित लाभ के साथ लगभग 2.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की संभावनाएं खोलती है। निर्यात बाजार में हमारी बढ़ती उपस्थिति डेयरी क्षेत्र में निवेश बढ़ाने का एक और प्रेरक है।

उदाहरण के लिए, एचएस कोड 0406 के तहत भारत का पनीर निर्यात 2015-2020 की अवधि के दौरान 16 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है। जिन प्रमुख देशों को पनीर का निर्यात किया गया उनमें संयुक्त अरब अमीरात, भूटान और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल थे। वर्तमान में दुनिया भर में 75 से अधिक ऐसे देश हैं जहां दूध की कमी है। इनमें से अधिकांश देश एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के हैं। यह भारत के लिए नए बाजारों में पैठ बनाने का एक बढिय़ा अवसर प्रदान करता है। इसके लिए, राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन जैसी हालिया पहल पता लगाने की क्षमता (ट्रेसबिलिटी) संबंधी मानकों को बेहतर करने की दिशा में एक लंबा सफर तय करेगी और भारतीय कंपनियों को आयात करने वाले देशों द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में सक्षम बनाएगी।

डेयरी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने डेयरी निवेश त्वरक की स्थापना की है, जिसके तहत गेट्स फाउंडेशन और इन्वेस्ट इंडिया जैसी संस्थाएं नि:स्वार्थ सेवाएं प्रदान करने के लिए सहयोग करेंगी। इसमें समस्या समाधान, निवेश सुविधा, निर्यात रणनीति में सहायता, बाजार अनुसंधान, स्थान मूल्यांकन आदि जैसे पहलू शामिल होंगे। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि डेयरी क्षेत्र ने फसलें खराब हो जाने की स्थिति में पारंपरिक किसानों को आय का एक विश्वसनीय स्रोत प्रदान किया है।

वर्तमान सरकार के प्रयास डेयरी उद्योग (National Milk Day) को असंगठित से संगठित क्षेत्र में बदलने पर केंद्रित हैं, जिसका अंतिम लक्ष्य किसानों की आय में वृद्धि करना और मूल्य श्रृंखला में रोजगार का सृजन करना है। पशुपालन अवसंरचना विकास कोष, राष्ट्रीय गोकुल मिशन, पशुपालन ग्रैंड स्टार्ट-अप चैलेंज, और पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड सुविधाओं के विस्तार जैसी हालिया योजनाओं से हमारे डेयरी क्षेत्र में बेहतर मानकों और नवाचारों की शुरुआत होगी। इस प्रकार, डॉ. कुरियन की 101वीं जयंती के अवसर पर हमें यह विश्वास है कि भारत आने वाले समय में डेयरी उत्पादों के एक प्रमुख निर्यातक के रूप में उभरने के लिए तैयार है।

पुरशोत्तम रुपाला, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री

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