Mudra Loan : समानता पर आधारित समृद्धि का एक सेतु

Mudra Loan : समानता पर आधारित समृद्धि का एक सेतु

Mudra Loan: A bridge to prosperity based on equality

Mudra-Loan

सौम्य कांति घोष। Mudra Loan : अपने शुरुआती दिनों से ही, मोदी सरकार आजादी के बाद के छह दशकों के दौरान गुप्त रूप से बनाई गई बहिष्करण की संस्कृति को अनिवार्य रूप से बदलना चाहती थी। बहिष्करण की यह संस्कृति और कुछ नहीं बल्कि हाशिए व पिरामिड के सबसे निचले पायदान पर बैठे लोगों को छोड़कर आगे बढऩे की संस्कृति थी! इस स्थिति ने नए नीति-निर्माताओं को हमारे विशाल देश के कोने-कोने में समानता पर आधारित उद्यमशीलता के विकास के लिए बेचैन कर दिया। इस संबंध में, दो योजनाओं यानी प्रधानमंत्री जन धन योजना और मुद्रा ऋण ने इस देश की उद्यमशीलता की भावना को एक नई आजादी के वादे के साथ यहां के वित्तीय समावेशन, जमा एवं उधार, दोनों, से जुड़े परिदृश्य को बदलकार रख दिया है।

पिछले सात वर्षों में, बैंकों (आरआरबी सहित)/एनबीएफसी/एमएफआई ने कुल मिलाकर लगभग 18.4 लाख करोड़ रुपये की राशि के 35.32 करोड़ मुद्रा ऋण वितरित किए हैं, जिसमें सबसे छोटे उधारकर्ताओं के लिए औसतन 52,000 रुपये का ऋण शामिल है। इनमें से लगभग दो-तिहाई ऋण महिला उद्यमियों के लिए स्वीकृत किए गए हैं। यह मानते हुए कि प्रत्येक इकाई में कम से कम दो व्यक्ति कार्यरत हैं, एक रूढि़वादी आकलन के आधार पर, ये इकाइयां 10 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर रही हैं।

वित्तीय समझ के मामले में थोड़े कम जानकार, लेकिन व्यावसायिक कौशल (Mudra Loan) और कुछ बड़ा करने के सपनों से भरपूर लोगों की विभिन्न जरूरतों से अवगत रहते हुए सरकार ने विशेष रूप से उद्यमियों की विभिन्न श्रेणियों- शिशु, तरुण और किशोर- के हितों के संरक्षण के लिए मुद्रा ऋण की तीन श्रेणियां बनाईं। इस संबंध में मार्गदर्शक सिद्धांत यह था कि बदलते समय के साथ एक शिशु ऋणी हमेशा के लिए शिशु की श्रेणी में नहीं रहेगा, बल्कि वह एक तरुण के रूप में विकसित होगा, एक तरुण समय के साथ किशोर बन जाएगा और इसी क्रम में वह आगे समानता और समृद्धि सुनिश्चित करता जाएगा!

लेकिन, सरकार को 2014 के बाद की परिस्थितियों में कई चुनौतियों से पार पाना पड़ा। कोई कारगर व्यवस्था मौजूद नहीं थी। इस प्रस्तावित विशाल आकार की योजना को सहारा देने के लिए कोई संरचना या बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं था। सरकार ने आपसी विश्वास का माहौल बनाकर प्रचलित संस्कृति को अनुशासित किया। सरकार एक साफ-सुथरे मॉडल के जरिए इतने बड़े पैमाने पर उद्यमशीलता को बढ़ावा दे रही थी जिसे पहले कभी नहीं आजमाया गया था। विकास और आय सृजन के अवसर उपलब्ध थे, लेकिन हाशिए पर बैठे लोगों को इस बात का यकीन नहीं था कि उनकी उद्यमशीलता की भावना को बैंकिंग प्रणाली से उत्साहवद्र्धक समर्थन भी मिलेगा।

सरकार द्वारा गारंटी और भरोसे (सीजीएफएमयू) के निर्माण ने यह सुनिश्चित किया कि बैंक तथा अन्य वित्तीय मध्यस्थ ऋण स्वीकृति एवं वितरण के लिए आश्वस्त हो जायें। 10 लाख रुपये तक के ऋण पर अब केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित ट्रस्ट से गारंटी मिलती है। उधारदाताओं के पास बिना किसी अन्य संपाश्र्विक प्रतिभूति के उधार देने की अतिरिक्त सुविधा है। जल्द ही यह एक सर्वव्यापी परिघटना बन गई जिसमें इस देश के आम नागरिकों ने बड़ी वित्तीय संस्थाओं के पोर्टल को अपने लिए खुला पाया!

