National Agriculture Commission : राष्ट्रीय किसान आयोग क्यों नहीं...? |

National Agriculture Commission : राष्ट्रीय किसान आयोग क्यों नहीं…?

National Agriculture Commission: Why not the National Farmers Commission...?

National Agriculture Commission

National Agriculture Commission : हमारा भारत देश कृषि प्रधान देश है और हमारी अर्थव्यवस्था भी कृषि पर ही आधारित है। इसके बावजूद आज तक न तो एक सुस्पष्ट कृषि नीति बन पाई है और न ही अन्नदाताओं की समस्याओं के समाधान के लिए राष्ट्रीय कृषि आयोग का गठन किया जा सका है।

जबकि महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए महिला आयोग मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मानवाधिकार अयोग और इसी तरह अल्पसंख्यक आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग तथा श्रम आयोग सहित गई तरह के आयोग गठित किए गए है लेकिन किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय कृषि आयोग के गठन में आजादी के बाद से अब तक किसी भी सरकार ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

नतीजतन किसानों के साथ लगातार अन्याय होता रहा है और वे संगठन (National Agriculture Commission) के अभाव में अपने साथ होने वाले अन्याय का प्रतिकार भी नहीं कर पाते थे। यह तो मोदी सरकार ने तीन नए कृषि कानून लाकर देशभर के किसानों को एकजुट करने का अवसर दे दिया और उन कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा अस्तित्व में आया जिसमें एक साल तक आंदोलन किया और किसानों की ताकत के सामने सरकार को सिर झुकाना पड़ा और तीनों विवादास्पद कृषि कानून वापस लेने पड़े। न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए एक कमेटी का भी गठन करने की प्रक्रिय शुरू हो पाई है।

इसके साथ ही किसानों की अन्य मांगों पर भी सरकार ने उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया है। मजे की बात यह है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने भी अपनी मांगों की लंबी फेहरिस में राष्ट्रीय किसान आयोग के गठन की मांग करना उचित नहीं समझा, जबकि राष्ट्रीय किसान आयोग के गठन की सख्त जरूरत है। इस बाबत पहले पहल छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के केन्द्रिय अध्यक्ष और वरिष्ठ कंाग्रेसी नेता राजकुमार गुप्ता ने राष्ट्रीय किसान आयोग गठित करने की मांग की थी और तात्कालीन यूपीए सरकार को ज्ञापन भी भेजा था लेकिन सरकार ने इस मांग की अनदेखी की।

छत्तीसगढ़ में जरूर कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में छत्तसगढ़ किसान आयोग (National Agriculture Commission) के गठन का वादा किया था लेकिन तीन साल बीत गए है छत्तीसगढ़ में भी किसान आयोग अस्तित्व में नहीं आ पाया है। देशभर के किसान संगठनों को चाहिए कि वे राष्ट्रीय किसान आयोग के गठन की मांग पुरजोर ढंग से उठाएं ताकि किसानों के हितों की रक्षा हो सके, न्यूनतम समर्थन मूल्य के निर्धारण में यह राष्ट्रीय किसान आयोग अहम भूमिका निभा सके और किसानों की अन्य समस्याओं का भी निराकरण हो सके।

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