सरकार ने इस प्रक्रिया को कारगर बनाने और इसकी निगरानी करने के लिए प्रौद्योगिकी का भी इस्तेमाल किया। इस योजना की व्यापक स्वीकृति को प्रोत्साहित करने और लोगों को इस योजना के विवरण एवं बारीकियों से परिचित कराने के लिए बैंकिंग संवाददाताओं का सहारा लिया गया। मुद्रा योजना के माध्यम से लोगों के सफल सशक्तिकरण की कई आकर्षक कहानियां हैं। सफलता की कई ऐसी कहानियां उन महिला कर्जदारों की हैं, जिन्होंने अपने परिवारों को आजीविका सहायता प्रदान करने के मामले में खुद को अग्रणी साबित किया है और यहां तक कि उन्होंने अन्य परिवारों को भी रोजगार प्रदान किया है। उन्होंने खुद को अनौपचारिक साहूकारों के चिरस्थायी बंधन से मुक्त कर लिया है और बैंकों द्वारा प्रदान किए गए वित्तीय सहायता के सहारे आगे बढ़ी हैं। मुद्रा ऋण पाने वाले कुल लाभार्थियों में दो-तिहाई महिलाएं हैं। उनमें से कई सामाजिक रूप से वंचित समूहों से आती हैं और वे देश के सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने को बदल रही हैं।

सफलता की ये कहानियां इस बात की याद दिलाती हैं कि कोई भी सूक्ष्म व्यवसाय कठिनाइयों एवं नादानियों के जरिए, उथल-पुथल एवं चुनौतियों के जरिए ही बड़ा बन सकता है! कोई भी चुनौती उसके अदम्य साहस और जीवट को तोड़ नहीं सकती। देश ने कोविड महामारी के दौरान उद्यमशील भारत की दृढ़ भावना को भी देखा। कुछ विद्वान लोगों ने कहा कि व्यवस्था पर काफी दबाव बनेगा, अटके हुए कर्ज कई गुना बढ़ जायेंगे। लेकिन, उन्हें विस्मित करते हुए यह व्यवस्था इतनी मजबूत थी कि बिना किसी खरोच के सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ गई। सरकार ने व्यापारी वर्ग की इस निडर नई नस्ल को सहयोग देने का अपना संकल्प बनाए रखा। सरकार ने उधारकर्ताओं के बोझ को काफी हद तक कम करने के लिए 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान योजना भी शुरू की जोकि आज भी जारी है।

एक नया डिजिटल इंडिया उभरकर सामने आ रहा है, जो हमारी वित्तीय प्रणाली में क्रांति ला रहा है। आज, भारत में एक ऐसी सुव्यवस्थित प्रणाली है जो किसी व्यक्ति को अपने घर बैठे ही ऋण के लिए आवेदन करने हेतु बैंक के ऐप का उपयोग करने में मदद करती है। मुद्रा ऋण देने के लिए एनबीएफसी और माइक्रो फाइनेंस संस्थानों ने बैंकों/आरआरबी के साथ हाथ मिलाते हुए नए अवसर पैदा किए हैं। कॉरपोरेट जगत को नई आपूर्ति श्रृंखला प्राप्त हो रही। इस प्रक्रिया का गुणक प्रभाव यह है कि ऋण के रूप में दिया गया एक रुपया चक्रीय अर्थव्यवस्था में काफी कमाई कर रहा है।

इसमें (Mudra Loan) उधारकर्ताओं और उनके परिवारों के लिए ऐसी सामाजिक सुरक्षा अंतर्निहित हैं, जिनके बारे में पहले कभी नहीं सोचा गया था! इससे आगे बढ़ते हुए, कृषि और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के क्षेत्र में विभिन्न सरकारी कल्याणकारी एवं प्रोत्साहन योजनाओं को मुद्रा योजनाओं के साथ बेहतर ढंग से एकीकृत किया जा सकता है। साथ ही, फिन-टेक और स्टार्ट-अप से संबंधित इकोसिस्टम का बेहतर उपयोग सीमा पार जाकर एक व्यापक एवं चहुमुखी विकास के परिप्रेक्ष्य को सामने लाने के लिए किया जा सकता है।

मुद्रा ऋण योजना सफलता की एक ऐसी कहानी है जो यह दिखलाती है कि कैसे एक सही राजनीतिक इरादा सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक शक्तियों के साथ मिलकर एक स्थायी एवं समानता आधारित बदलाव का गुणक प्रभाव पैदा सकता है। हालांकि हमारा यह मानना है कि यह एक ऐसे उद्यमी भारत के अमृत काल की सिर्फ शुरुआत भर है जिसे खुद पर काफी भरोसा है!

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत ऋण

वित्तीय वर्ष 2016 वित्तीय वर्ष 2017 वित्तीय वर्ष 2018 वित्तीय वर्ष 2019 वित्तीय वर्ष 2020 वित्तीय वर्ष 2021 वित्तीय वर्ष 2022 वित्तीय वर्ष 2023 कुल स्वीकृत पीएमएमवाई ऋणों की संख्या (करोड़ में) 3.49 3.97 4.81 5.99 6.20 5.07 5.37 0.42 35.32
स्वीकृत राशि (लाख करोड़ रुपये में) 1.37 1.81 2.54 3.21 3.37 3.21 3.39 0.00 18.90
वितरित राशि (लाख करोड़ रुपये में) 1.33 1.75 2.46 3.11 3.29 3.11 3.31 0.00 18.37
स्रोत: एसबीआई रिसर्च, भारत सरकार की मुद्रा साइट (mudra.org.in) 20/05/2022 को अपडेट किया गया

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